दुनिया के कई देशों में होता है भगवान श्री कृष्ण की पूजा, पाकिस्तान में भी धूमधाम से मनाई जाती है जन्माष्टमी
punjabkesari.in Saturday, Aug 16, 2025 - 04:33 PM (IST)

नेशनल डेस्क : पूरे देश में जन्माष्टमी की धूम है। मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों की लंबी कतारें लगी हैं, झांकियों और भजन-कीर्तन से वातावरण भक्तिमय हो गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के अलावा पाकिस्तान में भी जन्माष्टमी का पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है? वहां भी भगवान कृष्ण के कई मंदिर हैं, जिनमें से रावलपिंडी का कृष्ण मंदिर सबसे प्रसिद्ध और ऐतिहासिक माना जाता है।
रावलपिंडी का ऐतिहासिक कृष्ण मंदिर
पाकिस्तान के रावलपिंडी शहर में स्थित यह मंदिर वहां का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है, जिसे वर्ष 1897 में कांची मल और उजागर मल राम पांचाल द्वारा बनवाया गया था। विभाजन के बाद इसे कुछ समय के लिए बंद कर दिया गया था, लेकिन बाद में इसे फिर से भक्तों के लिए खोला गया। 1980 के दशक तक इस्लामाबाद में रहने वाले भारतीय राजदूत भी इस मंदिर में पूजा करने आते थे।
पाकिस्तान में कहां-कहां हैं कृष्ण मंदिर
पाकिस्तान में रावलपिंडी के अलावा अमरकोट, कराची, लाहौर, क्वेटा और एबटाबाद जैसे शहरों में भी कृष्ण मंदिर मौजूद हैं, जहां जन्माष्टमी के अवसर पर मंदिरों को सजाया जाता है और श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं। लाहौर में करीब 20-22 हिंदू मंदिर हैं, लेकिन इनमें से केवल दो मंदिरों में नियमित पूजा होती है। इनमें से एक कृष्ण मंदिर केसरपुरा में स्थित है, जहां जन्माष्टमी पर विशेष पूजा-अर्चना होती है।
एबटाबाद में भी एक प्राचीन श्रीकृष्ण मंदिर मौजूद है, लेकिन वर्तमान में इसकी हालत खस्ता होने के कारण वहां पूजा-पाठ नहीं होता।
कराची का स्वामीनारायण मंदिर भी खासा प्रसिद्ध है। यहां हरे कृष्ण महाराज और राधा कृष्णदेव की मूर्तियां स्थापित हैं और जन्माष्टमी पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
क्वेटा में स्थित इस्कॉन मंदिर भी एक प्रमुख केंद्र है, जहां श्रीकृष्ण की भक्ति को लेकर बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्रित होते हैं।
दुनिया भर में करोड़ों हैं कृष्ण भक्त
भगवान कृष्ण के अनुयायी सिर्फ भारत या पाकिस्तान में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्हें वैष्णव या भक्त कहा जाता है, जो भगवान कृष्ण, राम या विष्णु के अन्य रूपों के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित रहते हैं। Krishna.com के अनुसार, दुनियाभर में लगभग 56 करोड़ वैष्णव अनुयायी हैं। इस्कॉन (अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ) जैसे संगठनों ने भगवान कृष्ण की भक्ति को वैश्विक स्तर पर पहुंचाया है, खासकर पश्चिमी देशों में।
दुनियाभर में हैं श्रीकृष्ण के मंदिर
1960 के दशक के बाद इस्कॉन जैसे संगठनों ने अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों में कृष्ण मंदिरों की स्थापना की। हालांकि 1980 के बाद पश्चिमी देशों में भक्ति गतिविधियों में कुछ गिरावट आई, लेकिन श्रद्धा और अनुयायियों की संख्या में लगातार इज़ाफा होता रहा है। ऑस्ट्रेलिया के सिडनी, अमेरिका के न्यूयॉर्क, ब्रिटेन, रूस, कनाडा, ब्राज़ील, और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में इस्कॉन के भव्य मंदिर हैं, जहां जन्माष्टमी पर रथ यात्रा, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।