ISRO का नया मिशन: अंतरिक्ष में पहली बार दो सैटेलाइट्स को जोड़ने का करेगा काम

punjabkesari.in Thursday, Dec 26, 2024 - 12:28 PM (IST)

नेशनल डेस्क। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल करने की तैयारी कर ली है। इसरो पहली बार अंतरिक्ष में दो सैटेलाइट्स को जोड़ने (डॉकिंग) का काम करेगा। इस मिशन का नाम स्पेडेक्स (SPADEX) रखा गया है और इसे 30 दिसंबर को लॉन्च किया जाएगा।

यह मिशन इसलिए खास है क्योंकि यह तकनीक अब तक सिर्फ रूस, अमेरिका और चीन जैसे देशों के पास थी। अब भारत इस जटिल कार्य को अपने दम पर करने जा रहा है।

अंतरिक्ष में कैसे होगी डॉकिंग?

डॉकिंग का तरीका:

: इसरो का पीएसएलवी रॉकेट दो विशेष सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में ले जाएगा।
: इन सैटेलाइट्स का वजन करीब 220 किलोग्राम है।
: ये सैटेलाइट्स पृथ्वी से 470 किलोमीटर ऊपर की कक्षा में पहुंचेंगी।
: दोनों सैटेलाइट्स को पहले धीमा किया जाएगा और फिर उन्हें आपस में जोड़ा जाएगा।

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गति का नियंत्रण:

दोनों सैटेलाइट्स की गति 28,800 किलोमीटर प्रति घंटे होगी जो गोली की रफ्तार से 10 गुना तेज है।
स्पेशल सेंसर और तकनीक की मदद से इनकी गति को लगभग 0.036 किलोमीटर प्रति घंटे (10 मिलीमीटर प्रति सेकंड) तक धीमा किया जाएगा।

विशेष तंत्र:

: इसरो इस मिशन में 'भारतीय डॉकिंग सिस्टम' नामक खास तकनीक का इस्तेमाल करेगा।
: यह तकनीक अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करती है और इसरो ने इसका पेटेंट भी ले लिया है।

डॉकिंग तकनीक क्यों है महत्वपूर्ण?

इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा कि यह मिशन भविष्य के बड़े अंतरिक्ष अभियानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

: अगर भारत को चंद्रयान-4 भेजना है।
: अगर भारत को अंतरिक्ष स्टेशन बनाना है।
: अगर भारत को किसी इंसान को चांद पर भेजना है।
: तो सैटेलाइट डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल करना बेहद जरूरी है।
: डॉकिंग प्रक्रिया सुनने में आसान लगती है लेकिन इसे स्वायत्त रूप से करना बहुत जटिल है। इसमें सबसे बड़ी चुनौती दोनों सैटेलाइट्स को टकराने से बचाना और उन्हें सटीकता से जोड़ना है।

इसरो का साथ दे रही भारतीय कंपनी

स्पेडेक्स मिशन की योजना और डिजाइन इसरो के वैज्ञानिकों ने बनाई है लेकिन इसके निर्माण और परीक्षण का काम बेंगलुरु की अनंत टेक्नोलॉजीज कंपनी ने किया है।

इस कंपनी की स्थापना डॉ. सुब्बा राव पावुलुरी ने की थी, जो पहले इसरो के वैज्ञानिक रह चुके हैं। यह कंपनी 1992 से अंतरिक्ष तकनीक के क्षेत्र में काम कर रही है।

भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों में एक और कदम

स्पेडेक्स मिशन भारत की अंतरिक्ष यात्रा का एक और बड़ा कदम है। इस मिशन की सफलता भारत को दुनिया के गिने-चुने देशों की सूची में शामिल कर देगी जिनके पास यह जटिल तकनीक है।

इसके साथ ही बता दें कि 30 दिसंबर को लॉन्च के साथ पूरा देश इस मिशन की सफलता के लिए प्रार्थना कर रहा है।


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News Editor

Rahul Rana