ISRO Mission: जानिए इसरो के ‘नाविक’ मिशन में क्या दिक्कत आई? 29 जनवरी को हुआ था लॉन्च NVS-02 सैटेलाइट
punjabkesari.in Monday, Feb 03, 2025 - 09:50 AM (IST)
नेशनल डेस्क। इसरो के 100वें मिशन में तकनीकी खराबी आ गई है इसलिए सैटैलाइट को अभी तक इसकी कक्षा में स्थापित नहीं कया जा सका है। वहीं इसरो ने मिशन को लेकर अपडेट दिया है जिसमें सैटेलाइट में आई खराबी के बारे में बताया गया है। इसरो ने नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन (NavIC) मिशन के तहत NVS-02 सैटेलाइट को लॉन्च किया था लेकिन यह अपने तय स्थान पर स्थापित नहीं हो पाया।
क्या है समस्या?
ISRO के मुताबिक सैटेलाइट को जियो-स्टेशनरी ऑर्बिट (GEO) में स्थापित किया जाना था लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
➤ सैटेलाइट पर लगे लिक्विड इंजन में खराबी आ गई जिससे ऑक्सीडाइजर वॉल्व नहीं खुल सके।
➤ थ्रस्टर्स (इंजन) फायर नहीं हो पाए जिसकी वजह से सैटेलाइट अभी एलिप्टिकल ऑर्बिट (अंडाकार कक्षा) में ही बना हुआ है।
➤ अब वैज्ञानिक इसे सही स्थान पर पहुंचाने के लिए नए विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।
कैसे हुआ था लॉन्च?
➤ इसरो ने 29 जनवरी 2025 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से NVS-02 सैटेलाइट को लॉन्च किया था।
➤ यह इसरो का 100वां मिशन था और ISRO के नए अध्यक्ष वी. नारायणन के कार्यकाल का पहला बड़ा मिशन था।
➤ सैटेलाइट को GSLV-F15 रॉकेट के जरिए सुबह 6:23 बजे लॉन्च किया गया था।
🎥 Tracking shot of the launch and on board footage from today's GSLV-F15 mission 🚀#ISRO #GSLVF15 pic.twitter.com/DvTeQkl9og
— ISRO Spaceflight (@ISROSpaceflight) January 29, 2025
मिशन के फायदे
अगर यह मिशन सफल हो जाता तो भारत को अपना स्वतंत्र नेविगेशन सिस्टम मिल जाता जिससे देश की ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) पर निर्भरता कम हो जाती।
➤ यह सिस्टम कश्मीर से कन्याकुमारी और गुजरात से अरुणाचल प्रदेश तक काम करता।
➤ कोस्टल एरिया में 1500 किलोमीटर तक की दूरी भी कवर होती।
➤ हवाई, समुद्री और सड़क यात्रा के लिए यह बहुत उपयोगी साबित होता और हादसों में कमी आती।
🚨 ISRO has finally released the video of yesterday's SpaDeX docking 🎥
— ISRO Spaceflight (@ISROSpaceflight) January 17, 2025
You can see the on board views from SDX-01 showing SDX-02 as they approached each other, and also the reaction of Mission Control at the moment the docking succeeded! 🛰🤝 pic.twitter.com/ufnKiOcBcg
NVS-02 सैटेलाइट की खासियतें
➤ वजन: 2250 किलोग्राम
➤ पावर हैंडलिंग क्षमता: 3 किलोवाट
➤ खास टेक्नोलॉजी: इसमें रुबिडियम एटॉमिक घड़ियां लगाई गई हैं जो स्वदेशी और विदेशी तकनीक का मिश्रण हैं।
➤ सैटेलाइट का जीवनकाल: लगभग 12 साल तक काम करने की क्षमता।
➤ NavIC सिस्टम: यह भारत का अपना GPS सिस्टम है जो पोजिशन, वेलोसिटी और टाइम (PVT) सर्विस देने के लिए डिजाइन किया गया है।
अब आगे क्या होगा?
फिलहाल ISRO वैज्ञानिक इस खराबी को ठीक करने के लिए दूसरे विकल्पों पर काम कर रहे हैं। जल्द ही सैटेलाइट को सही ऑर्बिट में लाने की योजना बनाई जाएगी। यदि यह मिशन सफल हो जाता है तो भारत नेविगेशन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन जाएगा।