Indore Water Crisis: क्या सफाई का ''नंबर 1'' ताज जीतने के लिए इंदौर कर रहा है दिखावा? जानिए क्या कहता है रिपोर्ट कार्ड

punjabkesari.in Wednesday, Dec 31, 2025 - 01:58 PM (IST)

नेशनल डेस्क: इंदौर को भारत के सबसे साफ शहर का टैग हासिल है। हालांकि यह गौरव इंदौर के पास बीते 8 सालों से है। दिसंबर 2025 के अंतिम सप्ताह में भागीरथपुरा की गलियों में जो हुआ, उसने इस चमकते हुए 'स्वच्छता मॉडल' की नींव हिला दी है। सड़कों पर झाड़ू और कचरा संग्रहण में नंबर-1 रहने वाले इस शहर के नल से जब 'मौत' निकलने लगी, तो सवाल उठने लगे कि क्या इंदौर की स्वच्छता केवल एक दिखावा है? आइए जानते हैं-

1. सिस्टम की बड़ी चूक: 'डेड एंड' और पाइपलाइन का घातक मेल

हाल ही में सामने आए मामले में भागीरथपुरा क्षेत्र में पानी की पाइपलाइनें दशकों पुरानी हैं। यहाँ 'डेड एंड' (जहाँ पाइपलाइन खत्म होती है) की समस्या लंबे समय से थी।दरअसल नगर निगम की पाइपलाइन एक सार्वजनिक शौचालय के ड्रेनेज चैंबर के पास से गुजर रही थी। वहां हुए लीकेज ने सीवेज और पेयजल को मिला दिया। स्थानीय लोगों ने दुर्गंधयुक्त पानी की शिकायत 15 दिन पहले की थी, लेकिन रिकॉर्ड बताते हैं कि इसे 'सामान्य लीकेज' मानकर फाइलों में दबा दिया गया।

2. ऑडिट रिपोर्ट vs जमीनी हकीकत

नगर निगम के दस्तावेजों में हर वार्ड का 'वॉटर क्वालिटी इंडेक्स' (WQI) हरा दिखता है, लेकिन हकीकत में सैंपल टेस्टिंग का अभाव के चलते बस्तियों में रैंडम सैंपल लेने की प्रक्रिया केवल कागजों तक सीमित रही। शहर के 30% पुराने इलाकों में ड्रेनेज और वॉटर लाइन एक ही संकरी गली में समानांतर चलती हैं। इनके बीच की दूरी 1 मीटर से भी कम है, जो किसी भी बड़े संक्रमण के लिए काफी है।

3. 'स्वच्छता सर्वेक्षण' का दबाव या फर्जीवाड़ा?

इंदौर पर 'नंबर 1' बने रहने का जबरदस्त मनोवैज्ञानिक और प्रशासनिक दबाव है। इस दबाव के चलते अक्सर:

  • प्रशासन 'विजिबल क्लीनलीनेस' (दिखने वाली सफाई) पर करोड़ों खर्च करता है।
  • पाइपलाइन की मरम्मत, सीवेज ट्रीटमेंट और भूमिगत बुनियादी ढांचे (Invisible Infrastructure) को बजट में पीछे रखा जाता है।
  • क्या इंदौर ने स्वच्छता के अंकों के लिए केवल 'ऊपरी चमक' पर ध्यान दिया? भागीरथपुरा की 7 मौतें इसी 'असंतुलन' का परिणाम हैं।

 विशेषज्ञों की राय

शहरी विकास विशेषज्ञों का कहना है कि "स्वच्छता केवल कचरा गाड़ी के संगीत तक सीमित नहीं होनी चाहिए। जब तक इंदौर 'वॉटर प्लस' का वास्तविक सर्टिफिकेट सुरक्षित पेयजल के साथ हासिल नहीं करता, तब तक यह स्वच्छता अधूरी है।"

 


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News Editor

Radhika

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