ईरान-इजराइल युद्ध से भारत के व्यापार पर संकट, सरकार जल्द करेगी व्यापक समीक्षा
punjabkesari.in Friday, Jun 20, 2025 - 01:10 PM (IST)

नई दिल्ली: ईरान और इजराइल के बीच जारी तनाव का असर भारत के व्यापारिक रिश्तों पर भी दिखने लगा है। दोनों देश भारत के महत्वपूर्ण वाणिज्यिक साझेदार हैं, जिसके चलते इस युद्ध के कारण भारत के व्यापार क्षेत्र में संभावित नुकसान को लेकर सरकार सतर्क हो गई है। वाणिज्य मंत्रालय ने सभी संबंधित विभागों, निर्यातकों, पोत परिवहन और कंटेनर कंपनियों के साथ बैठक बुला कर इस मसले पर गहन मंथन करने का फैसला किया है। इस बैठक की अध्यक्षता वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल करेंगे।
सरकार का उद्देश्य व्यापार संबंधी प्रभावों का आकलन और समाधान निकालना
सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में ईरान-इजराइल संघर्ष के कारण भारत के विदेशी व्यापार पर पड़ने वाले प्रभावों की समीक्षा की जाएगी। साथ ही मालभाड़े से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा होगी। सरकार इस स्थिति पर कड़ी नजर बनाए हुए है और व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए रणनीति बनाने में जुटी है।
निर्यातकों की चिंता और माल परिवहन में संभावित अड़चनें
निर्यातक संगठन भी युद्ध के बढ़ने से वैश्विक व्यापार प्रभावित होने की आशंका जता रहे हैं। विशेष रूप से हवाई और समुद्री माल ढुलाई की लागत में वृद्धि हो सकती है। होर्मुज जलडमरूमध्य और लाल सागर से होकर गुजरने वाले व्यापारिक जहाजों की आवाजाही पर खतरा मंडरा रहा है। भारत की अधिकांश ऊर्जा आवश्यकताएं इसी मार्ग से आने वाले तेल और प्राकृतिक गैस पर निर्भर हैं। ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य बंद करने की धमकी दी है, जिससे भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर गंभीर संकट उत्पन्न हो सकता है।
होर्मुज जलडमरूमध्य: भारत के लिए रणनीतिक खतरा
होर्मुज जलडमरूमध्य एक संकरा और महत्वपूर्ण जलमार्ग है, जो वैश्विक तेल व्यापार के 20% से अधिक हिस्से को संभालता है। भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लगभग 80% हिस्से के लिए इस मार्ग पर निर्भर है। यमन में हूती विद्रोहियों के हमले और क्षेत्रीय तनाव के कारण लाल सागर में भी खतरों का खतरा बढ़ गया है। इससे भारत के व्यापारिक जहाजों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है।
भारत का व्यापार आंकड़ों में गिरावट का संकेत
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 में भारत का इजराइल को निर्यात 4.5 अरब डॉलर से घटकर 2024-25 में 2.1 अरब डॉलर रह गया है। वहीं, इजराइल से आयात में भी गिरावट आई है। ईरान को निर्यात लगभग 1.4 अरब डॉलर स्थिर रहा, लेकिन ईरान से आयात घटकर 44.1 करोड़ डॉलर रह गया। इस संघर्ष से पहले से ही अमेरिकी उच्च शुल्क की वजह से प्रभावित वैश्विक व्यापार पर और दबाव बढ़ने की संभावना है।