लद्दाख सीमा विवाद पर चीन की नरमी के पीछे गहरी साज़िश ?

punjabkesari.in Thursday, May 28, 2020 - 04:47 PM (IST)

नेशनल डेस्क (मनीष शर्मा): लद्दाख सीमा में युद्ध का माहौल अभी तक बना हुआ है। चीनी सेना अभी भी भारतीय क्षेत्र के 4 किलोमीटर के अंदर गालवान घाटी और पांगोंग त्सो लेक में टैंट गाढ़ कर बैठी है। अभी भी चीनी ट्रक भारी मात्रा में असला बारुद ला रहे हैं। वहीँ भारत ने भी आक्रामक नीति अपनाते हुए अपनी ओर ‘दर्पण तैनाती’ कर दी  है, जिसमें चीन के हर कदम की बराबरी की गई है। दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनएसए प्रमुख अजित डोभाल स्थिति पर नज़र रखे हुए हैं। पिछले एक महीने से लद्दाख सीमा में  स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और ऐसी परिस्थिति में आग में घी डालने का काम चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने किया जब उन्होंने मंगलवार को ब्यान जारी कर चीनी सैनिकों को युद्ध के लिए तैयार रहने के लिए कह दिया। हालांकि अगले ही दिन चीन की तरफ से दो शांति संदेश भी आ गए। पहला संदेश चीन के विदेश मंत्रालय से और दूसरा भारत में चीन के राजदूत से आया इन दोनों संदेशों में लद्दाख मुद्दे को बातचीत से सुलझाने पर ज़ोर दिया गया है। क्या चीन भारत के आक्रामक रुख से घबरा गया है जो उसे एक दिन में दो बार शांति संदेश देने के लिए मजबूर होना पड़ा? जानकारों का मानना है कि यह चीन की साज़िश है क्योंकि इन संदेशों का तब तक कोई मतलब नहीं बनता जब तक लद्दाख की सीमा में चीनी सैनिक मौजूद होंगे। इस समय लद्दाख सीमा में 10 हज़ार से भी ज़्यादा सैनिक जुट गए हैं। और यह संख्या बढ़ती जा रही है। लद्दाख सीमा  में चीन ने क्यों घुसपैठ की उसके पीछे एक नहीं पांच वजह थी। 

 

लद्दाख घुसपैठ के पीछे क्या थे 5 कारण  

  1. 1. कोरोना वायरस के कारण अमेरिका चीन से बुरी तरह से चिढ़ा हुआ है। अमेरिका में इस वायरस ने 1 लाख लोगों की जान ले ली है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कई बार इन मौतों का जिम्मेदार चीन को बताया है। इसके चलते अमेरिका ने 33 चीनी कंपनियों को अमेरिकी टेक्नोलॉजी की चोरी करने के आरोप में ब्लैकलिस्ट कर दिया है। हाल ही में अमेरिकी सीनेट ने बिल पास कर चीनी कंपनियां जिसमें अलीबाबा भी शामिल है को यूएस स्टॉक एक्सचेंज से डीलिस्ट कर दिया है। ज़्यादातर अमेरिकी कंपनियां भी चीन से निकल कर भारत में काम शुरु करना चाहती हैं। चीन इसी  बात का गुस्सा भारत पर उतरना चाहता है। 
  2. 2.चीन दक्षिण एशिया में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है। चीन के प्रभाव में आकर ही  नेपाल ने नया नक्शा जारी कर तीन भारतीय क्षेत्र लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी को अपना इलाका बता दिया जिससे भारत और नेपाल के रिश्तों में तल्खी आ गई और स्थिति इतनी गंभीर हो गई थी कि नेपाल ने अपने सैनिकों को लड़ाई में तैयार रहने को कह दिया था। भारत के बढ़ते दबाव को देखते हुए आखिरकार नेपाल को नक्शा वापस लेना पड़ा। 
  3. 3. चीन अभी भी डोकलाम में हुई बेइज़्ज़ती को भूल नहीं पाया है। सिक्किम वाले बॉर्डर के पास डोकलाम स्थित है। 2018 के जून से लेकर अगस्त  यानी 75 दिनों तक भारत और चीनी सेना आमने सामने थी। भारत की कूटनीतिक जीत हुई और चीनी सेना को पीछे हटना पड़ा। 
  4. 4. हाल ही में भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन विश्व स्वास्थय संगठन के एग्जीक्यूटिव बोर्ड के चेयरमैन चुने गए हैं और इसी दौरान भारत सहित 62 देशों ने दुनिया भर में कोरोना वायरस फैलने के पीछे चीन और WHO की भूमिका पर जांच करवाने की मांग कर डाली । इससे भी चीन भारत से चिढ़ गया  था। 
  5. 5. चीन दशकों से सीमा पर सड़कों का निर्माण कर रहा है। अरुणचल, लद्दाख और सिक्किम के दुर्गम इलाकों में भी चीनी सड़कें पहुँच गई हैं। भारत ने पिछले कुछ सालों से सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण तेज़ कर दिया है। हाल ही में लिपुलेख क्षेत्र में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 80 किलोमीटर सड़क का निर्माण करवाया है। भारत के इस कदम से भी चीन काफी भड़का हुआ है। 


चीन और पाकिस्तान दो ऐसे पड़ोसी देश हैं जिनकी कथनी और करनी में ज़मीन-आसमान का अंतर है। अगर इस समय चीन लद्दाख मुद्दे को बातचीत से सुलझाने की बात कर रहा है तो इसमें भी चीन की कोई साज़िश हो सकती है। 1962 के भारत चीन युद्ध से पहले भी चीन 'हिंदी-चीनी भाई भाई' का नारा देता रहा था। हुआ क्या, भारत के कई इलाकों में चीन ने कब्ज़ा कर लिया। पंजाब केसरी के लिए मनीष शर्मा की रिपोर्ट। 
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

vasudha

Recommended News

Related News