‘अधिकारी पर सूचना आयोग ने लगाया जुर्माना, सरकारी खजाने से कर दी भरपाई’

punjabkesari.in Sunday, Feb 18, 2018 - 05:41 PM (IST)

नई दिल्ली: नोट छापने वाले सरकारी प्रिंटिंग प्रेस ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले अपने एक अधिकारी पर लगे जुर्माने का भुगतान होने के बाद सरकारी खजाने से उसकी भरपाई कर दी। यह जुर्माना केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने लगाया था।

उक्त मामले में सीआईसी ने सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के एक अधिकारी पर सीआईसी ने 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया था। कॉरपोरेशन ने न्यायिक एवं पेशेवर शुल्क खर्च के तौर पर इस राशि की प्रतिपूर्ति अधिकारी को कर दी।

आरटीआई कार्यकर्ता सी.जे. करीरा ने इस बाबत कहा, ‘यह कानून का अनादर करना है। एक तरफ वे अधिकारी का जुर्माना काटकर सरकारी खाते में जमा करते हैं और फिर गलती करने वाले कर्मचारी को इसे लौटा देते हैं। यदि कोई अधिकारी ट्रैफिक लाइट का उल्लंघन करता है तो क्या इसका बोझ करदाताओं यानी सरकारी खजाने पर पडऩा चाहिए।’

आरटीआई अधिनियम के तहत यदि किसी केंद्रीय सूचना अधिकारी के ऊपर जुर्माना लगाया जाता है तो उसका भुगतान उन्हें अपने वेतन से करना होता है और उसे सरकारी खाते में जमा कराना होता है। सूचना का अधिकार कानून के तहत यदि सूचना आयोग को लगता है कि अधिकारी ने मांगी गई सूचना देने में बिना किसी ठोस वजह के देरी की है तो वह प्रतिदिन 250 रुपए की दर से अधिकतम 25 हजार रुपए तक का जुर्माना लगा सकता है।

मुंबई मिंट स्टाफ यूनियन के अध्यक्ष ए.क्यू.शेख ने सितंबर 2014 में एक आरटीआई आवेदन में 2013-14 के दौरान ढाले गए अतिरिक्त सिक्का के एवज में किए गए भुगतान की जानकारी मांगी थी। सूचना आयोग के लगातार आदेश के बावजूद उक्त सूचना 16 महीने बाद दी गई। इसी के मद्देनजर कारपोरेशन के अधिकारी पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया था।

पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त और कार्मिक प्रशिक्षण विभाग के पूर्व सचिव ए.एन.तिवारी ने कहा कि जुर्माने का सरकारी खजाने से भुगतान किया जाना अवैध है। उन्होंने कहा, ‘किसी केंद्रीय सूचना अधिकारी पर लगाया गया जुर्माना व्यक्तिगत होता है। इसका भुगतान संबंधित अधिकरी द्वारा अपनी जेब से किया जाना चाहिए। यदि अधिकारी जुर्माने का भुगतान सरकारी खजाने से करेंगे तब जुर्माना लगाने का क्या मतलब है।’

पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त सत्यानंद मिश्रा ने भी तिवारी से सहमति जताते हुए कहा कि आरटीआई अधिनियम में इसका कोई समाधान नहीं है क्योंकि जुर्माना भुगतान हो जाने के बाद प्रक्रिया पूरी हो जाती है।  


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