पोलैंड में बॉलीवुड एक्टर बनकर पहुंच गए थे भारतीय किसान, फर्जी वीजा घोटाले की पोलिश संसद में रिपोर्ट पेश
punjabkesari.in Thursday, Nov 28, 2024 - 10:04 AM (IST)
नेशनल डेस्क: रिश्वत देकर पोलैंड में बॉलीवुड एक्टर बनकर वीजा हासिल करने वाले भारतीय किसानों और रिश्वतखोर दूतावास के कर्मचारियों के खिलाफ पोलिश सरकार ने जांच पूरी कर ली है। पोलैंड में इस वीजा घोटाले की शुरुआती जांच रिपोर्ट संसद में पेश की गई है। यह घोटाला 2018 से 2023 के बीच हुआ, जब पोलैंड की दक्षिणपंथी पार्टी लॉ एंड जस्टिस (पी.आई.एस.) की सरकार सत्ता में थी। रिपोर्ट के मुताबिक इस घोटाले में पोलैंड के एशिया और अफ्रीका स्थित दूतावासों से वीजा लेने के लिए लोगों ने 40,000 अमेरिकी डॉलर यानी 30 लाख रुपये तक की रिश्वत दी थी। कई मामलों में वीजा मिलने के बाद ये लोग पोलैंड पहुंचे और फिर वहां से अमरीका चले गए।
कई पूर्व मंत्रियों पर पद का दुरुपयोग करने के आरोप
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में खेती करने वाले किसानों को पोलैंड का वर्क वीजा मिलना आसान नहीं था। इस मामले में पोलैंड के दूतावासों के कर्मचारियों ने किसानों को बॉलीवुड एक्टर बताकर वीजा आवंटित कर दिए थे। रिश्वत लेकर वीजा बांटने के ये मामले एशिया और अफ्रीका में कई देशों में हुए थे। जानकारी के मुताबिक पोलैंड की संसद द्वारा बनाई गई एक विशेष समिति ने वीजा घोटाले की जांच की है। समिति के प्रमुख, मारेक सोवा ने हाल ही में संसद में अपनी रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में कहा गया कि पोलैंड की पूर्व सरकार में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और लापरवाही हुई है। रिपोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री मैथ्यूज मोराविचकी, पूर्व विदेश मंत्री ज्बिग्नीव राऊ और पूर्व आंतरिक मंत्री मारियुस कामिंस्की का नाम शामिल है। इन नेताओं पर कानून तोड़ने और अपने पद का दुरुपयोग करने के आरोप हैं।
छह सालों में 4,200 से अधिक वीजा जारी
जांच में यह भी पता चला कि पोलैंड के दूतावासों ने हजारों वीजा बड़ी रकम लेकर जारी किए. सुप्रीम ऑडिट ऑफिस की जांच में यह सामने आया कि एक ही एजेंसी ने छह सालों में 4,200 से अधिक वीजा जारी किए। कुछ वीजा के लिए 7,000 यूरो यानी करीब 7 लाख रुपये तक वसूले गए। पोलैंड के विदेश मंत्री रादोस्लाव सिकोर्स्की के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि दूतावासों पर गलत तरीके से दबाव डाला गया। उन्होंने कहा कि काउंसल्स को ऐसे लोगों को वीजा देने के लिए मजबूर किया गया, जिन्हें वीजा नहीं मिलना चाहिए था। इनमें रूसी नागरिक भी शामिल थे।
इतिहास का सबसे बड़ा राजनीतिक संकट
यह घोटाला पोलैंड के इतिहास का सबसे बड़ा राजनीतिक संकट माना जा रहा है। पी.आई.एस. सरकार ने खुद को एंटी-इमिग्रेशन पार्टी के रूप में पेश किया था, लेकिन इस घोटाले ने उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया।
2024 के चुनाव प्रचार के दौरान विपक्षी नेता डॉनल्ड टस्क ने इस घोटाले को "21वीं सदी का पोलैंड का सबसे बड़ा घोटाला" कहा था। चुनाव में पी.आई.एस. पार्टी हार गई और टस्क की पार्टी सिविक प्लेटफॉर्म ने सरकार बनाई।
कई और देशों में भी आवंटित किए वीजा
घोटाले में भारतीय किसानों के अलावा, हांगकांग, ताइवान, सऊदी अरब, सिंगापुर, फिलीपींस, कतर और यू.ए.ई. के लोगों ने भी भारी रकम देकर पोलिश वर्क वीजा हासिल किए। इस घोटाले के बाद पोलैंड की नई सरकार ने वीजा नियमों को कड़ा कर दिया है। खासतौर पर स्टूडेंट वीजा के लिए सख्ती की जा रही है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस घोटाले के लिए जिम्मेदार पूर्व अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। पूर्व उप विदेश मंत्री पियोत्रे वावरचिक को पहले ही इस मामले में आरोपित किया जा चुका है।