क्या आप जानते हैं दुनिया के वो देश जहां तलाक होते हैं न के बराबर, जानें भारत कितने नंबर पर?
punjabkesari.in Thursday, Apr 17, 2025 - 12:19 PM (IST)

नेशनल डेस्क। भारत में शादी को सात जन्मों का बंधन माना जाता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यहां पर शादियां नहीं टूटती हैं। जब पति-पत्नी को लगता है कि उनके रिश्ते में कोई सुधार नहीं हो सकता तो वे अक्सर तलाक लेने का फैसला करते हैं। हालांकि भारत में तलाक की दर अन्य देशों के मुकाबले काफी कम है। आइए जानते हैं कुछ ऐसे देशों के बारे में जहां तलाक के मामले बहुत कम हैं और वहां के समाज, संस्कृति और कानून इस स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं।
कौन से देश हैं जहां तलाक न के बराबर हैं?
दुनियाभर में तलाक की दरें अलग-अलग कारणों से प्रभावित होती हैं जैसे कि वहां की संस्कृति, समाज और कानून जो रिश्तों को लेकर अलग-अलग नजरिया रखते हैं। कुछ देशों में तलाक को सामान्य माना जाता है जबकि कुछ देशों में यह बेहद दुर्लभ है। रिपोर्ट्स के अनुसार भारत के अलावा कतर, आयरलैंड और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जैसे देशों में तलाक की दर बहुत कम है। इन देशों में लोग परंपराओं और सामाजिक मान्यताओं का सम्मान करते हुए रिश्तों को बनाए रखने की पूरी कोशिश करते हैं।
तलाक के आंकड़े और उनके कारण
इन देशों में तलाक के मामलों की संख्या कम होने के पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं, इन देशों में पारिवारिक मूल्यों का अत्यधिक सम्मान किया जाता है और धर्म भी तलाक को हतोत्साहित करता है। साथ ही यहां के कानून भी तलाक को एक जटिल और लंबी प्रक्रिया बनाते हैं जिससे लोग इसे आखिरी उपाय के तौर पर ही अपनाते हैं।
➤ श्रीलंका: यहां 1000 में से सिर्फ 0.15 लोग तलाक लेते हैं। यह बहुत ही कम आंकड़ा है जो इस बात को दर्शाता है कि इस देश में रिश्तों को मजबूत बनाने की कोशिश की जाती है।
➤ ग्वाटेमाला और वियतनाम: इन देशों में तलाक की दर 0.2 प्रतिशत है जो यह दिखाता है कि परिवार और रिश्तों को बहुत महत्व दिया जाता है।
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➤ पेरू: पेरू में तलाक की दर 0.5 प्रतिशत है, जो कि अपेक्षाकृत कम है।
➤ चिली: यहां पर भी तलाक की दर 0.7 प्रतिशत है।
➤ सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस: इन देशों में यह आंकड़ा 0.4 प्रतिशत है।
➤ साउथ अफ्रीका: यहां तलाक की दर 0.6 प्रतिशत है।
तलाक के लिए कठोर कानून
इन देशों में तलाक को लेकर बहुत ही कड़े कानून होते हैं, जिनकी वजह से लोग इस प्रक्रिया से बचने की कोशिश करते हैं। धार्मिक आस्था और पारिवारिक जिम्मेदारियां भी इन देशों के नागरिकों को तलाक लेने से रोकने में मदद करती हैं। इसके अलावा समाज में तलाक को एक नकारात्मक रूप में देखा जाता है जिससे लोग रिश्तों को सुधारने के बजाय अलग होने से बचते हैं।
भारत में तलाक की स्थिति
भारत में तलाक की दर कम है लेकिन यहां की संस्कृति और धार्मिक मान्यताएं तलाक को नकारात्मक रूप में देखती हैं। हालांकि जैसे-जैसे समय बदल रहा है वैसे-वैसे तलाक के मामलों में भी बढ़ोतरी हो रही है लेकिन फिर भी भारतीय समाज में पारिवारिक एकता और रिश्तों का महत्व काफी ज्यादा है।
वहीं कहा जा सकता है कि तलाक की दर कम होने के पीछे सिर्फ कानून और सामाजिक मान्यताएं नहीं बल्कि इन देशों की संस्कृति और पारिवारिक मूल्यों का भी अहम योगदान है। जहां एक ओर भारतीय समाज में तलाक कम होता है वहीं कुछ अन्य देशों में भी यह मामला बहुत ही कम देखने को मिलता है।