चीन सीमा पर भारत खड़ा करेगा 500 किलोमीटर का रेल नेटवर्क, सेना और नागरिकों को मिलेगा लाभ

punjabkesari.in Saturday, Sep 13, 2025 - 05:37 AM (IST)

नेशनल डेस्कः भारत अब अपनी चीन से लगी सीमा को रणनीतिक रूप से और मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रहा है। केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर राज्यों में चीन, भूटान, म्यांमार और बांग्लादेश की सीमाओं से सटे दुर्गम इलाकों में 500 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन बिछाने की योजना को मंजूरी दी है। इस मेगा प्रोजेक्ट पर लगभग ₹30,000 करोड़ खर्च होंगे और इसे अगले चार वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

क्या है रेल प्रोजेक्ट की खासियत?

  • यह रेल नेटवर्क भारत की उत्तर-पूर्वी सीमा से लगे संवेदनशील इलाकों को जोड़ेगा।

  • परियोजना में पुलों और सुरंगों का निर्माण भी शामिल होगा, ताकि हर मौसम में आवागमन संभव हो सके।

  • रेलवे लाइन का इस्तेमाल सिविलियन ट्रैवल के साथ-साथ जरूरत पड़ने पर सैन्य ऑपरेशनों में भी किया जा सकेगा।

  • यह नेटवर्क बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार और चीन की सीमाओं के पास बसे गांवों और कस्बों तक बुनियादी सुविधाएं और कनेक्टिविटी लाने में मदद करेगा।

इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य सिर्फ यातायात सुधारना नहीं है, बल्कि इसका बड़ा फोकस राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक संतुलन पर भी है।

क्यों है यह परियोजना अहम?

भारत और चीन के बीच संबंधों में उतार-चढ़ाव लंबे समय से देखने को मिलते रहे हैं। 2020 में गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद से सीमा पर भारत ने अपने सैन्य और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास की गति को तेज किया है। हालांकि हाल के महीनों में भारत-चीन रिश्तों में कुछ नरमी देखने को मिली है, लेकिन सरकार कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। यह परियोजना इस सोच का नतीजा है कि कूटनीति की बातचीत हो या टकराव की स्थिति—भारत हर परिस्थिति के लिए तैयार रहे।

सड़कों और एयरफोर्स इंफ्रास्ट्रक्चर का भी हो रहा विकास

  • पिछले 10 वर्षों में, भारत ने उत्तर-पूर्वी राज्यों में 9,984 किलोमीटर हाईवे बनाए हैं, जिन पर ₹1.07 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए।

  • वर्तमान में 5,000 किलोमीटर से अधिक सड़कें निर्माणाधीन हैं, जो इन इलाकों की स्थिति को पूरी तरह बदल देंगी।

  • रेल नेटवर्क को इससे जोड़ने से एक संपूर्ण मल्टी-मॉडल ट्रांसपोर्ट सिस्टम तैयार हो रहा है।

एडवांस लैंडिंग ग्राउंड भी तैयार

भारत ने पिछले कुछ वर्षों में 1962 से बंद पड़े एयरफोर्स लैंडिंग ग्राउंड्स को दोबारा सक्रिय किया है।

  • इनका इस्तेमाल अब हेलिकॉप्टर, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और युद्ध सामग्री पहुंचाने में किया जा रहा है।

  • लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश जैसे इलाकों में भी नई रेलवे लाइनों का सर्वेक्षण किया जा रहा है।

भारत की दीर्घकालिक रणनीति

यह परियोजना भारत की दीर्घकालिक रणनीतिक सोच का हिस्सा है — केवल मौजूदा हालात के हिसाब से नहीं, बल्कि भविष्य में किसी भी चुनौती से निपटने के लिए बुनियादी ढांचे को पहले से तैयार करना। रेल मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के बीच नजदीकी समन्वय के साथ यह परियोजना भारत की बॉर्डर सिक्योरिटी को नई दिशा दे सकती है।


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Content Writer

Pardeep

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