पहली बार बातचीत की मेज पर तालिबान के साथ होगा भारत! उमर अब्दुल्ला ने उठाए सवाल
punjabkesari.in Friday, Nov 09, 2018 - 03:31 PM (IST)
नई दिल्ली: रूस में अफगानिस्तान मुद्दे पर होने वाली बैठक में आज भारत भी शामिल होगा। हालांकि, भारत ने कहा कि वह अफगानिस्तान में सभी प्रकार की शांति प्रक्रियाओं का समर्थन करता है और रूस की ओर से मॉस्को में आयोजित की जाने वाली बैठक में वह गैर-आधिकारिक तौर पर हिस्सा लेगा। रूस ने 12 देशों के अलावा तालिबान को भी आमंत्रित किया है। ऐसे में, भारत पहली बार तालिबान के साथ बातचीत के मेज पर होगा। इस बैठक में भारत के अलावा ईरान, चीन, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के प्रतिनिधि बैठक में हिस्सा लेने वाले हैं।
If “non-official” participation in a dialogue that includes the taliban is acceptable to the Modi government why not a “non-official” dialogue with non-mainstream stake holders in J&K? Why not a “non-official” dialogue centered around J&K’s eroded autonomy & its restoration? https://t.co/722SrqKkvo
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) November 8, 2018
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मोदी सरकार पर सवाल उठाया कि अगर नई दिल्ली मॉस्को में तालिबान के साथ अनाधिकारिक स्तर की बातचीत में शामिल हो सकती है, तो वह जम्मू-कश्मीर के 'गैर-मुख्यधारा के हितधारकों' के साथ वार्ता क्यों नहीं कर सकती? उमर के सवालों पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने जवाब देते हुए कहा कि भारत पहले ही साफ कर चुका है कि इस बैठक में हमारी हिस्सेदारी अनाधिकारिक स्तर की होगी।
If any process is consistent with our policy on Afghanistan then we will be part of it. We have made it clear already that our participation is at a non-official level. Don't know how ppl concluding there will be talks with the Taliban, its a meeting on Afghanistan in Moscow: MEA
— ANI (@ANI) November 9, 2018
प्रवक्ता ने कहा कि भारत पड़ोसी देश अफगानिस्तान में शांति और मध्यस्थता की उन सारी प्रक्रियाओं का समर्थन करता है, जिससे वहां एकता और विविधता संरक्षित हो तथा स्थायित्व एवं समृद्धि आए। उन्होंने कहा कि भारत की यह नीति रही है कि ये प्रयास अफगानिस्तान की ओर से, उसके नेतृत्व और नियंत्रण में तथा अफगान सरकार के सहयोग से होने चाहिए।
युद्धग्रस्त अफगानिस्तान को लेकर आयोजित होने वाली इस अंतरराष्ट्रीय बैठक में अफगानी प्रतिनिधि भी शामिल हो सकते हैं। मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार, आतंकवादियों से बातचीत के प्रयासों के लिए अधिकृत ‘हाई पीस काउंसिल’ नामक अफगानिस्तान के सरकारी संगठन के चार प्रतिनिधि इस बैठक में हिस्सा ले सकते हैं।