डोकलाम विवाद पर भारत था पूरी तरह तैयार

punjabkesari.in Wednesday, Aug 30, 2017 - 09:48 AM (IST)

नेशनल डैस्कः डोकलाम पर विवाद बढ़ने पर भारत ने किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरी तैयारी कर रखी थी। सिलीगुड़ी के सुकना में तैनात 33 कोर की सभी तीन डिविजनों को भारत-चीन सीमा पर तैनात कर दिया था। कई हथियारों को अपग्रेड भी किया गया। टी-90 लेसर गाइडेड मिसाइल लगाई गईं। कई नए जहाज चीन सीमा के पास मौजूद हवाई अड्डों पर तैनात किए गए। भारत ने जापान और अमरीकी नौसेना के साथ हिंद महासागर में आप्रेशन मालाबार में हिस्सा लिया था, इसे भी चीन के खिलाफ  तीनों देशों की रणनीति के तौर पर देखा गया। इस विवाद पर जापान और अमरीका ने एक तरह से भारत का समर्थन किया था।

डोकलाम को भूटान में डोलम कहा जाता है। करीब 300 वर्ग किलोमीटर का यह इलाका चीन की चुंबी वैली से सटा हुआ है और सिक्किम के नाथुला दर्रे के करीब है। इस इलाके को ट्राई जंक्शन के नाम से भी जाना जाता है। यह डैगर यानी खंजर की तरह का भौगोलिक इलाका है, जो भारत के ‘चिकन नैक’ यानी सिलिगुड़ी कॉरिडोर की तरफ  जाता है। चीन की चुंबी वैली का यहां आखिरी शहर है याटूंग। चीन इसी याटूंग शहर से लेकर डोकलाम तक सड़क बनाना चाहता है, जिस पर भारत और भूटान को एतराज है।

इसलिए आगे आया भारत
अगर चीन डोकलाम में सड़क बनाने में कामयाब हो जाता, तो उसके लिए भारत के ‘चिकन नैक’ कहे जाने वाले सिलीगुड़ी तक पहुंच काफी आसान हो जाती। डोकलाम से सिलीगुड़ी कॉरिडोर की दूरी महज 50 किलोमीटर है। सिलीगुड़ी कॉरिडोर ऐसा इलाका है जिससे शेष भारत उत्तर-पूर्व के 7 राज्यों से जुड़ता है। 200 किलोमीटर लंबा और 60 किलोमीटर चौड़ा यह कॉरिडोर देश के लिए बेहद जरूरी है।


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