भारत ने पाकिस्तान को दी कड़ी चेतावनी- नहीं सहेंगे आतंकवाद, POK भी वापस लेंगे!
punjabkesari.in Saturday, Jun 07, 2025 - 05:38 PM (IST)

International Desk: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव ने उपमहाद्वीप की स्थिरता को गंभीर खतरे में डाल दिया है। पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी हमलों और उसके नेताओं के भड़काऊ बयानों ने एक बार फिर भारत को कड़ी प्रतिक्रिया देने के लिए मजबूर कर दिया है। 1972 का शिमला समझौता और 1960 की सिंधु जल संधि, जो दोनों देशों के संबंधों की नींव माने जाते थे, अब सवालों के घेरे में हैं।
पाकिस्तान का नया छल
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में एक टेलीविज़न इंटरव्यू में दावा किया कि शिमला समझौता अब "मृत दस्तावेज़" है और नियंत्रण रेखा (LoC) सिर्फ एक "सीज़फायर लाइन" भर रह गई है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अब पाकिस्तान कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाएगा न कि भारत के साथ द्विपक्षीय वार्ता में।भारत ने इस बयान को पूरी तरह खारिज करते हुए पाकिस्तान को चेतावनी दी कि यदि वह 1972 के समझौते की मूल भावना से पीछे हटेगा, तो परिणाम भुगतने को तैयार रहे। इस पर पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने आनन-फानन में सफाई दी कि शिमला समझौता अब भी प्रभावी है लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह दोहरे रवैये की रणनीति है।
भारत की आतंकवाद पर सबसे बड़ी मार
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले (26 पर्यटकों की मौत) के बाद भारत ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश देते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया। भारत का कहना है कि “ पानी और आतंक एक साथ नहीं बह सकते ।” पाकिस्तान ने इसे "जल युद्ध" कहा और चार कड़े विरोध-पत्र भेजे। भारत का कहना है कि जब तक पाकिस्तान अपनी जमीन से आतंकवाद को खत्म नहीं करता कोई संधि बहाल नहीं होगी।
राजनाथ सिंह का दो टूक
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने CII कार्यक्रम में कहा: वो दिन दूर नहीं जब POK हमारे पास होगा। वहां के लोग खुद भारत में शामिल होना चाहते हैं।"उन्होंने यह भी जोड़ा कि आतंकवाद मानवता पर अभिशाप है और भारत की नीति हमेशा "Zero Tolerance" रही है। उन्होंने आतंकवादियों को स्वतंत्रता सेनानी कहने वाले नैरेटिव को तोड़ने की अपील की और कहा कि आतंकवाद किसी धर्म या विचारधारा का हिस्सा नहीं हो सकता।
कूटनीति बनाम दबाव
भारत ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समर्थन जुटाने के लिए एक आक्रामक कूटनीतिक अभियान चलाया। अमेरिका, फ्रांस, जापान जैसे देशों ने भारत का समर्थन किया। हालांकि विपक्ष ने आरोप लगाया कि संघर्षविराम अमेरिका के दबाव में स्वीकार किया गया। लेकिन सरकार ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय रणनीतिक विवेक और अंतरराष्ट्रीय समर्थन के तहत लिया गया है।
अब निर्णायक समय
भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया घटनाक्रम यह संकेत देते हैं कि अब पुराने समझौते या "शांति के भ्रम" नहीं, बल्कि ठोस कार्यवाही की आवश्यकता है। भारत ने साफ कर दिया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को खत्म नहीं करता, कोई बातचीत, संधि या विश्वास की उम्मीद नहीं की जा सकती।