अंतरिक्ष बजट के मामले में भारत बना विश्व का आठवां देश, चंद्रयान-3 के बाद अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी

punjabkesari.in Saturday, Aug 23, 2025 - 02:23 PM (IST)

नेशनल डेस्क : भारत 23 अगस्त को अपना तीसरा राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मना रहा है। इस दिन भारत के चंद्रयान-3 मिशन ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कर इतिहास रचा था। इस उपलब्धि ने देश की व्यापक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था और उससे जुड़े बुनियादी ढांचे पर वैश्विक ध्यान केंद्रित किया है। हालांकि वर्ष 2024 में अमेरिका, चीन, जर्मनी, जापान, फ्रांस, रूस और इटली जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं ने भारत की तुलना में अंतरिक्ष क्षेत्र में अधिक खर्च किया है। इस आधार पर भारत वैश्विक स्तर पर अंतरिक्ष पूंजीगत व्यय बजट में आठवें स्थान पर है।

विश्लेषण में पता चला है कि भारत ने 2024 में अपने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 0.05 प्रतिशत अंतरिक्ष क्षेत्र पर खर्च किया, जबकि अमेरिका ने 0.27 प्रतिशत, जापान ने 0.17 प्रतिशत और रूस ने 0.18 प्रतिशत व्यय किया। जर्मनी 0.06 प्रतिशत के साथ भारत से थोड़ा आगे है, जबकि चीन, फ्रांस और इटली ने भारत के मुकाबले लगभग दोगुना हिस्सा अपनी अर्थव्यवस्था का अंतरिक्ष क्षेत्र पर खर्च किया।

वित्तीय वर्ष 2017 में भारत का अंतरिक्ष अनुसंधान पर पूंजीगत व्यय 3,587 करोड़ रुपये था, जो वित्त वर्ष 2020 में बढ़कर 7,181 करोड़ रुपये हो गया। इसके बाद वित्त वर्ष 2023 में यह घटकर 4,253 करोड़ रुपये रह गया, लेकिन वित्त वर्ष 2026 के बजट अनुमान के अनुसार यह फिर से बढ़कर 6,103 करोड़ रुपये हो जाएगा।

वित्त वर्ष 2017 से 2026 तक के अंतरिक्ष बजट में अनुसंधान पर पूंजीगत व्यय की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से 55 प्रतिशत के बीच रही है। इस मद में सबसे बड़ा खर्च अंतरिक्ष तकनीक के विकास के लिए होता है। वित्त वर्ष 2024 में यह हिस्सा 77 प्रतिशत था, जबकि वित्त वर्ष 2025 (संशोधित) और वित्त वर्ष 2026 (बजट अनुमान) में यह 76 प्रतिशत रहने का अनुमान है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Shubham Anand

Related News