भारत ने सफलतापूर्वक परीक्षण की नई hypersonic missile, 3 सेकंड में 3 KM की रफ्तार, चीन-पाकिस्तान तक पहुंची रेंज
punjabkesari.in Monday, Nov 18, 2024 - 11:21 AM (IST)
नेशनल डेस्क: भारत ने 16 नवंबर 2024 की रात एक ऐतिहासिक सफलता हासिल की जब उसने अपनी नई हाइपरसोनिक एंटी-शिप मिसाइल का सफल परीक्षण किया। इस मिसाइल को LRAShM (Long Range Anti-Ship Missile) के नाम से जाना जा रहा है। यह परीक्षण भारत के सैन्य क्षेत्र में एक बड़ी छलांग को दर्शाता है, और अब भारत उन देशों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक है। भारत ने यह मिसाइल अपनी स्वतंत्र तकनीकी क्षमता के आधार पर विकसित की है, और यह मिसाइल रक्षा क्षेत्र में देश की ताकत को कई गुणा बढ़ा देती है।
हाइपरसोनिक मिसाइल की गति और रेंज
भारत की नई हाइपरसोनिक मिसाइल की सबसे बड़ी विशेषता उसकी अत्यधिक गति है। इस मिसाइल की गति 11,113.2 किलोमीटर प्रति घंटा (यानि लगभग 3.087 किलोमीटर प्रति सेकंड) है। यह गति इतनी तेज है कि इसे ट्रैक करना और नष्ट करना मुश्किल हो जाता है। साधारण शब्दों में कहें तो, यह मिसाइल ध्वनि की गति से पांच गुना अधिक तेज़ चलने में सक्षम है, जो इसे दुश्मन के लिए बेहद घातक बनाता है। इस मिसाइल की रेंज 1500 किलोमीटर से अधिक है, जो इसे भारत के लिए महत्वपूर्ण रणनीतिक बढ़त प्रदान करती है। मिसाइल का यह रेंज उसे पाकिस्तान और चीन की सीमा तक प्रभावी बनाता है। अगर इसे पाकिस्तान सीमा के पास तैनात किया जाता है तो यह पूरे पाकिस्तान को अपनी रेंज में कवर कर सकती है। इसके अलावा, अगर इसे चीन की सीमा के पास तैनात किया जाता है तो यह चीन के लगभग 45 प्रतिशत क्षेत्रको अपनी रेंज में लाने में सक्षम हो सकती है।
समुद्र में मिसाइल की भूमिका
भारत के पास एक विशाल समुद्री क्षेत्र है और इस क्षेत्र से दुनिया के 80 प्रतिशत तेल का व्यापार गुजरता है। भारतीय समुद्री क्षेत्र (Indian Ocean Region, IOR) की सुरक्षा के लिए इस हाइपरसोनिक मिसाइल का इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर कोई विदेशी जहाज या युद्धपोत भारतीय समुद्री क्षेत्र में घुसपैठ करने की कोशिश करता है तो यह मिसाइल उसे तुरंत नष्ट कर सकती है। इसकी सटीकता और उच्च गति के कारण, यह मिसाइल समुद्र में दुश्मन के जहाजों के लिए एक वास्तविक खतरा बन जाती है। अगर चीन या पाकिस्तान भारतीय जलक्षेत्र में किसी भी प्रकार की घुसपैठ करने की कोशिश करते हैं, तो यह मिसाइल उन्हें समंदर में ही नष्ट कर सकती है। विशेष रूप से भारतीय नौसेना को इस मिसाइल का उपयोग समुद्र के विभिन्न हिस्सों जैसे कि अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर में दुश्मन के जहाजों को निशाना बनाने के लिए किया जा सकता है।
मिसाइल की तकनीकी विशेषताएं
भारत की हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीकी दृष्टिकोण से बहुत उन्नत है और इसमें कई महत्वपूर्ण विशेषताएँ शामिल हैं:
1. स्पीड और ट्रैकिंग सिस्टम: इस मिसाइल की गति इतनी अधिक है कि इसे दुनिया के अधिकांश एयर डिफेंस सिस्टम द्वारा ट्रैक या इंटरसेप्ट करना लगभग असंभव है। इसकी गति के कारण यह दुश्मन के लिए एक अप्रत्याशित खतरा बन जाती है।
2. मैन्युवरेबिलिटी (Direction Changing Capability): यह मिसाइल अपनी दिशा और गति को बदलने की क्षमता रखती है। इसका मतलब है कि दुश्मन की ओर से किए गए प्रयासों के बावजूद, इसे सही दिशा में निशाना बनाने की कोई संभावना नहीं होती। इसके द्वारा टारगेट को बदलने की क्षमता इसे दुश्मन के लिए और भी ज्यादा खतरनाक बना देती है।
3. सटीकता (Precision): इस मिसाइल की सटीकता बेहद उच्च स्तर की है, जिससे यह अपने टारगेट को बिना किसी अतिरिक्त मार्गदर्शन के पूरी तरह से नष्ट कर सकती है। इस खासियत के कारण, यह मिसाइल दुश्मन के सैन्य ठिकानों को सीधे और प्रभावी रूप से निशाना बनाती है।
The @DRDO_India has successfully conducted a flight trial of its long range hypersonic missile on 16th Nov 2024 from Dr APJ Abdul Kalam Island, off-the-coast of Odisha.
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) November 17, 2024
Raksha Mantri Shri @rajnathsingh has congratulated DRDO, Armed Forces and the Industry for successful flight… pic.twitter.com/wq7yM2YS9f
भारत के पास हाइपरसोनिक मिसाइल ट्रैकिंग सिस्टम
भारत के पास हाइपरसोनिक मिसाइलों को ट्रैक करने और इंटरसेप्ट करने के लिए एक उच्च-स्तरीय सिस्टम भी मौजूद है। इस ट्रैकिंग सिस्टम के कारण भारत को यह लाभ मिलता है कि वह अपने हाइपरसोनिक मिसाइलों को सटीक रूप से ट्रैक कर सकता है, जबकि कई ताकतवर देशों के पास यह तकनीक नहीं है। इसका मतलब यह है कि जब भारत को अपनी मिसाइलों की प्रतिक्रिया और मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है, तो वह बिना किसी अड़चन के यह कर सकता है।
हाइपरसोनिक मिसाइल क्या होती है?
हाइपरसोनिक मिसाइल ऐसी मिसाइलें होती हैं, जो ध्वनि की गति से पाँच गुनाअधिक (यानि मैक 5) गति से चलने में सक्षम होती हैं। साधारण भाषा में कहें तो इनकी गति 6100 किलोमीटर प्रति घंटा से भी अधिक हो सकती है। इन मिसाइलों का सबसे बड़ा गुण यह है कि इनमें अपनी दिशा और गति में बदलाव करने की क्षमता होती है, जिससे दुश्मन के लिए इन्हें ट्रैक करना और नष्ट करना बहुत कठिन हो जाता है।
हाइपरसोनिक हथियारों के प्रकार
हाइपरसोनिक हथियार मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:
1. ग्लाइड व्हीकल्स (Hypersonic Glide Vehicles): इस प्रकार के हथियारों में एक छोटा सा मिसाइल लांचर होता है, जिसे एक तय दिशा में छोड़ा जाता है। फिर यह ग्लाइड करके अपने टारगेट की ओर बढ़ता है।
2. हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल: यह एक प्रकार की मिसाइल होती है, जो हाइपरसोनिक गति से अपने टारगेट की ओर बढ़ती है और मार्ग में बदलाव करने की क्षमता रखती है।
कौन से देशों के पास हैं हाइपरसोनिक मिसाइलें?
फिलहाल, हाइपरसोनिक मिसाइलें सिर्फ कुछ देशों के पास हैं। इनमें अमेरिका, रूस और चीन शामिल हैं। इसके अलावा, उत्तर कोरिया भी अपनी हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक पर काम कर रहा है। इन देशों ने हाइपरसोनिक हथियारों को अपने सैन्य सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए विकसित किया है, और अब भारत भी इस सूची में शामिल हो गया है।
भारत का सैन्य विकास और क्षेत्रीय सुरक्षा में नया कदम
भारत का यह कदम उसकी सैन्य शक्ति को और मजबूत करता है, खासकर एशियाई क्षेत्र में। हाइपरसोनिक मिसाइलों की प्रौद्योगिकी ने भारत को उन देशों के बराबरी में ला खड़ा किया है, जिनके पास सबसे उन्नत और घातक मिसाइल तकनीकें हैं। भारतीय नौसेना, वायुसेना और सेना के लिए यह मिसाइल एक प्रभावी रणनीतिक हथियार साबित होगी। इसके साथ ही, भारत ने अपनी रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता की ओर एक और कदम बढ़ाया है, जिससे देश की सुरक्षा और सामरिक स्थिति में और मजबूती आएगी।
यह हाइपरसोनिक मिसाइल भारत को न केवल पाकिस्तान और चीन के खिलाफ एक मजबूत रक्षा कवच प्रदान करेगी, बल्कि यह समुद्री और हवाई क्षेत्र में भी सुरक्षा के नए मानक स्थापित करेगी। इसलिए, भारत का यह कदम केवल एक सैन्य उपलब्धि नहीं, बल्कि वैश्विक सैन्य सामर्थ्य में एक महत्वपूर्ण योगदान है। भारत की नई हाइपरसोनिक मिसाइल ने न केवल भारत की सैन्य ताकत को बढ़ाया है, बल्कि यह एशिया में भारत की स्थिति को भी और मजबूत बना दिया है। अब भारत के पास एक ऐसी शक्ति है, जो उसे किसी भी क्षेत्रीय संकट का सामना करने में सक्षम बनाएगी।