एक्सपर्ट बोले- गांवों का डिजिटाइजेशन करके उद्योग 4.0 की बुनियाद रखे भारत

punjabkesari.in Monday, May 18, 2020 - 06:46 PM (IST)

नई दिल्लीः अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक एवं आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को कोरोना वायरस ‘कोविड-19' वैश्विक महामारी के कारण दुनिया भर में आ रहे राजनीतिक-आर्थिक बदलावों का लाभ उठा कर आम जनजीवन में तकनीक के प्रयोग और देश के ग्रामीण भाग में डिजिटल सेवाओं को बढ़ावा देकर चौथी पीढ़ी के औद्योगीकरण के प्रयास तेज करने चाहिए। गत सप्ताहांत ग्रेटर नोएडा के एक शैक्षणिक संस्थान द्वारा कोविड-19 के संकट को लेकर चुनौतियों और अवसरों पर एक वेबिनार का आयोजन किया जिसका शीर्षक ‘कोविड-19 को हराने का उपाय-सकारात्मक अंतराष्ट्रीय सहयोग' था। इस आयोजन में मुख्य उद्बोधन बिज़नेस वीक पत्रिका की पूर्व भारतीय प्रमुख एवं वर्तमान में मुंबई स्थित गेटवे हाउस: भारतीय वैश्विक सम्बन्ध परिषद की कार्यकारी निदेशक मंजीत कृपलानी ने दिया।

कृपलानी ने कहा, ‘‘हमें इस तरह के संकट से निपटने के लिए अभूतपूर्व सकारात्मकता की आवश्यकता है। 2020 ने नयी पीढ़ी के भारतीयों को एक नया भारत बनाने का अवसर दिया है जिसे निराशा को दूर रखते हुए सदुपयोग में लेने का प्रयास करना होगा।'' सुश्री कृपलानी ने कहा, ‘‘कोविड-19 के वैश्विक संकट ने हमें आम जनजीवन में तकनीक का इस्तेमाल और ग्रामीण भारत में डिजीटलीकरण को बढ़ा कर भारत में चौथी पीढ़ी के औद्योगीकरण यानी उद्योग 4.0 की बुनियाद तैयार करने का अवसर दिया है। यह समय भारत के लिए बड़ी छलांग लगाने और विश्व की भू-राजनीति में हो रहे बड़े बदलावों का लाभ उठाने का है। भारत को अपने आकार का फायदा उठा कर चीन एवं अमेरिका सहित समूची वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर देश की निर्भरता को कम करने का प्रयास करना चाहिए।''

भारत अवसर का उठाए फायदा, एशिया में निभा सकता है बड़ी भूमिका
ग्रेटर नोएडा के शारदा विश्वविद्यालय में इतिहास की सहायक प्रोफेसर डॉ शची अग्निहोत्री द्वारा आयोजित इस ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को दो सत्रों में विभाजित किया गया था। पहला-राजनीति और अर्थव्यवस्था पर और दूसरा - स्वास्थ्य, मीडिया और कूटनीति पर था। लगभग तीन घंटे के विचार-विमर्श में भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और चीन से सम्मिलित हुए वक्ताओं ने यह भी कहा कि कोरोना वायरस महामारी द्वारा उत्पन्न सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों से निपटने में आपसी सहयोग और करुणा की महत्वपूर्ण भूमिका है। ब्रिटिश सरकार के उच्च अधिकारियों में शुमार इंस्टीट्यूट ऑफ डायरेक्टर्स के महानिदेशक जॉन गेल्डार्ट और ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के साथ नियमित वार्ताकार ऋषि सुनक ने कहा कि असल समस्या विश्व की सरकारों को यह समझाने की है कि वर्तमान समय में व्यापार को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

गेल्डार्ट ने पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल के बयान के हवाले से कहा कि ‘कभी भी एक अच्छा मौका बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए' और भारत को सलाह दी कि वह वर्तमान समय को अवसर की तरह इस्तेमाल करके न केवल कोविड-19 से बाहर निकले बल्कि एशिया की सबसे महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनकर भी उभरे। आईटीजीयम फ्रांस के सीईओ फ्रेंकोइस डी शेवलरी ने फ्रांस और यूरोप का उदाहरण देते हुए यह सुझाव दिया कि कोविड-19 संकट वित्तीय और सामाजिक सुरक्षा प्रणाली के लिए भारी हानि पैदा कर सकता है। पर्यावरण और औद्योगिक प्रदूषण के मुद्दों में रुचि रखने वाले श्री शेवलरी ने कहा कि कोविड-19 ने विश्व को यह भी दिखाया कि चीन और भारत सहित सभी प्रमुख देशों के लिए ऐसे मुद्दों पर एक साथ आना कितना महत्वपूर्ण है।

चीन से है भारत की टक्कर
चीन के एक शीर्ष जनसांख्यिकी के प्रोफेसर होंग मी ने चीन के हूपेई प्रान्त के बाहर के क्षेत्रों में कोविड-19 निमोनिया की पहचान और प्रसार के पैटर्न पर अपने अध्ययन पर चर्चा की। उल्लेखनीय है कि वुहान हूपेई प्रांत की राजधानी है। प्रोफेसर मी के अध्ययन से पता चला है कि हूपेई के बाहर कोरोनो वायरस के 73 प्रतिशत मामले-सभी वुहान से प्रसारित हुए थे। बीबीसी के पूर्व चीन मामलों के विशेषज्ञ और वर्तमान में बेनेट विश्वविद्यालय में पत्रकारिता के सहायक प्रोफेसर, डॉ तिलक झा ने कोविड-19 के दौरान उभरते चीनी कूटनीति पर बात की। डॉ झा ने तकर् दिया कि कोविड-19 के साथ या बिना, चीन ने वैश्विक जिम्मेदारी को साझा करने की इच्छा दिखाई है।

विश्व शक्ति के रूप में चीन की स्वीकार्यता की कुंजी इस पर निर्भर करेगी की वो दुनिया को अपनी बात कितनी सुसंगत और व्यापक रूप से समझाने में सक्षम हैं। डॉ. झा ने कहा कि भारत जैसे देशों को चीन द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों का सामना करने के साथ ही, चीन द्वारा प्रस्तुत अवसरों का भी उपयोग करना चाहिए। बीबीसी मॉनिटरिंग के एशिया पैसिफिक यूनिट के प्रमुख देवांशु गौर ने भी वैश्विक महामारी कोविड-19 को जड़ से खत्म करने के लिए सभी देशों के परस्पर संशय की भावना को दरकिनार करते हुए आपसी सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। सम्मेलन में जहां एक ओर प्रोफेसर एमेरिटस लॉयड फर्नाल्ड ने अमेरिका में कोविड-19 से हो रहे नकारात्मक प्रभावों एवं सरकारी कदमों की चर्चा की, वहीं दूसरी ओर डाड-जर्मनी की समन्वयक एवं ऑलिशिए में व्याख्याता इसाबेल रोसके ने कोरोना वायरस से सफलतापूर्वक निपटने के जर्मन मॉडल पर प्रकाश डाला।

 


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Yaspal

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