भारत के शेयर बाजार में 520 बिलियन डॉलर का नुकसान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के GDP से भी बड़ा
punjabkesari.in Monday, Feb 24, 2025 - 08:08 PM (IST)
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बिजनेस डेस्क: भारत के शेयर बाजार में इस समय भारी गिरावट देखने को मिल रही है। जनवरी से लेकर अब तक, घरेलू शेयरों ने कुल मिलाकर 26 लाख करोड़ रुपये (306 बिलियन डॉलर) का नुकसान उठाया है। जनवरी में हुए नुकसान को जोड़ते हुए, भारतीय बाजार के लिए कुल 45 लाख करोड़ रुपये (520 बिलियन डॉलर) का नुकसान हुआ है। यह नुकसान न केवल भारत के लिए बल्कि पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) से भी अधिक है। इस लेख में हम इस गिरावट के कारण, वैश्विक आर्थिक बदलावों के असर, और आने वाली संभावनाओं पर चर्चा करेंगे।
भारत में 2025 तक 520 बिलियन डॉलर का नुकसान!
हालिया आंकड़ों के अनुसार, 31 जनवरी से अब तक भारतीय शेयर बाजार की कुल बाजार पूंजीकरण में 26 लाख करोड़ रुपये (306 बिलियन डॉलर) का नुकसान हुआ है। जनवरी के नुकसान को जोड़ने पर यह आंकड़ा 45 लाख करोड़ रुपये (520 बिलियन डॉलर) तक पहुंचता है, जो पाकिस्तान और बांग्लादेश के अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद से भी अधिक है। IMF (International Monetary Fund) के आंकड़ों के मुताबिक, पाकिस्तान के लिए 2025 में अनुमानित GDP 393 बिलियन डॉलर है, जबकि बांग्लादेश का अनुमानित GDP 481 बिलियन डॉलर है। ऐसे में भारत के बाजार में हुई गिरावट को इन देशों के पूरे वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद से भी बड़ा नुकसान माना जा सकता है।
गिरावट के कारण और वैश्विक बदलाव
इस गिरावट के पीछे कई कारण हैं, जिनमें प्रमुख कारण वैश्विक फंडों का भारत से निकलकर अन्य आकर्षक बाजारों जैसे चीन और जापान की ओर रुख करना है। वैश्विक निवेशकों का भारत के प्रति रुझान घट रहा है, और फरवरी में भारत को वैश्विक फंडों द्वारा दूसरा सबसे कम पसंदीदा बाजार माना गया। Bofa Securities के सर्वेक्षण के अनुसार, चीन और जापान जैसे बाजारों में निवेश बढ़ाने का कारण सतर्क आशावाद है, जबकि भारत में निवेश में गिरावट आई है। इससे पहले, भारत में निवेश को लेकर उम्मीदें उच्च थीं, लेकिन अब आर्थिक और आय वृद्धि की उम्मीदें कमजोर हो रही हैं, जिससे बाजार में गिरावट आई है।
निफ्टी और मिडकैप में नुकसान
भारत के प्रमुख स्टॉक इंडेक्स, निफ्टी का बाजार पूंजीकरण 443.47 लाख करोड़ रुपये से घटकर 398.46 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो 45 लाख करोड़ रुपये यानी 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट को दर्शाता है। इसके अलावा, भारत की 10 सबसे बड़ी कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में 4.41 प्रतिशत की गिरावट आई है। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में बिकवाली का दबाव ज्यादा रहा है। 2024 के अंत में निफ्टी कंपनियों की आय उम्मीदों के मुकाबले कम रही, जिससे उनकी आय में भी गिरावट आई है।
अर्थव्यवस्था में कमजोरी और डॉलर का प्रभाव
भारतीय रुपये की कमजोरी भी इस गिरावट का एक कारण है। डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट आई है, जिससे विदेशी निवेशकों का पैसा भारत से बाहर जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप बाजार से विदेशी निकासी बढ़ी है और भारतीय शेयर बाजार को दबाव का सामना करना पड़ रहा है।
सकारात्मक संकेत क्या आ रही है राहत?
हालांकि, इस गिरावट के बीच कुछ उम्मीद की किरण भी दिखाई दे रही है। ICICI Securities ने बताया कि पिछले दो दशकों में निफ्टी मिडकैप और स्मॉल कैप में औसतन क्रमशः 27 प्रतिशत और 29 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। वर्तमान सुधारात्मक चरण में, जहां बाजार में निराशा का माहौल है, कुछ ब्रोकरेज हाउसेस ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही बाजार में सुधार हो सकता है।
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चौड़ाई संकेतक: बाजार में चौड़ाई संकेतक मंदी के चरम पर पहुंच चुका है, जिससे यह संकेत मिलता है कि निकट भविष्य में बाजार में स्थिरता आ सकती है।
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मांग में वृद्धि: पिछले दो दशकों के आंकड़े यह बताते हैं कि निफ्टी मिडकैप और स्मॉल कैप इंडेक्स ओवरसोल्ड स्थिति में हैं और इसके परिणामस्वरूप अगले तीन महीनों में 20 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।
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डॉलर की कमजोरी: अमेरिकी डॉलर के इंडेक्स में गिरावट आई है, जो उभरते बाजारों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
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भू-राजनीतिक स्थिरता: अगर भू-राजनीतिक संकटों में कमी आती है, तो यह भारतीय शेयर बाजार में कुछ स्थिरता ला सकता है।