सावधान! भारत में तेजी से बढ़ रहा ये कारोबार, पेनकिलर मेडिसिन से करोड़ों कमा रहीं कंपनियां; क्या सेहत के लिए है सही ये दवाईयां?

punjabkesari.in Sunday, Jul 20, 2025 - 03:08 PM (IST)

नेशनल डेस्क : भारत में दर्द से राहत देने वाली दवाओं का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। रोजाना की जिंदगी में लोग मांसपेशियों में खिंचाव, थकान या चोट जैसे दर्द से जल्दी छुटकारा पाने के लिए पेनकिलर टैबलेट, स्प्रे और क्रीम का इस्तेमाल पहले से ज्यादा करने लगे हैं। यही वजह है कि भारत में पेन रिलीफ दवाओं का कारोबार अब लगभग 16,000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले पांच साल में इस सेगमेंट में 1 अरब डॉलर से ज्यादा का इजाफा हुआ है। यह बिना डॉक्टर की पर्ची वाली दवाओं (Over-The-Counter Medicine) के सबसे तेजी से बढ़ने वाले बाजारों में शामिल हो गया है। कोरोना महामारी के बाद से इस सेक्टर में नए ब्रांड्स की बाढ़ आ गई। ET की रिपोर्ट बताती है कि कोविड के बाद हर हफ्ते औसतन 5 नए पेन रिलीफ ब्रांड लॉन्च हुए। साल 2020 में ऐसे ब्रांड्स की संख्या 1,552 थी, जिसमें वोलिनी, ओमनीजेल, डोलो और सेरिडॉन जैसे नाम शामिल थे। अब ये बढ़कर 2,771 ब्रांड्स हो गए हैं।

एक हेल्थ कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर का कहना है कि आज लोग दर्द से जल्दी राहत को प्राथमिकता देने लगे हैं। हालांकि बार-बार पेन रिलीफ दवाएं लेने के नुकसान भी हैं, लेकिन इसके बावजूद मांग लगातार बढ़ रही है। शहरों में इसकी डिमांड सबसे ज्यादा है। जिम में चोट लगना, मांसपेशियों में दर्द और खिंचाव जैसी वजहों से एनाल्जेसिक और रूबेफेसिएंट्स जैसी दवाओं की बिक्री बढ़ रही है।

मई 2020 में इनका मार्केट कैप 6,820 करोड़ रुपये था, जो मई 2025 में बढ़कर 15,905 करोड़ रुपये हो गया। यानी ये बाजार हर साल 18% की दर (CAGR) से बढ़ रहा है।

एनाल्जेसिक दवाएं पेन रिलीफ कैटेगरी का लगभग 75% हिस्सा कवर करती हैं, जिनमें पैरासिटामोल का बड़ा योगदान है। बायर फार्मास्युटिकल्स में साउथ एशिया के कंज्यूमर हेल्थ बिजनेस के प्रमुख संदीप वर्मा का कहना है कि भारत में कई लोग अभी भी मानते हैं कि बार-बार पेन रिलीफ मेडिसिन लेना कमजोरी की निशानी है। लेकिन कोविड के बाद लोगों ने महसूस किया कि तनाव, थकान और हल्का दर्द भी सेहत और काम करने की क्षमता को काफी प्रभावित करता है, इसलिए लोग अब दर्द को नजरअंदाज नहीं कर रहे और तुरंत राहत चाहते हैं। यह बाजार आने वाले समय में और भी तेजी से बढ़ सकता है क्योंकि लाइफस्टाइल, काम का दबाव और शारीरिक गतिविधियां दर्द की समस्याओं को बढ़ा रही हैं।



 


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Content Editor

Mehak

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