UPI ने बदली डिजिटल भुगतान की तस्वीर, 7 साल में 10 गुना बढ़ा भारत का डिजिटल लेनदेन

punjabkesari.in Tuesday, Aug 12, 2025 - 02:23 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत में डिजिटल भुगतान की दुनिया में एक क्रांति आई है। पिछले सात वर्षों में देश ने डिजिटल लेनदेन के क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति की है। वित्त मंत्रालय द्वारा हाल ही में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, डिजिटल लेनदेन की कुल मात्रा में 10 गुना से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। यह बदलाव दर्शाता है कि अब लोग नकद लेन-देन के बजाय ऑनलाइन भुगतान को प्राथमिकता देने लगे हैं।

साल 2017-18 से 2024-25 तक का सफर: जबरदस्त छलांग

वित्त वर्ष 2017-18 में जहां डिजिटल भुगतान लेनदेन की कुल संख्या 2,071 करोड़ थी, वहीं वित्त वर्ष 2024-25 में यह आंकड़ा बढ़कर 22,831 करोड़ पहुंच गया। यह बदलाव 41% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) को दर्शाता है। इसी दौरान लेनदेन का मूल्य भी 1,962 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 3,509 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इन आँकड़ों से साफ है कि डिजिटल भुगतान अब केवल सुविधा नहीं बल्कि आवश्यकता बन चुकी है।

मासिक आंकड़े भी बढ़त की कहानी कहते हैं

केवल सालाना आंकड़े ही नहीं, मासिक आंकड़ों में भी बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिली है।
जून 2024 में डिजिटल भुगतान की कुल मासिक मात्रा 1,739 करोड़ थी, जो जून 2025 में बढ़कर 2,099 करोड़ हो गई।
मासिक लेनदेन का मूल्य भी जून 2024 के 244 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर जून 2025 में 264 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

UPI: सबसे बड़ा गेमचेंजर

डिजिटल भुगतान के इस विशाल नेटवर्क में UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। साल 2017-18 में जहां UPI के माध्यम से किए गए लेनदेन की संख्या केवल 92 करोड़ थी, वहीं अब यह बढ़कर 18,587 करोड़ पहुंच गई है। UPI ने 114% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) दर्ज की है, जो किसी भी डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के लिए अभूतपूर्व है। लेनदेन का मूल्य भी 1.10 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 261 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इसका मतलब है कि लोग अब छोटे से बड़े हर प्रकार के भुगतान के लिए UPI का उपयोग कर रहे हैं।

UPI में नए नियमों का असर

हाल ही में UPI से संबंधित कुछ नए नियम लागू किए गए हैं, जिनका उद्देश्य इसे और अधिक उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाना है। अब UPI ऐप्स को कुछ ही सेकंड में लेनदेन की स्थिति (सफल या असफल) स्पष्ट रूप से दिखानी होगी। इससे यूज़र्स को लंबा इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा और लेनदेन की अनिश्चितता भी कम होगी। साथ ही NPCI (भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम) ने ऑटो-पे भुगतानों को संसाधित करने के लिए समय-सीमा भी तय की है। इसका उद्देश्य नियमित भुगतानों को और भी सरल और समयबद्ध बनाना है।

RBI की भूमिका और बयान

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में एक बयान में कहा कि भारत डिजिटल भुगतान को सुरक्षित, सुलभ और कुशल बनाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि UPI पूरी तरह मुफ्त नहीं है। उन्होंने कहा कि “मैंने कभी नहीं कहा कि UPI हमेशा के लिए मुफ्त नहीं रहेगा। हकीकत यह है कि इसकी लागतें हैं और उनका भुगतान किसी न किसी को करना होता है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि फिलहाल सरकार इसकी लागत को सब्सिडी के रूप में वहन कर रही है। लेकिन यह सवाल बना हुआ है कि भविष्य में इस लागत का बोझ किस पर पड़ेगा - सरकार, बैंकों या उपभोक्ताओं पर?


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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