Bank Robbery: भारत की सबसे बड़ी बैंक डकैती, खोदी सुरंग, लूटा गया था 80 किलो सोना और... जानें पूरा मामला

punjabkesari.in Monday, Aug 04, 2025 - 12:37 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत के इतिहास में कई डकैतियों ने सुर्खियाँ बटोरी हैं लेकिन केरल के मलप्पुरम जिले में हुई चेलेमब्रा बैंक डकैती जैसी कोई और घटना नहीं थी। इस डकैती की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं लगती। लुटेरों ने जिस चतुराई से योजना बनाई और उसे अंजाम दिया, वह सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ा सबक बन गया। हम आपको बताएंगे कि आखिर कैसे एक आम सी दिखने वाली दुकान ने देश की सबसे बड़ी बैंक डकैती को अंजाम देने का रास्ता बनाया, पुलिस ने कैसे इस केस को सुलझाया और इसने देश की बैंकिंग सुरक्षा पर क्या असर डाला।

कब और कहां हुई यह सनसनीखेज डकैती?

यह घटना 30 दिसंबर 2007 की है। जगह थी केरल के मलप्पुरम जिले का चेलेमब्रा कस्बा, जहां केरल ग्रामीण बैंक की एक शाखा स्थित थी। इस बैंक को लुटेरों ने अपना निशाना बनाया। डकैती में जो संपत्ति लूटी गई वह आज तक भारत में हुई किसी भी बैंक डकैती में सबसे ज्यादा थी। लूट में कुल 80 किलो सोना और लगभग 25 लाख रुपये नकद शामिल थे। उस समय इसकी कुल कीमत लगभग 8 करोड़ रुपये आँकी गई थी।

रेस्टोरेंट की आड़ में महीनों चली सुरंग खोदने की तैयारी

लुटेरों ने बैंक के ठीक नीचे स्थित एक दुकान को किराए पर लिया। उन्होंने खुद को एक पति-पत्नी और उनके दो साथियों के रूप में पेश किया और कहा कि वे वहाँ रेस्टोरेंट खोलना चाहते हैं। इस बहाने उन्होंने निर्माण कार्य शुरू किया और उसी दौरान चुपचाप बैंक के स्ट्रॉन्ग रूम तक पहुंचने के लिए सुरंग खोदनी शुरू की। इस सुरंग को बनाने में कई हफ्तों का समय लगा लेकिन उन्होंने इतनी सफाई से काम किया कि किसी को भनक तक नहीं लगी। जैसे-जैसे सुरंग स्ट्रॉन्ग रूम के पास पहुंची, वैसे-वैसे उनकी योजना भी अंतिम चरण में पहुंचती गई।

लूट की रात: सुरक्षा को दिया चकमा

30 दिसंबर की रात लुटेरों ने अपने प्लान को अंजाम दिया। वे सुरंग के रास्ते बैंक के स्ट्रॉन्ग रूम में पहुंचे और वहां से 80 किलो सोना और 25 लाख रुपये नकद लेकर भाग निकले। इस दौरान बैंक की सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह फेल साबित हुई। घटना के बाद जब पुलिस मौके पर पहुंची तो उन्हें बैंक की दीवार पर "जय माओ" लिखा मिला, जिससे शक हुआ कि कहीं यह माओवादियों का काम तो नहीं। यह बात पुलिस को दूसरी दिशा में भटका गई और शुरुआती जांच में कोई बड़ा सुराग नहीं मिल पाया।

जब पुलिस के हाथ लगा पहला सुराग

जांच के दौरान पुलिस ने इलाके के मोबाइल टावर से घटना वाली रात के कॉल डिटेल्स निकाले। इसी डेटा ने उन्हें पहला ठोस सुराग दिया। कॉल रिकॉर्ड्स की बारीकी से जांच करने के बाद पुलिस को कुछ संदिग्ध नंबर मिले, जिनके आधार पर उन्हें कोझिकोड (कोडिकोड) स्थित एक घर का पता चला। करीब डेढ़ महीने की मेहनत के बाद पुलिस उस घर तक पहुंची और चार आरोपियों को गिरफ्तार किया। हैरानी की बात ये रही कि डकैती में लूटी गई लगभग सारी संपत्ति भी वहीं से बरामद हो गई।

क्यों है यह डकैती सबसे खास?

चेलेमब्रा बैंक डकैती ने पूरे देश का ध्यान इसलिए खींचा क्योंकि यह अपने आप में कई मायनों में अनोखी थी। सबसे पहले तो यह भारत की अब तक की सबसे बड़ी बैंक डकैती मानी जाती है, जिसमें करोड़ों की संपत्ति लूटी गई। इस डकैती की योजना इतनी सटीक और सोच-समझकर बनाई गई थी कि यह किसी फिल्म की कहानी जैसी लगती है। खास बात यह रही कि लुटेरों ने बिना किसी हथियार का इस्तेमाल किए और बिना किसी गार्ड को नुकसान पहुँचाए इस पूरी वारदात को अंजाम दिया। महीनों तक रेस्टोरेंट की आड़ में सुरंग खोदने की तैयारी और उसके ज़रिए बैंक के स्ट्रॉन्ग रूम तक पहुंचने की तरकीब भारत में पहले कभी नहीं देखी गई थी। यह सब बातें मिलकर इस डकैती को देश के सबसे चर्चित और चौंकाने वाले अपराधों में से एक बनाती हैं।

इस डकैती से क्या सबक मिला?

चेलेमब्रा बैंक डकैती ने भारत की बैंकिंग सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए। इससे साफ हो गया कि केवल बाहर से सुरक्षा पर्याप्त नहीं होती, अंदर से भी निगरानी और निरीक्षण जरूरी है। इसके बाद कई बैंकों ने अपनी स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा को बेहतर किया, साथ ही CCTV, सतर्कता प्रणाली और बैकग्राउंड वेरिफिकेशन के नियमों को भी सख्त किया गया।


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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