ब्रह्मोस को और घातक बनाएंगे भारत-रूस, जद में होगा पूरा पाकिस्तान

Thursday, Sep 05, 2019 - 06:11 PM (IST)

नेशनल डेस्कः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो दिवसीय दौरे के दौरान भारत और रूस के बीच कई द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। दोनों देशों रक्षा के क्षेत्र में समझौते हुए। आने वाले दिनों में भारत और रूस मिलकर सुपरसोनिक क्रुज मिसाइल ब्रह्मोस की रेंज को 290 से बढ़ाकर 600 किमी. करने की दिशा में काम करेंगे। इससे न केवल पूरा पाकिस्तान इस मिसाइल की जद में होगा, बल्कि कोई भी टारगेट पल भर में इस मिसाइल के द्वारा तबाह किया जा सकेगा।

हवा, पानी और जमीन से दागा जा सकता है
ब्रह्मोस कम दूरी की रैमजेट इंजन युक्त, सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। इसे हवा, पानी, जमीन से दागा जा सकता है। रैमजेट इंजन की मदद से मिसाइल की क्षमता तीन गुणा तक बढ़ाई जा सकती है। अगर किसी मिसाइल की क्षमता 100 किमी दूरी तक है, तो उसे रैमजेट इंजन की मदद से 320 किमी तक किया जा सकता है।

रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया तभा भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने संयुक्त रूप से इसका विकास किया है। यह रूस की पी 800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। ब्रह्मोस मिसाइल का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है। इस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की गति ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना अधिक है।

हवा से सतह पर मार करने में सक्षम 2.5 टन वजनी ब्रह्मोस मिसाइल की मारक क्षमता 300 किलोमीटर है। इसके एयर लॉन्च वर्जन का परीक्षण लगातार चल रहा है। वायुसेना के सुखोई लड़ाकू विमान से इसके कई सफल फायर ट्रायल को आयोजित किया जा चुका है। ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल ध्वनि के वेग से करीब तीन गुना अधिक 2.8 मैक गति से लक्ष्य पर प्रहार करती है। इसके दागे जाने के बाद दुश्मन को संभलने का मौका भी नहीं मिलता है।

पाकिस्तान और चीन के पास भी नहीं ऐसी मिसाइल
ब्रह्मोस मिसाइल को दिन अथवा रात तथा हर मौसम में दागा जा सकता है। इस मिसाइल की मारक क्षमता अचूक होती है। वर्तमान में चीन और पाकिस्तान के पास अभी तक ऐसी मिसाइल नहीं है जिसे ज़मीन, समुद्र और आसमान तीनों जगहों से दागा जा सके। वर्तमान में भारत और रूस इस मिसाइल की मारक दूरी बढ़ाने के साथ इसे हाइपरसोनिक गति पर उड़ाने पर भी काम कर रहे हैं।

किसी मिसाइल के 'हाइपरसोनिक' होने का मतलब है कि उसकी इंजन की गति 6,200 किमी प्रति घंटा से अधिक है। इस मिसाइल में लगने वाले रैमजेट इंजन में सॉलिड फ़्यूल का इस्तेमाल किया जाता है। ब्रह्मोस एयरस्पेस के सीईओ सुधीर कुमार मिश्र ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) का सदस्य होने के नाते अब भारत और रूस मिलकर ब्रह्मोस मिसाइल की मारक दूरी को बढ़ाने के लिए काम करेंगे।

Yaspal

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