महिला के शव के लिए 16 साल बाद खुला भारत-पाक बॉर्डर, देख सभी की आंखें हुई नम

punjabkesari.in Wednesday, Aug 01, 2018 - 01:27 PM (IST)

नेशनल डेस्क: एक हफ्ते के इंतजार के बाद आखिरकार बुजुर्ग रेशमा का शव अपने वतन पहुंच गया है। सीमावर्ती क्षेत्र मारवाड़ की रेशमा के लिए सोलह साल बाद भारत-पाकिस्तान बॉर्डर खोला गया जिसे देख सभी की आंखें नम हो गई। मंगलवार को पाकिस्तान रेंजर्स ने बीएसएफ को रेशमा का शव सौंपा दिया जिसके बाद इसे इसे गडरारोड के निकट स्थित उसके गांव भेजा जा रहा है। मुनाबाव सीमा पर सड़क मार्ग को दूसरी बार खोला गया है। इससे पूर्व तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह इसी रास्ते से पाकिस्तान की यात्रा पर गए थे।
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जानकारी के अनुसार गडरा रोड तहसील के अगासडी गांव निवासी रेशमा तीस जून को अपने बेटे के साथ पाकिस्तान के सिंध सूबे में अपनी बेटी व बहन से मुलाकात के लिए गई थी। जहां बुखार आने की वजह से 25 जुलाई को उसका निधन हो गया। जिसके बाद उसके परिजनों ने जिला कलेक्टर के माध्यम से रेशमा का शव वापस भारत लाने के प्रयास शुरू किए।  मामला सामने आने के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्विटर पर हर संभव मदद का आश्वासन दिया। उनके  हस्तक्षेप के बाद भारतीय उच्चायोग हरकत में आया। 

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पहले रेशमा का शव भारत-पाकिस्तान के बीच चलने वाली थार एक्सप्रेस से लाने का प्रयास किया गया। जिसके चलते ट्रेन  को डेढ़ घंटे तक पाकिस्तान में रोक कर रखा गया, लेकिन औपचारिकताओं के अभाव में यह संभव नहीं हो पाया। आखिरकार 28 जुलाई को पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने रेशमा का शव सड़क मार्ग से भारत भेजने का आदेश जारी किया।  रेशमा के शव के साथ उसके पुत्र साहिब खान को भी भारत भेजे जाने अनुमति प्रदान की गई। शव सुबह पाकिस्तान के मीरपुरखास से रवाना किया गया था, जो दोपहर को पाकिस्तान के अंतिम रेलवे स्टेशन खोखरापार पहुंचा। बाद में सीमा पर स्थित गेट को खोल पाकिस्तानी रेंजर्स ने बीएसएफ के अधिकारियों को शव सौंपा। 

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vaqar

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