अमेरिका को एक और झटका देने की तैयारी में भारत! तेल के बाद रूस के साथ कर सकता है यह डील
punjabkesari.in Thursday, Aug 21, 2025 - 06:13 AM (IST)

नई दिल्लीः भारत और रूस के बीच ऊर्जा सहयोग एक नई दिशा में बढ़ता नजर आ रहा है। कच्चे तेल के बाद अब लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भी दोनों देश गहराई से साझेदारी करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। इस रणनीतिक गठजोड़ का प्रभाव केवल आर्थिक नहीं, बल्कि भू-राजनीतिक स्तर पर भी महसूस किया जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब अमेरिका और भारत के बीच रूसी तेल व्यापार को लेकर तनाव गहराता जा रहा है।
रूस से LNG की सप्लाई पर बातचीत शुरू
रूस के उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव ने पुष्टि की है कि रूस भारत को LNG (Liquefied Natural Gas) की आपूर्ति करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि रूस भारत के साथ न्यूक्लियर एनर्जी कोऑपरेशन को भी विस्तार देना चाहता है।
“ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को और मजबूत करने के लिए रूस भारत के साथ दीर्घकालिक LNG आपूर्ति समझौता करने की योजना बना रहा है,” — डेनिस मंटुरोव, रूसी उप प्रधानमंत्री
LNG एक स्वच्छ और कुशल ऊर्जा स्रोत है, जिसे परिवहन और भंडारण के लिहाज से तरल रूप में परिवर्तित किया जाता है। भारत के लिए यह सहयोग इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि देश अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए लगातार वैकल्पिक स्रोतों की तलाश में है।
तेल के बाद अब गैस भी रूस से
रूस पहले ही भारत को काफी रियायती दरों पर कच्चा तेल बेच रहा है — लगभग 5% डिस्काउंट पर। रूस के उप व्यापार प्रतिनिधि एवगेनी ग्रीवा के अनुसार, इस सहयोग को आने वाले वर्षों में और अधिक बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा: “भारत और रूस के बीच व्यापार हर साल लगभग 10% की दर से बढ़ रहा है। ऊर्जा साझेदारी में यह गति और बढ़ेगी।”
अमेरिका की नाराज़गी: ट्रंप सरकार ने भारत पर लगाया 25% अतिरिक्त टैक्स
भारत-रूस के बीच ऊर्जा समझौते अमेरिका को रास नहीं आ रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद पर नाराजगी जाहिर करते हुए 25% अतिरिक्त टैक्स लगाने का ऐलान किया है। यह कदम भारत के तेल आयात को महंगा कर सकता है।
क्रेमलिन ने इस अमेरिकी कदम को "गैरकानूनी और मनमाना" बताया है। वहीं दिल्ली स्थित रूसी दूतावास के अधिकारियों ने साफ किया है कि रूस भारत को तेल और अन्य ऊर्जा संसाधनों की आपूर्ति जारी रखेगा, चाहे अमेरिका कुछ भी कहे।
भारत का रुख: "ऊर्जा सुरक्षा सर्वोपरि"
भारत ने हमेशा अपने रुख में स्पष्टता दिखाई है कि वह राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक हितों को प्राथमिकता देता है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक देश है, और उसकी ऊर्जा जरूरतें लगातार बढ़ रही हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार: “भारत एक स्वतंत्र और संप्रभु नीति का पालन करता है। ऊर्जा आयात किससे करना है, यह भारत अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार तय करता है, न कि किसी विदेशी दबाव से।”
अमेरिकी वित्त मंत्री की नई चेतावनी
अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने हाल ही में कहा कि भारत रूस से तेल खरीद कर मुनाफा कमा रहा है, और इससे भारत के कुछ सबसे अमीर कारोबारी वर्ग को लाभ मिल रहा है। उन्होंने संकेत दिए कि अगर रूस से व्यापार नहीं रोका गया, तो अमेरिका अन्य आयातों पर भी टैक्स बढ़ा सकता है।