PM मोदी ने कहा- नाइजीरिया के साथ रणनीतिक साझेदारी को उच्च प्राथमिकता देता है भारत
punjabkesari.in Sunday, Nov 17, 2024 - 07:16 PM (IST)
International Desk: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi ) ने रविवार को नाइजीरिया ( Nigeria) के राष्ट्रपति बोला अहमद टिनुबू (Bola Ahmed Tinubu) के साथ वार्ता के दौरान कहा कि भारत, नाइजीरिया के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को उच्च प्राथमिकता देता है और वह रक्षा, ऊर्जा व व्यापार समेत विभिन्न क्षेत्रों में संबंधों को और मजबूत बनाने की दिशा में काम करेगा। बैठक में टेलीविजन पर अपने उद्घाटन भाषण में मोदी ने आतंकवाद, अलगाववाद, समुद्री डकैती, मादक पदार्थों की तस्करी को प्रमुख चुनौतियां बताया और कहा कि दोनों देश इनसे निपटने के लिए साथ मिलकर काम करना जारी रखेंगे।
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मोदी रविवार सुबह अबुजा पहुंचे। यह 17 वर्षों के अंतराल के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की नाइजीरिया की पहली यात्रा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “हम नाइजीरिया के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को उच्च प्राथमिकता देते हैं...मुझे विश्वास है कि हमारी वार्ता के बाद हमारे संबंधों में एक नया अध्याय शुरू होगा।” मोदी ने लगभग 60,000 प्रवासी भारतीयों को भारत-नाइजीरिया संबंधों का एक प्रमुख स्तंभ बताया तथा उनका कल्याण सुनिश्चित करने के लिए टिनुबू को धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री ने यह घोषणा भी की कि भारत पिछले महीने बाढ़ से प्रभावित नाइजीरियाई लोगों के लिए 20 टन राहत सामग्री भेज रहा है।
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उन्होंने पिछले साल भारत की मेजबानी में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में अफ्रीकी संघ के स्थायी सदस्य बनने का भी उल्लेख किया और इसे एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम बताया। प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता से पहले, मोदी और टिनुबू ने राष्ट्रपति भवन में आमने-सामने की बैठक की। प्रधानमंत्री का औपचारिक स्वागत भी किया गया। प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद दोनों पक्षों के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है। मोदी तीन देशों की यात्रा के तहत नाइजीरिया में हैं। वह जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए अबूजा से ब्राजील जाएंगे।
उनका अंतिम गंतव्य गुयाना होगा। अक्टूबर 2007 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की नाइजीरिया यात्रा के दौरान भारत-नाइजीरिया संबंधों को "रणनीतिक साझेदारी" का दर्जा दिया गया था। नाइजीरिया छह दशकों से अधिक समय से भारत का करीबी साझेदार रहा है। भारत ने 1960 में नाइजीरिया के स्वतंत्र होने से दो साल पहले नवंबर 1958 में लागोस में अपना राजनयिक भवन स्थापित किया था।