ईरान को ट्रम्प की धमकी से भारत के ‘चाबहार प्रोजेक्ट’ पर आंच

Thursday, Sep 21, 2017 - 07:30 PM (IST)

नई दिल्ली ( रंजीत कुमार ): ईरान के खिलाफ अमरीकी प्रतिबंध लगाने की राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की धमकी के बाद ईरान मेंं भारत द्वारा बनाया जा रहा ‘चाबहार प्रोजेक्ट’ अधर में लटक सकता है। हालांकि परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने अगले साल के अंत तक 'चाबहार बंदरगाह' को पूरा करने का भरोसा जाहिर किया है लेकिन यहां राजनयिक सूत्रों का कहना है कि अमरीका यदि नये सिरे से ईरान पर प्रतिबंध लगाता है तो वहां चाबहार बंदरगाह के काम को भारत के लिये आगे बढ़ाना मुश्किल हो सकता है। 

अमरीकी प्रशासन भारत से नाराज 
हालांकि बंदरगाह पर लगाए जाने वाले क्रेन के निर्माण का ठेका एक चीनी कम्पनी पूरा कर रही है और वह अमरीकी प्रतिबंध को नहीं मानेगी इसलिये माना जा रहा है कि बंदरगाह निर्माण में एक बड़ी अड़चन दूर हो गई है लेकिन बंदरगाह निर्माण से जुड़ी अन्य ढांचागत निर्माण कम्पनियां अमरीकी डर से हाथ खींच सकती हैं। यहां एक सूत्र ने कहा कि 'चाबहार बंदरगाह' पर काम जारी रखने से अमरीकी प्रशासन भी भारत से नाराज हो सकता है। ऐसी स्थिति में भारत के लिये मुश्किल हो जाएगा कि ईरान में चाहबहार बंदरगाह प्रोजेक्ट को जारी रखें या नहीं। 

ईरान के साथ सामरिक रिश्ते बनाए रखना मुश्किल
भारत के लिये ईरान और अमरीका के साथ संतुलन बना कर चलना मुश्किल हो जाएगा। चीन के साथ बिगड़ते रिश्तों और अमरीका के साथ गहराते रिश्तों के मद्देनजर भारत के लिये ईरान के साथ भी सामरिक रिश्तों को बनाए रखना मुश्किल होगा। अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों के साथ आर्थिक व व्यापारिक रिश्तों के साथ सामरिक रिश्तों को और गहराई देने में ईरान का चाहबहार बंदरगाह अहम जरिया बन सकता है। उल्लेखनीय है कि 'चाबहार बंदरगाह' बनाने की परिकल्पना एक दशक पहले की गई थी। दो साल पहले बंदरगाह का काम तेजी से पूरा करने के लिये भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच एक त्रिपक्षीय संधि भी हुई थी। इसी दौरान ईरान और अमरीका के बीच हुए परमाणु समझौता के बाद जब अमरीका ने ईरान पर से प्रतिबंध उठा लिया तो यह उम्मीद बंधी कि चाहबहार बंदरगाह के निर्माण में अड़चनें दूर हो गईं हैं। 

इस बंदरगाह से ईरान की अर्थव्यवस्था को मिलेगा लाभ 
'चाबहार बंदरगाह' की अहमियत यह है कि पाकिस्तान को नजरअंदाज कर इसके जरिये भारत अफगानिस्तान और मध्य एशिया के देशों के बीच आवाजाही कर सकता है। इस बंदरगाह को अफगानिस्तान और मध्य एशिया के विकास इंजन के तौर पर देखा जाता है। 'चाबहार बंदरगाह' को ईरान अफगानिस्तान सीमा से सड़क मार्ग से जोड़ा जाएगा। वहां जरांज सीमा से अफगानिस्तान के भीतर 220 किलोमीटर लम्बी सड़क का निर्माण भारत ने करीब आठ साल पहले ही पूरा कर लिया है। यह सड़क अफगानिस्तान ताजिकिस्तान सीमा तक जाती है। 

इस बंदरगाह के बनने से ईरान की अर्थव्यवस्था को भी लाभ मिलेगा इसलिये ईरान चाहता है कि जल्द से जल्द इसका निर्माण पूरा हो। इस बंदरगाह के विकास के लिये भारत ने नौ करोड़ डालर आवंटित किये हैं। पिछले सप्ताह जब अफगानिस्तान के विदेश मंत्री सलाहुद्दीन रब्बानी ने यहां विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की थी तब उन्हें भरोसा दिया गया था कि चाहबहार बंदरगाह वक्त पर पूरा कर लिया जाएगा।

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