इस मिशन में भारत और पाकिस्तान आए एक साथ, क्या रच पाएंगे एक नया इतिहास?

punjabkesari.in Monday, Aug 04, 2025 - 10:57 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: जब बात भविष्य की हो, तो दुश्मनी भी पीछे छूट जाती है। कुछ ऐसा ही देखने को मिला है नासा के हालिया अंतरिक्ष मिशन में, जहां भारत और पाकिस्तान पहली बार एक साथ शामिल हुए हैं। नासा के क्रू-11 मिशन के जरिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर भेजे गए बीजों में भारत के लद्दाख से लिए गए पौष्टिक सी बकथॉर्न और हिमालयी कुट्टू के बीज शामिल हैं, वहीं पाकिस्तान समेत 10 अन्य देशों के बीज भी इस अनोखे प्रयोग का हिस्सा बने हैं। उद्देश्य है – यह जानना कि क्या इन बीजों को अंतरिक्ष में उगाया जा सकता है। यह सिर्फ एक वैज्ञानिक मिशन नहीं, बल्कि यह सवाल भी है कि क्या भारत और पाकिस्तान की यह साझेदारी अंतरिक्ष में कोई नया इतिहास लिख पाएगी?

विज्ञान की दुनिया में सीमाएं मायने नहीं रखतीं और इस बात को सच कर दिखाया है भारत और पाकिस्तान ने, जब दोनों देशों के बीजों को एक साथ NASA के अंतरिक्ष मिशन में भेजा गया। लद्दाख की बर्फीली घाटियों में उगने वाला सी बकथॉर्न और हिमालयी कुट्टू अब अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर अमेरिका, पाकिस्तान और अन्य 9 देशों के बीजों के साथ सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में अपनी क्षमता दिखा रहे हैं।

लद्दाख के बीजों को अंतरिक्ष में मिली जगह

भारत के लद्दाख क्षेत्र में उगाए गए दो खास बीज सी बकथॉर्न और हिमालयी कुट्टू (कुहू) को इस प्रयोग में शामिल किया गया है। ये बीज बेहद ठंडी और कठिन जलवायु में उगते हैं और पोषण से भरपूर होते हैं। सी बकथॉर्न एक झाड़ीदार पौधा है जिसकी बेरीज़ विटामिन सी से भरपूर होती हैं जबकि हिमालयी कुट्टू एक ग्लूटेन-फ्री अनाज है जो प्रोटीन और फाइबर का अच्छा स्रोत माना जाता है। इन बीजों को बेंगलुरु स्थित एक अंतरिक्ष स्टार्टअप 'प्रोटोप्लेनेट' ने मुहैया कराया है। इस स्टार्टअप के निदेशक सिद्धार्थ पांडे ने बताया कि उनका उद्देश्य यह समझना है कि ये बीज माइक्रोग्रैविटी (अत्यंत कम गुरुत्वाकर्षण) में कैसे व्यवहार करते हैं और क्या ये अंतरिक्ष यात्राओं के दौरान खेती के लिए उपयुक्त हो सकते हैं। इस पूरे प्रयोग की योजना अमेरिका की बायोस्पेस रिसर्च कंपनी जगुआर स्पेस द्वारा बनाई गई है। इसने पांच महाद्वीपों के 11 देशों से बीज एकत्र किए हैं जिनमें भारत और पाकिस्तान दोनों शामिल हैं। इन बीजों को एक सप्ताह तक आईएसएस में रखा जाएगा जहां वे सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण की स्थिति का अनुभव करेंगे।

भारत-पाकिस्तान समेत इन देशों के बीज हैं शामिल

इस परियोजना में भारत के साथ-साथ पाकिस्तान, मालदीव, अर्जेंटीना, ब्राजील, कोस्टा रिका, ग्वाटेमाला, नाइजीरिया, आर्मेनिया और मिस्र के बीज शामिल किए गए हैं। यह इस बात का प्रतीक है कि विज्ञान और अनुसंधान सीमाओं से परे जाकर एक साझा भविष्य की दिशा में काम कर सकते हैं।

मिशन की समयरेखा और वापसी की योजना

ये बीज नासा के क्रू-11 मिशन के जरिए फ्लोरिडा से अंतरिक्ष में भेजे गए। मिशन शुक्रवार को प्रक्षेपित हुआ और शनिवार को सफलतापूर्वक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक पहुंच गया। अब इन बीजों को क्रू-10 मिशन द्वारा अगस्त के अंत तक पृथ्वी पर वापस लाया जाएगा। इसके बाद भारतीय शोधकर्ता इन बीजों का गहराई से अध्ययन करेंगे कि क्या उनके गुणों में कोई बदलाव आया है या नहीं।

क्यों खास है ये प्रयोग?

यह प्रयोग ना सिर्फ अंतरिक्ष में कृषि की संभावनाओं को तलाशने के लिए जरूरी है बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे अलग-अलग जलवायु और पारिस्थितिकीय परिस्थितियों में उगाए गए पौधे अंतरिक्ष के लिए उपयोगी हो सकते हैं। लंबे अंतरिक्ष मिशनों में यदि भोजन को वहीं उगाया जा सके तो यह ईंधन, संसाधनों और लागत की दृष्टि से क्रांतिकारी साबित हो सकता है।


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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