ऑफ द रिकॉर्डः पंजाब, हरियाणा में किसानों की आत्महत्याओं की घटनाएं बढ़ीं, केंद्र चिंतित

punjabkesari.in Sunday, Jun 30, 2019 - 05:52 AM (IST)

नेशनल डेस्क: देश में महाराष्ट्र किसानों की आत्महत्याओं के मामले में बेशक सुर्खियों में हो सकता है मगर केंद्र सरकार ने लोकसभा में स्वीकार किया है कि समृद्ध राज्य समझे जाने वाले पंजाब में किसानों की आत्महत्याओं की घटनाओं में चार गुना वृद्धि हुई है जबकि हरियाणा में ये मामले दो गुना बढ़े हैं। अगर पंजाब में किसानों की आत्महत्याओं की घटनाएं 2014 में 24 से बढ़कर 2015 में 100 तक पहुंच गईं तो हरियाणा में यह संख्या 2014 में 14 से 2015 में बढ़कर 28 हो गई। इसके बाद के 2016, 2017, 2018 वर्षों के आंकड़े सरकार के पास उपलब्ध नहीं क्योंकि ये आंकड़े राज्यों से प्राप्त किए जा रहे हैं। 
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महाराष्ट्र देश में किसानों की आत्महत्याओं के मामले में पहले स्थान पर है जहां 2015 में 3030 किसानों ने आत्महत्याएं कीं। देश में 2015 में कुल 8007 किसानों ने आत्महत्याएं कीं जबकि 2014 में ये मामले 2568 थे। कुछ राज्यों में किसानों के आत्महत्याओं के मामले बिल्कुल ही सामने नहीं आए। मोदी सरकार ने इस संबंध में एक सशक्त समिति का गठन किया और सरकार को 20 सूत्रीय आक्रामक कार्य योजना बनानी पड़ी। यद्यपि केंद्र सरकार का कहना है कि कृषि राज्य का विषय है और राज्य सरकारें ही इसके लिए जिम्मेदार हैं। अब देश में 17 राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं जिसके लिए मोदी के समक्ष एक कठिन चुनौती है। 
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किसानों की आत्महत्याओं के मामलों को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने ई-नाम, भू-स्वस्थ कार्ड, ड्रिप सिंचाई योजना, पी.एम. फसल बीमा, पी.एम. किसान योजना, उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य और अन्य कई कदम उठाए हैं ताकि किसानों की आय को बढ़ावा दिया जाए और कृषि लागत को कम किया जाए। स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री मोदी राज्यों में किसानों की आत्महत्याओं की घटनाओं में हो रही वृद्धि से बहुत चिंतित हैं मगर केंद्र सरकार समृद्ध समझे जाने वाले राज्यों पंजाब और हरियाणा में किसानों की लगातार बढ़ रही आत्महत्याओं की घटनाओं से काफी चिंतित है। 
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Pardeep

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