कामकाज के लिहाज से राज्यसभा में तीसरे सप्ताह काम-काज 100 फीसद रहा

punjabkesari.in Saturday, Dec 07, 2019 - 06:42 PM (IST)

नई दिल्ली: संसद के शीकालीन सत्र के दौरान शुरुआती तीन सप्ताह में राज्यसभा में कामकाज का स्तर 98.54 प्रतिशत तक पहुंच गया। उच्च सदन में चालू सत्र के दौरान तीन सप्ताह के कामकाज के बारे में राज्यसभा सचिवालय की ओर से शनिवार को प्राप्त जानकारी के मुताबिक सदन में कामकाज के लिहाज से कामकाज में 92 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अगले सप्ताह नागरिकता संशोधन विधेयक के लोकसभा में पारित होने के बाद इसे चर्चा एवं पारित करने के लिए उच्च सदन में लाया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार राज्यसभा सदस्यों को प्रस्तावित विधेयक की प्रति वितरित करा दी गई हैं। 

उल्लेखनीय है कि गत 18 नवंबर को शुरू हुआ शीतकालीन सत्र 13 दिसंबर तक चलेगा। स्पष्ट है कि अगले सप्ताह इस सत्र में कामकाज के लिए पांच कार्यदिवस ही शेष हैं। देश की महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के विषय पर शीतकालीन सत्र के अंतिम सप्ताह के दौरान मंगलवार को ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत चर्चा कराया जाना प्रस्तावित है। राज्यसभा में कामकाज के ब्योरे के मुताबिक छह दिसंबर को समाप्त हुए शीतकालीन सत्र के तीसरे सप्ताह में कामकाज के लिए निर्धारित समय, 27 घंटे 27 मिनट में से महज एक घंटा 27 मिनट तक सदन की कार्यवाही विभिन्न कारणों से स्थगित रही। हालांकि इस सप्ताह उच्च सदन में सदस्यों ने एक घंटा तीन मिनट अतिरिक्त समय तक बैठकर काम किया। 

राज्यसभा में इस सप्ताह सभी पांच कार्यदिवस में प्रश्नकाल हुआ, जिसमें तारांकित 75 प्रश्नों में से 54 (72 प्रतिशत) सवालों के संबद्ध मंत्रियों ने मौखिक उत्तर दिए। राज्यसभा सचिवालय ने प्रतिदिन औसतन 10 सवालों के जवाब दिए जाने को उपलब्धि बताया है। सामान्यत: चार से छह सवालों के ही मौखिक उत्तर हो पाते हैं। इस सप्ताह दो दिन ऐसे भी रहे जब सभी तारांकित प्रश्न पूछे गए। इस सप्ताह शून्य काल में जनहित के 68 और विशेष महत्व के 33 प्रतिवेदनों में से तमाम विषयों को सदन में विभिन्न सदस्यों ने उठाया। राज्यसभा से तीसरे सप्ताह में पांच विधेयक पारित किए गए। इनमें ई सिगरेट को प्रतिबंधित करने, दिल्ली की अनधिकृत कालोनियों को नियमित करने, दादरा नागर हवेली और दमन दीव के विलय संबंधी विधेयकों के अलावा विशेष सुरक्षा समूह (एपीजी) संशोधन विधेयक शामिल हैं। उच्चसदन ने कराधान संशोधन विधेयक को उपयुक्त विचार विमर्श के बाद लोकसभा को वापस भेजा।


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shukdev

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