Israel Iran War: ईरान-इजरायल युद्ध का असर, हवाई किराए से लेकर चावल-चाय तक भारत को हर दिशा से लग रहा झटका

punjabkesari.in Tuesday, Jun 17, 2025 - 10:14 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क। ईरान और इजरायल के बीच गहराते तनाव का सीधा असर भारत से यूरोप, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों की हवाई यात्रा पर पड़ रहा है। पाकिस्तान के बाद अब ईरान, इराक, इजरायल, जॉर्डन और सीरिया ने भी अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया है जिससे विमानों के मार्ग बदल गए हैं। इस वजह से यात्रियों को भारी परेशानी हो रही है और हवाई किराए में इस हफ्ते 20% तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

हवाई किराए पर सीधा असर

जानकारों का कहना है कि हवाई क्षेत्र बंद होने से उड़ानों का रास्ता लंबा हो गया है जिसका सीधा प्रभाव विमानों के उड़ान समय और किराए पर पड़ रहा है। कुछ क्षेत्रों में पहले से ही 12 से 15% की वृद्धि देखी जा चुकी है। यात्रा ऑनलाइन की को-फाउंडर सबीना चोपड़ा के अनुसार हवाई क्षेत्रों पर अस्थायी प्रतिबंध से विमानों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में 2 से 4 घंटे का अतिरिक्त समय लग रहा है। इस अतिरिक्त समय और लंबे रूट के कारण विमानन कंपनियों की परिचालन लागत बढ़ गई है जिससे कुछ मार्गों के किराए में 15 से 20% तक का इजाफा हुआ है। खाड़ी देशों से आने-जाने वाले उड़ान मार्गों पर भी हवाई क्षेत्रों में जारी प्रतिबंध के कारण भारी भीड़ देखी जा रही है।

माल ढुलाई और निर्यात पर गंभीर प्रभाव

ईरान-इजरायल युद्ध का असर सिर्फ हवाई यात्रा तक सीमित नहीं है। समुद्री माल ढुलाई दरों में भी 50% तक की बढ़ोतरी हुई है। इसके साथ ही बीमा शुल्क में भी बढ़ोतरी का जोखिम बना हुआ है। निर्यातकों का मानना है कि इस युद्ध के कारण यूरोप और रूस जैसे देशों को भारत का निर्यात बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।

 

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सरकार इस पूरे असर का आकलन कर रही है और निर्यातकों को इसके प्रभाव से बचाने के लिए बातचीत भी कर रही है। सरकार का मुख्य ध्यान उन देशों जैसे यूएई, सऊदी अरब, कतर, कुवैत, ओमान और इजरायल को होने वाले निर्यात को सुरक्षित करने पर है।

व्यापार मार्ग और बासमती चावल का निर्यात

अगर यह युद्ध लंबे समय तक खिंचता है तो ईरान और यूएई के बीच स्थित होर्मुज जलमार्ग और लाल सागर जैसे महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्गों के जरिए वाणिज्यिक जहाजों की आवाजाही पर गंभीर असर पड़ेगा। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशंस (FIEO) का कहना है कि यूक्रेन संकट के बाद मालवाहक जहाज धीरे-धीरे लाल सागर के मार्गों पर लौट आए थे जिससे भारत और एशिया के अन्य हिस्सों से अमेरिका और यूरोप जाने में 15-20 दिन की बचत हो रही थी लेकिन अब इस युद्ध के कारण मालवाहक जहाज फिर से लाल सागर मार्ग का उपयोग करने से बचेंगे जिससे यात्रा का समय और लागत दोनों बढ़ेंगे।

 

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भारत का यूरोप के साथ 80% व्यापार लाल सागर के जरिए होता है और लाल सागर व होर्मुज जलडमरूमध्य के जरिए भारत कुल 34% निर्यात करता है।

बासमती चावल और चाय पर असर

इस युद्ध का सीधा असर बासमती चावल के निर्यात पर भी पड़ेगा। भारत हर साल बड़े पैमाने पर ईरान को बासमती चावल निर्यात करता है। जंग बढ़ने से बासमती चावल का निर्यात फँस गया है। पिछले साल भारत ने ईरान को लगभग 6,734 करोड़ रुपये का चावल निर्यात किया था जो कुल चावल निर्यात का लगभग 25% था। निर्यात रुकने से भारत में बासमती चावल के दामों में 10-15% तक की गिरावट देखने को मिल सकती है। इसी तरह भारत से चाय का निर्यात भी प्रभावित होने की आशंका है।


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Content Editor

Rohini Oberoi

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