Monsoon 2025: 20 राज्यों में मानूसन को लेकर भविष्यवाणी! 1 जून से 30 सितंबर तक जमकर बरसेंगे बादल

punjabkesari.in Thursday, Apr 17, 2025 - 02:10 PM (IST)

नेशनल डेस्क:  भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 2025 के मानसून सीजन को लेकर राहत भरी खबर दी है। मौसम विभाग के प्रमुख डॉ. मृत्युंजय महापात्र के अनुसार, इस साल देश में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना जताई जा रही है। जून से सितंबर तक चलने वाले दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान औसतन 103 से 105 प्रतिशत तक बारिश हो सकती है।

अगर ये अनुमान सही साबित होते हैं, तो यह लगातार 10वां साल होगा जब देश को सामान्य से बेहतर मानसून मिलेगा। विशेष बात यह है कि इस बार मानसून के समय से पहले देश में दस्तक देने की संभावना है, जो आमतौर पर 1 जून से शुरू होकर 30 सितंबर तक रहता है।

बारिश का आँकड़ा और क्षेत्रीय पूर्वानुमान

  • जून: लगभग 165.3 मिमी बारिश (96%) की संभावना जताई गई है। इस दौरान केरल, कर्नाटक, कोंकण और गोवा जैसे तटीय इलाकों में औसत से अधिक बारिश हो सकती है, जबकि उत्तर भारत में मानसून थोड़ी देरी से पहुंचेगा।

  • जुलाई: अनुमानित 280.5 मिमी (102%) वर्षा हो सकती है। पश्चिम भारत में अच्छी बारिश के संकेत मिल रहे हैं।

  • अगस्त: लगभग 254.9 मिमी (108%) बारिश का अनुमान है। इस महीने मध्य भारत और पूर्वोत्तर राज्यों में अपेक्षाकृत कम बारिश हो सकती है, जबकि उत्तर और दक्षिण भारत में सामान्य बारिश होने की उम्मीद है।

  • सितंबर: लगभग 167.9 मिमी (104%) वर्षा की संभावना है, खासकर पश्चिम और मध्य भारत में भारी बारिश हो सकती है।

किन राज्यों में होगी ज्यादा बारिश?

मौसम विभाग के अनुसार, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में इस साल सामान्य से अधिक या सामान्य बारिश देखने को मिल सकती है।

दूसरी ओर, केरल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और पूर्वोत्तर के सभी आठ राज्यों में सामान्य से कम बारिश होने का अनुमान है।

अच्छे मानसून की वजह क्या है?

इस साल मानसून के अनुकूल रहने के पीछे कई कारण हैं:

  • अल नीनो की अनुपस्थिति: वर्तमान में अल नीनो प्रभाव कमजोर है या बिल्कुल नहीं है, जो अक्सर सूखे की स्थिति ला सकता है।

  • IOD (हिंद महासागर डायपोल) की न्यूट्रल स्थिति: इससे मानसून पर सकारात्मक असर पड़ता है।

  • कम बर्फबारी: यूरेशिया और उत्तरी गोलार्ध में इस साल जनवरी से मार्च के बीच सामान्य से कम बर्फबारी हुई है, जिससे मानसून की गति और ताकत में सुधार देखा गया है।

अगर मौसम विभाग की भविष्यवाणी सटीक साबित होती है, तो इस साल कृषि, जल संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए मानसून बड़ा वरदान साबित हो सकता है। समय से पहले मानसून की दस्तक और सामान्य से बेहतर बारिश से देश को बड़ी राहत मिल सकती है।

 


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Content Writer

Anu Malhotra

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