मौज मस्ती वाली उम्र में युवक ने क्रैक किया UPSC, अब संभाल रहे ये जिम्मेदारी

punjabkesari.in Sunday, Jan 12, 2025 - 06:11 PM (IST)

नेशनल डेस्क: एक छोटे शहर से आए हुए युवा ने अपनी मेहनत, फोकस और समर्पण के साथ कुछ ऐसा किया, जो कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया। यह कहानी है 23 वर्षीय सिद्धार्थ पलानीचामी की, जिन्होंने अपने पहले ही प्रयास में UPSC परीक्षा को क्रैक कर IAS ऑफिसर बनने का गौरव हासिल किया। NIT Trichy से बीटेक की डिग्री लेने के बाद, सिद्धार्थ ने अपनी मेहनत और रणनीति से यह साबित कर दिया कि अगर कोई लक्ष्य निर्धारित किया जाए और उसे सही तरीके से पूरा किया जाए तो सफलता मिलनी तय है।

सिद्धार्थ पलानीचामी की यात्रा

IAS सिद्धार्थ पलानीचामी का जन्म तमिलनाडु के मदुरै में हुआ था। वह राजस्थान कैडर के 2020 बैच के IAS ऑफिसर हैं। सिद्धार्थ ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मदुरै में ही प्राप्त की थी और स्कूल के दिनों से ही उन्हें समाचार पत्र पढ़ने की आदत थी, जो उनकी सामान्य ज्ञान और सामयिक मुद्दों पर पकड़ मजबूत करने में मददगार साबित हुई। यह आदत आज भी उनके दैनिक जीवन का हिस्सा है, और यही उनकी सफलता की कुंजी रही है।

NIT Trichy से बीटेक की यात्रा

सिद्धार्थ ने अपनी उच्च शिक्षा की शुरुआत देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक, NIT Trichy से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक करके की। जहां कई युवा अपने करियर को इंजीनियरिंग में आगे बढ़ाने का विकल्प चुनते हैं, सिद्धार्थ ने अपनी दिशा UPSC की ओर मोड़ी। उन्होंने अपने फाइनल ईयर में यह फैसला किया कि वह सिविल सेवा की परीक्षा देंगे, जो उनके जीवन का सबसे बड़ा कदम था।

पहले प्रयास में UPSC में हासिल की ऑल इंडिया रैंक 155

सिद्धार्थ का यूपीएससी में पहला प्रयास शानदार रहा। उन्होंने इस परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 155 प्राप्त की। उनका यह प्रदर्शन कई युवाओं के लिए एक मिसाल बन गया है। सिद्धार्थ का मानना ​​है कि किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए समर्पण और सही दिशा में मेहनत करना जरूरी है। उन्होंने अपने ऑप्शनल पेपर में राजनीति विज्ञान और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को चुना था, जो उनकी सिविल सेवा परीक्षा के लिए उपयुक्त साबित हुआ।

टीमवर्क, सोशल अवेयरनेस और समय का प्रबंधन कैसे

सिद्धार्थ की सफलता में एक महत्वपूर्ण तत्व था उनका समय प्रबंधन। उन्होंने सिविल सेवा की तैयारी के दौरान अपने शौक और रुचियों से समझौता किए बिना अपनी पढ़ाई की। वह अपनी पसंदीदा फिल्में देखना, मैच खेलना और सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से कभी नहीं रुके। उनका मानना ​​है कि अगर आप किसी काम को पूरी लगन और फोकस के साथ करते हैं, तो कोई भी चीज आपको उस काम से नहीं हटा सकती।

प्रारंभिक पोस्टिंग और जिम्मेदारियाँ क्या हैं?

सिद्धार्थ की सफलता यात्रा यहीं नहीं रुकी। यूपीएससी परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के बाद उन्हें राजस्थान के बीकानेर में असिस्टेंट कलेक्टर और एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के पद पर नियुक्त किया गया। इसके बाद उन्हें मिनिस्ट्री ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स में असिस्टेंट सेक्रेटरी के पद पर काम करने का अवसर मिला। उनकी कार्यकुशलता को देखते हुए उन्हें राजस्थान के माउंट आबू में SDM (Sub-Divisional Magistrate) के रूप में भी जिम्मेदारी मिली। फिलहाल, वह बाड़मेर जिले में जिला परिषद् के CEO के रूप में कार्यरत हैं।

युवाओं के लिए प्रेरणा

सिद्धार्थ पलानीचामी की कहानी यह साबित करती है कि सिविल सेवा की तैयारी के लिए न केवल कठोर परिश्रम की आवश्यकता होती है, बल्कि सामाजिक मुद्दों की समझ, समग्र शिक्षा, और समय के साथ बदलाव की समझ भी जरूरी होती है। उनकी सफलता यह भी दर्शाती है कि अगर आप किसी काम में पूरी तरह से जुटे रहते हैं और अपनी पसंदीदा चीजों को संतुलित तरीके से करते हैं, तो सफलता केवल एक कदम दूर होती है।

सिद्धार्थ का दृष्टिकोण और उनके द्वारा उठाए गए कदम युवाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत हैं। उन्होंने यह सिद्ध किया कि हर किसी के पास सफलता प्राप्त करने की क्षमता होती है, बशर्ते वह अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित और जागरूक हो।

सिद्धार्थ की सफलता का संदेश

सिद्धार्थ की यात्रा यह सिखाती है कि केवल किताबों की पढ़ाई ही नहीं, बल्कि अपने शौक और रुचियों को बनाए रखते हुए भी बड़ी सफलता प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने यह संदेश दिया कि सिविल सेवा की परीक्षा केवल कठिन परिश्रम का परिणाम नहीं होती, बल्कि यह एक समझदारी, जागरूकता और सही दिशा में की गई मेहनत का नतीजा है।

 


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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