जो मनमोहन सिंह चाहते थे वो मैंने कर दिया, आप गर्व कीजिए: कृषि सुधारों पर बोले PM मोदी

punjabkesari.in Monday, Feb 08, 2021 - 05:47 PM (IST)

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों, खासकर पंजाब के किसानों के लिए इस्तेमाल की गई ‘‘भाषा'' की कटु आलोचना की और कहा कि इससे किसी का भला नहीं होगा। उन्होंने किसानों से अपना आंदोलन समाप्त कर कृषि सुधारों को एक मौका देने का आग्रह करते हुए कहा कि यह समय खेती को ‘‘खुशहाल'' बनाने का है और देश को इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।

राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कृषि सुधारों पर ‘‘यू-टर्न'' लेने के लिए कांग्रेस को आड़े हाथों लिया और कहा कि पिछले कुछ समय से इस देश में ‘‘आंदोलनजीवियों'' की एक नई जमात पैदा हुई है जो आंदोलन के बिना जी नहीं सकती। उन्होंने कहा कि एक नया ‘‘एफडीआई'' भी मैदान में आया है और यह है ‘‘फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलॉजी''। उनका इशारा आंदोलनरत किसानों को ‘‘खालिस्तानी आतंकवादी'' बताए जाने की ओर था। उन्होंने कहा कि देश को प्रत्येक सिख पर गर्व है।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम आंदोलन से जुड़े लोगों से लगातार प्रार्थना करते हैं कि आंदोलन करना आपका हक है, लेकिन बुजुर्ग भी वहां बैठे हैं। उनको ले जाइए, आंदोलन खत्म करिए। आगे मिल बैठ कर चर्चा करेंगे, सारे रास्ते खुले हैं। यह सब हमने कहा है और आज भी मैं इस सदन के माध्यम से निमंत्रण देता हूं।'' उन्होंने कहा, ‘‘यह, खेती को खुशहाल बनाने के लिए फैसले लेने का समय है और इस समय को हमें नहीं गंवाना चाहिए। हमें आगे बढ़ना चाहिए, देश को पीछे नहीं ले जाना चाहिए।''

मोदी ने आंदोलनरत किसानों के साथ ही विपक्षी दलों से भी आग्रह किया कि इन कृषि सुधारों को मौका देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हमें एक बार देखना चाहिए कि कृषि सुधारों से बदलाव होता है कि नहीं। कोई कमी हो तो हम उसे ठीक करेंगे, कोई ढिलाई हो तो उसे कसेंगे। पक्ष, विपक्ष, आंदोलनरत साथियों को इन सुधारों को मौका देना चाहिए और एक बार देखना चाहिए कि इस परिवर्तन से हमें लाभ होता है कि नहीं। ऐसा तो नहीं है कि सब दरवाजे बंद कर दिए गए हैं।'' प्रधानमंत्री ने किसानों को भरोसा दिलाया कि मंडियां और अधिक आधुनिक बनेंगी तथा इसके लिए इस बार के बजट में व्यवस्था भी की गई है। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) है, एमएसपी था और एमएसपी रहेगा।''

प्रधानमंत्री ने माना कि कृषि क्षेत्र में समस्याएं हैं और कहा कि इन समस्याओं का समाधान सबको मिलकर करना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘मैं मानता हूं कि अब समय ज्यादा इंतजार नहीं करेगा, नये उपायों के साथ हमें आगे बढ़ना होगा।'' विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सदन में किसान आंदोलन को लेकर भरपूर चर्चा हुई तथा ज्यादा से ज्यादा समय जो बातें बताई गईं, वह आंदोलन के संबंध में थी। उन्होंने कहा, ‘‘अच्छा होता कि कानूनों की मूल भावना पर विस्तार से चर्चा होती।''

मोदी ने कहा कि सरकारें किसी की भी रही हों, सभी कृषि सुधारों के पक्ष में रहीं लेकिन यह अलग बात है कि वे इन्हें लागू नहीं कर सकीं। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मैं हैरान हूं कि आपने (कांग्रेस ने) अचानक यू-टर्न ले लिया। ऐसा क्यों किया? ठीक है, आप आंदोलन के मुद्दों को लेकर सरकार को घेर लेते लेकिन साथ-साथ किसानों को भी कहते कि भाई, बदलाव बहुत जरूरी हैं। बहुत साल हो गए। अब नयी चीजों को आगे लाना पड़ेगा। लेकिन मुझे लगता है राजनीति इतनी हावी हो जाती है कि अपने ही विचार पीछे छूट जाते हैं।'' किसानों के आंदोलन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी समस्याओं के समाधान की ताकत भारत में है लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत को अस्थिर और अशांत करना चाहते हैं।

मोदी ने कहा कि जब देश का बंटवारा हुआ और जब 1984 के दंगे हुए तो सबसे ज्यादा खामियाजा पंजाब को भुगतना पड़ा। उन्होंने कहा, ‘‘इन सारी चीजों ने देश को किसी न किसी रूप में बहुत नुकसान पहुंचाया है। इसके पीछे कौन है, यह हर सरकार ने देखा है, जाना है। इसलिए हमें इन सारी समस्याओं के समाधान के लिए आगे बढ़ना चाहिए।''

प्रधानमंत्री ने कहा कि सिख समुदाय ने देश के लिए जो किया, उस पर देश गर्व करता है। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग, खासकर पंजाब के सिख भाईयों के दिमाग में गलत चीजें भरने में लगे हैं। उन्होंने कहा ‘‘ये देश हर सिख पर गर्व करता है। उन्होंने देश के लिए क्या कुछ नहीं किया। उनका जितना हम आदर करें, वो कम होगा। जो भाषा उनके लिए कुछ लोग बोलते हैं, जो लोग उनको गुमराह करने की कोशिश करते हैं, उससे देश का कभी भला नहीं होगा।''

मोदी ने कहा कि देश श्रमजीवी और बुद्धिजीवी जैसे शब्दों से परिचित है लेकिन पिछले कुछ समय से इस देश में एक नई जमात पैदा हुई है और वह है ‘‘आंदोलनजीवी'' । उन्होंने कहा, ‘‘वकीलों का आंदोलन हो या छात्रों का आंदोलन या फिर मजदूरों का। ये हर जगह नजर आएंगे। कभी परदे के पीछे, कभी परदे के आगे। यह पूरी टोली है जो आंदोलन के बिना जी नहीं सकती। हमें ऐसे लोगों को पहचानना होगा। वह हर जगह पहुंच कर वैचारिक मजबूती देते हैं और गुमराह करते हैं। ये अपना आंदोलन खड़ा नहीं कर सकते और कोई करता है तो वहां जाकर बैठ जाते हैं। यह सारे आंदोलनजीवी परजीवी होते हैं।''

प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी प्रकार से एक नयी चीज एफडीआई के रूप में मैदान में आई है। उन्होंने कहा, ‘‘यह एफडीआई है ‘फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आईडियोलॉजी'। इस एफडीआई से देश को बचाने के लिए हमें और अधिक जागरूक रहने की जरूरत है।''


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Content Writer

Yaspal

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