Teenage Love: हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: सहमति से गले लगाना और चूमना Teenage प्यार में आपराधिक नहीं

punjabkesari.in Wednesday, Nov 13, 2024 - 11:45 AM (IST)

नेशनल डेस्क:  मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसले में किशोरों के बीच आपसी सहमति से किए गए स्नेह के इशारों को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा। कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354-A(1)(i) के तहत एक युवक के खिलाफ दर्ज आपराधिक कार्यवाही को खारिज करते हुए कहा कि आपसी सहमति से बने रिश्तों में गले लगाना या चूमना स्वाभाविक है और इसे अपराध नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे संबंधों में आपराधिक कानून का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।

मामले की पृष्ठभूमि

मामला संथानागणेश बनाम राज्य से संबंधित है, जिसमें थूथुकुडी जिले के श्रीवैगुंडम क्षेत्र की एक महिला द्वारा दर्ज शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई थी। शिकायत में आरोप था कि संथानगणेश, जो महिला के साथ 2020 से प्रेम संबंध में था, ने उसे गले लगाया और चूमा। बाद में, जब महिला ने शादी का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया, तो उसने शिकायत दर्ज कराई और आईपीसी की धारा 354-ए(1)(i) के तहत मामला दर्ज हुआ। संथानगणेश ने इसे रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने तर्क दिया कि दोनों के बीच सहमति थी और यह आरोप धारा 354-ए के दायरे में नहीं आता।

कोर्ट का विश्लेषण और मुख्य बिंदु

‘अवांछित प्रगति’ की व्याख्या: कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि आपसी सहमति से किए गए कार्य, जैसे गले लगाना या चूमना, दो किशोरों के बीच सामान्य भावनात्मक इशारे हैं और इन्हें यौन उत्पीड़न के चश्मे से नहीं देखा जा सकता है। ऐसे मामलों में सहमति को समझना आवश्यक है।

किशोरों में स्नेह का स्वाभाविक भाव: न्यायमूर्ति एन. आनंद वेंकटेश ने कहा कि किशोरों में प्रेम संबंधों के दौरान इस प्रकार की स्नेह की अभिव्यक्तियाँ आम होती हैं और इसे अपराध की श्रेणी में रखना उचित नहीं है। उन्होंने कहा, "युवाओं के लिए यह स्वाभाविक है और इसे कानून के दुरुपयोग के रूप में देखना अनुचित है।"

कानूनी प्रक्रियाओं का दुरुपयोग रोकना: कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि जब सहमति शामिल हो तो कानून का अनावश्यक दुरुपयोग नहीं होना चाहिए और ऐसे मामलों में न्यायिक विवेक का प्रयोग आवश्यक है।

कार्यवाही को रद्द करने का अधिकार: भले ही पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश की थी, हाईकोर्ट ने मामले को रद्द करने का अधिकार रखते हुए कहा कि इस प्रकार के मामले में अभियोजन न्याय की भावना के विपरीत होगा।

 न्यायमूर्ति वेंकटेश ने संथानगणेश के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया, यह कहते हुए कि सहमति से किए गए स्नेह के इशारों को अपराध के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि युवा संबंधों में सहमति से किए गए कार्यों पर आपराधिक कानून का अनुचित रूप से प्रयोग न किया जाए, और इससे संबंधित सभी कार्यवाहियों को रद्द कर दिया।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Anu Malhotra

Related News