भारत के मुकाबले पाकिस्तान में कितना है सोना, जानकर हो जाएंगे हैरान

punjabkesari.in Tuesday, Mar 25, 2025 - 02:36 PM (IST)

नेशनल डेस्क: सोना न केवल एक बहुमूल्य धातु है बल्कि यह किसी भी देश की आर्थिक स्थिति को भी दर्शाता है। दुनिया के अलग-अलग देशों के पास कितना सोना है, इसका हिसाब लगाया जाता है और यह उनके रिजर्व में जोड़ा जाता है। भारत और पाकिस्तान के गोल्ड रिजर्व में बहुत बड़ा अंतर है। आइए जानते हैं कि किन देशों के पास कितना सोना है और इस मामले में भारत और पाकिस्तान कहां खड़े हैं। अगर सोने के भंडार की बात करें तो अमेरिका इस लिस्ट में पहले स्थान पर है। अमेरिका के पास 8,133 टन सोना है, जो इसे दुनिया का सबसे अमीर गोल्ड रिजर्व वाला देश बनाता है। इसके बाद जर्मनी 3,352 टन सोने के साथ दूसरे नंबर पर आता है।

यूरोप के बड़े देशों का गोल्ड रिजर्व

यूरोपीय देशों की बात करें तो इटली के पास 2,452 टन और फ्रांस के पास 2,437 टन सोना है। ये दोनों देश भी गोल्ड रिजर्व के मामले में काफी मजबूत स्थिति में हैं।

रूस और चीन भी पीछे नहीं

रूस के पास 2,340 टन सोना है, जो इसे दुनिया के शीर्ष पांच गोल्ड रिजर्व वाले देशों में रखता है। वहीं, चीन के पास 1,948 टन सोना है, जो उसे इस लिस्ट में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाता है।

भारत का गोल्ड रिजर्व कितना है?

भारत सोने के भंडार के मामले में दुनिया में प्रमुख स्थान पर आता है। भारत के पास 878 टन सोना है, जो इसे दुनिया के शीर्ष 10 देशों में शामिल करता है।

पाकिस्तान के पास कितना सोना?

अब आते हैं पाकिस्तान की स्थिति पर। पाकिस्तान के पास मात्र 64 टन सोना है। यह आंकड़ा भारत के मुकाबले बहुत ही कम है। भारत का गोल्ड रिजर्व पाकिस्तान की तुलना में लगभग 14 गुना अधिक है। यह साफ दर्शाता है कि पाकिस्तान इस मामले में भारत से काफी पीछे है।

जापान और नीदरलैंड्स की स्थिति

जापान के पास 846 टन और नीदरलैंड्स के पास 612 टन सोना है। ये दोनों देश भारत के आसपास ही आते हैं लेकिन पाकिस्तान इनसे भी काफी पीछे है।

भारत और पाकिस्तान के बीच इतना बड़ा अंतर क्यों?

भारत और पाकिस्तान के गोल्ड रिजर्व में इतना बड़ा अंतर होने के पीछे कई वजहें हैं। भारत की अर्थव्यवस्था पाकिस्तान की तुलना में कहीं अधिक मजबूत है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) समय-समय पर अपने सोने के भंडार को बढ़ाता है, जिससे भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। वहीं, पाकिस्तान को अपनी आर्थिक नीतियों में सुधार करने की जरूरत है।

 


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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