कोरोना से निपटने के लिए मोदी ने रेलवे कोचों को कैसे आइसोलेशन वार्ड में बदला

punjabkesari.in Saturday, Apr 04, 2020 - 07:06 PM (IST)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर पहले से तैयार थे। उन्होंने लॉकडाउन से पहले ही वायरस के मरीजो को अच्छी सुविधा दिलाने के लिए रेलवे कोचों को आइसोलेशन वार्ड में बदलने की योजना रेल मंत्री पीयूष गोयल के साथ बनाई थी। कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए पीएम मोदी ने जब जनता कर्फ्यू की घोषणा की थी तो उसी समय उन्होंने पीयूष गोयल के साथ बात की थी कि भारत रेलवे का मरीजों के इलाज के रूप में कैसे इस्तेमाल कर सकता है यानी कि रेलवे कोचों को आधुनिक सुविधाओं के साथ अस्पताल में कैसे बदला जा सकता है। 

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ये बात 22 मार्च की है और दो दिन बाद देश में लॉकडाउन लागू कर दिया। इस वायरस को रोकने के लिए मोदी पांच कदम आगे की सोचते हैंं। इस चर्चा में मोदी की मुख्य चिंता ये थी कि अगर देहाती समुदायों में ये वायरस फैल जाता है तो उसे कैसे रोका जाए। चर्चा में सांस की बीमारी का इलाज करने के लिए गंभीर अस्पताल ढ़ाचा की जरूरत पर भी बात हुई । हजारों प्रवासी मजदूर दिल्ली और देश के अन्य शहरों से अपने गांवों की और कूच कर गए और लॉकडाउन का उल्लंघन किया जिससे ये डर फैल गया कि देहाती क्षेत्र में कोरोना फैल सकता है। मोदी ने कहा कि बेशक सरकार अपनी तरफ से लोगों को हर संभव मदद दे रही है मगर लोगों को भी लॉकडाउन का पालन करना होगा। 

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सरकार को किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए। मोदी और गोयल के बीच चर्चा में रेल कोचों को आइसोलेशन वार्ड में बदलने पर चर्चा हुई। इसका लाभ ये है कि अगर किसी विशेष क्षेत्र में मरीजों की भरमार हो जाती है तो ये कोच या मोबाइल आइसोलेशन वार्ड देश के अधिकांश भागों में पहुंच सकते हैं। देश के 700 जिलों में रेलवे के 7300 से अधिक स्टेशन हैं।


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shukdev

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