RBI से मिलने वाली पूंजी को किस प्रकार सरकार बना सकती है अर्थव्यवस्था के लिए अपना हथियार?

punjabkesari.in Tuesday, Aug 27, 2019 - 07:59 PM (IST)

नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सरकार को लाभांश और अधिशेष पूंजी के रूप में 1.76 लाख करोड़ रुपये की भारी भरकम राशि हस्तातंरित करने का फैसला किया है। यह पूंजी मोदी सरकार के लिये आर्थिक सुस्ती से लड़ने का उपयुक्त हथियार साबित होगी और यह निवेश बढ़ाने के साथ साथ क्षेत्रवार प्रोत्साहन पैकेज देने में भी मददगार होगी।

उधारी घटाने में कर सकती है इस्तेमाल
विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों ने कहा कि आरबीआई से मिलने वाली पूंजी का इस्तेमाल उधारी घटाने, 3.3 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय योजना के वित्तपोषण, बैंक के पुनर्पूंजीकरण और संकट में फंसे क्षेत्रों को प्रोत्साहन पैकेज देने में किया जा सकता है। वित्त मंत्रालय ने अब तक आरबीआई के अधिशेष के उपयोग का खाका नहीं बनाया है।
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सरकार ऊंचे खर्च का विकल्प चुन सकती है
विशेषज्ञों ने कहा कि 50,000 करोड़ रुपये के अधिशेष कोष का उपयोग बुनियादी ढांचे में निवेश करके पूंजी निर्माण करने या बैंकों का पुनर्पूंजीकरण करके उनकी ऋण देने की क्षमता को बढ़ाने में किया जा सकता है। ब्रोकरेज फर्म एमके ग्लोबल ने एक रिपोर्ट में कहा कि "यदि सरकार हस्तांतरित राशि को ऊंचे खर्च में बदलने का विकल्प चुनती है , तो हमारा मानना है कि वह खपत के बजाए बुनियादी ढांचे पर खर्च को तवज्जो देगी।" आरबीआई की ओर से सरकार को मिले अतिरिक्त सहयोग से अल्प अवधि में बाजारों को समर्थन मिलेगा।
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बैंकों में डाली जाएगी पूंजी
बोफा मेरिल लिंच ग्लोबल रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक , इस पूंजी का इस्तेमाल सार्वजनिक बैंकों के पुनर्पूंजीकरण में किया जा सकता है। पिछले शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस संबंध में घोषणा करते हुए कहा था कि बैंकों में जल्द से जल्द 70,000 करोड़ रुपये की पूंजी डाली जाएगी। इससे बैंकों के कर्ज की ब्याज दर को नीचे लाने में मदद मिलेगी।
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अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए कर सकती है प्रयोग
अश्विन पारेख एडवाइजरी सर्विसेज के मैनेजिंग पार्टनर अश्विन पारेख ने कहा कि मौजूदा आर्थिक परिदृश्य में आरबीआई की ओर से पूंजी हस्तांतरण से सरकार को अर्थव्यवस्था में तेजी लाने में मदद मिलेगी। कर्ज में वृद्धि का अर्थव्यवस्था पर बहुआयामी प्रभाव पड़ेगा क्योंकि यह कई क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है। सरकार इस पूंजी का उपयोग बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का निर्माण करके पूंजीगत खर्च के रूप में कर सकती है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार पूंजी का इस्तेमाल अटकी हुई परियोजनाओं में करती है तो इन परियोजनाओं को गति मिल सकती है।
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गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में रिजर्व बैंक के केन्द्रीय निदेशक मंडल ने बिमल जालान समिति की सिफारिशों को मानते हुए 1,76,051 करोड़ रुपये सरकार को हस्तांतरित करने का निर्णय किया। इसमें 2018-19 के लिये 1,23,414 करोड़ रुपये का अधिशेष और 52,637 करोड़ रुपये अतिरिक्त प्रावधान के रूप में चिन्हित किया गया है। अतिरिक्त प्रावधान की यह राशि आरबीआई की आर्थिक पूंजी से संबंधित संशोधित नियमों (ईसीएफ) के आधार पर निकाली गयी है।

 


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Yaspal

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