होंडा कार्स इंडिया 2026-27 में लॉन्च करेगी तीन नई कारें, एक इलेक्ट्रिक एसयूवी भी शामिल

punjabkesari.in Thursday, Dec 05, 2024 - 11:28 AM (IST)

ऑटो डेस्क. होंडा कार्स इंडिया 2026-2027 में भारतीय बाजार में तीन नई कारें लॉन्च करने की योजना बना रही है। इनमें से एक कार कंपनी की पहली पूरी तरह से इलेक्ट्रिक (ईवी) कार होगी, जो होंडा की नई एसयूवी मॉडल "एलिवेट" पर आधारित होगी। होंडा कार्स इंडिया के प्रेसिडेंट और सीईओ ताकुया त्सुमुरा ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत के दौरान इस योजना की जानकारी दी।

होंडा की पहली इलेक्ट्रिक कार

त्सुमुरा ने कहा कि 2025 में इलेक्ट्रिक कारों का बाजार भारत में और भी प्रतिस्पर्धी होने वाला है, क्योंकि महिंद्रा, मारुति सुजुकी, हुंडई और किआ जैसी कंपनियां अपनी छोटी इलेक्ट्रिक कारें लॉन्च करने की तैयारी में हैं। हालांकि, होंडा 2025-26 में कोई नई कार लॉन्च नहीं करने वाली है। कंपनी की आगामी इलेक्ट्रिक कार एलिवेट एसयूवी पर आधारित होगी, लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि यह सिर्फ एलिवेट में बैटरी डालकर बनाई हुई इलेक्ट्रिक कार नहीं होगी। बल्कि यह एक पूरी तरह से नई इलेक्ट्रिक कार होगी, जिसे विशेष रूप से ईवी के लिए डिजाइन किया जाएगा। त्सुमुरा ने 2026-2027 में लॉन्च होने वाली अन्य दो नई कारों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। फिलहाल होंडा भारत में केवल तीन कारें बेचती है – एलिवेट, अमेज और सिटी।

2030 तक इलेक्ट्रिक कारों का लक्ष्य

त्सुमुरा ने यह भी कहा कि होंडा का लक्ष्य 2030 तक दुनिया भर में अपनी कारों में लगभग दो-तिहाई इलेक्ट्रिक कारें बेचने का है। इसके बाद 2040 तक कंपनी की सभी कारें इलेक्ट्रिक होंगी। यह वैश्विक योजना के तहत होगा और कंपनी भारत में भी इस दिशा में काम कर रही है।

बिक्री घटने के बावजूद ईवी पर जोर

हालांकि, हाल के कुछ महीनों में भारत में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में कमी आई है। वहीं हाइब्रिड कारों की बिक्री बढ़ी है। इस पर त्सुमुरा ने कहा कि इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में उतनी वृद्धि की उम्मीद नहीं की जा सकती, जितनी पहले थी। लेकिन, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार हो रहा है और लोग धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक कारों को पसंद करने लगे हैं।

भारत का कार्बन तटस्थता लक्ष्य

भारत ने 2070 तक कार्बन तटस्थ बनने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत सरकार ने सीएएफई-2 (कॉरपोरेट औसत ईंधन दक्षता) नियम लागू किए हैं, जो 2027 से और कड़े हो जाएंगे। इन नियमों के तहत कार कंपनियों को कम उत्सर्जन वाली कारें बनाने का दबाव बढ़ेगा। त्सुमुरा ने कहा कि इस दबाव को देखते हुए ज्यादातर कंपनियां इलेक्ट्रिक कारों की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं।

C.A.F.E. नियमों का महत्व

C.A.F.E. नियमों का उद्देश्य जीवाश्म ईंधन की खपत को कम करना और कार्बन उत्सर्जन घटाना है। इसके तहत कंपनियों को अपनी कारों की औसत ईंधन दक्षता पर ध्यान देना होगा। जैसे-जैसे ये नियम कड़े होंगे, कंपनियों पर इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड कारें बनाने का दबाव बढ़ेगा। यही वजह है कि होंडा और अन्य कंपनियां ईवी और हाइब्रिड मॉडल की योजना बना रही हैं।


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Content Editor

Parminder Kaur

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