पाकिस्तान में फिर हिंदुओं पर जुल्मः इमरान सरकार व कट्टरपंथियों ने हमला कर खदेड़ा, तोड़ डाले घर
punjabkesari.in Sunday, Nov 29, 2020 - 04:41 PM (IST)
पेशावरः पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं और इनकी हालत दयनीय होती जा रही है। अल्पसंख्यकों पर जुल्मो-सितम के लिए बदनाम सिंध प्रांत में प्रांत सरकार ने हिंदू भील जाति के कई मकानों को निशाना बनाया और तोड़फोड़ की। जब इस घटना का वीडियो वायरल हुआ तो सरकार को दबाव में कार्रवाई को रोकना पड़ा लेकिन अब कट्टरपंथियों की भीड़ ने टूटे-फूटे घरों में रह रहे हिंदुओं को हमला कर खदेड़ दिया है।
Few days ago homes of Hindu Bheel community were demolished by Government in Khipro, Sindh-Pakistan. After sharing on social media & pressure on Govt. It was stopped but today local Muslim Neighborhood attacked to make Hindus run away. Various men, women & children are injured. pic.twitter.com/sMJ8IBpgZr
— Rahat Austin (@johnaustin47) November 28, 2020
पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ता राहत ऑस्टिन ने इस घटना का वीडियो ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा कि कुछ दिनों पहले ही सिंध सूबे के खीप्रो के प्रशासन ने हिंदू भील समुदाय के मकानों को ढहा दिया था। वीडियो वायरल होने के बाद सरकार ने कार्रवाई तो रोक दी लेकिन कट्टरपंथियों की भीड़ ने गरीब-बेसहारा हिंदुओं पर हमला कर उन्हें खदेड़ दिया । उन्होंने यह भी कहा कि इस हमले में कई पुरुष, महिलाएं और बच्चे घायल भी हुए हैं।
बता दें कि पाकिस्तान का सिंध अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के लिए बदनाम है। इसी सूबे से पाकिस्तान में सबसे ज्यादा हिंदू और ईसाई लड़कियों के जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कर निकाह कराया जा रहा है। अक्टूबर में ही 13 साल की ईसाई लड़की आरजू राजा का 44 साल के एक अधेड़ कट्टरपंथी ने अपहरण कर जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करवाया और उससे निकाह कर लिया।
मानवाधिकार संस्था मूवमेंट फॉर सॉलिडैरिटी एंड पीस (MSP) के अनुसार, पाकिस्तान में हर साल 1000 से ज्यादा ईसाई और हिंदू महिलाओं या लड़कियों का अपहरण किया जाता है। जिसके बाद उनका धर्म परिवर्तन करवा कर इस्लामिक रीति रिवाज से निकाह करवा दिया जाता है। पीड़ितों में ज्यादातर की उम्र 12 साल से 25 साल के बीच में होती है। मानवाधिकार संस्था ने यह भी कहा कि आंकड़े इससे ज्यादा भी हो सकते हैं क्योंकि ज्यादातर मामलों को पुलिस दर्ज नहीं करती है। अगवा होने वाली लड़कियों में से अधिकतर गरीब तबसे से जुड़ी होती हैं। जिनकी कोई खोज-खबर लेने वाला नहीं होता है।