Himachal : ये हैं वो 6 बागी कांग्रेसी विधायक, जो आ गए सड़क पर…जानिए इनके बारे में
punjabkesari.in Thursday, Feb 29, 2024 - 04:47 PM (IST)
नेशनल डेस्क: राज्यसभा चुनाव में छह कांग्रेस विधायकों के क्रॉस वोटिंग के साथ शुरू हुई हिमाचल प्रदेश में दो दिन की राजनीतिक उथल-पुथल के बाद, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार आखिरकार एक और दिन टिकने में कामयाब रही। कई कांग्रेस विधायकों और सीएम सुक्खू के बीच पैदा हुए तनाव को कम करने में पर्यवेक्षकों भूपिंदर सिंह हुड्डा, डीके शिवकुमार और भूपेश बघेल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विक्रमादित्य सिंह समेत हिमाचल प्रदेश के सभी विधायकों से व्यापक बातचीत करने वाले पर्यवेक्षक आज गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपेंगे।
राजिंदर राणा, सुधीर शर्मा, इंद्रदत्त लखनपाल, रवि ठाकुर, चैतन्य शर्मा और दविंदर भुट्टो सहित छह कांग्रेस विधायकों को हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के लिए निलंबित कर दिया है। हिमाचल सरकार में ऐसा पहली बार हुआ है कि एक ही झटके में 6 विधायकों को आयोग्य करार दे दिया गया हो।
आईए जानते है इन 6 विधायकों के बारे में .....
राजिंदर राणा
राजिंदर राणा 2014 में भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए और सुजानपुर से असंतुष्ट कांग्रेस विधायक रहे है। पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता प्रेम कुमार धूमल के समय के विश्वासपात्र रहे राणा ने टिकट नहीं मिलने के बाद भाजपा छोड़ दी थी। तीन बार के विधायक राणा पहली बार दिसंबर 2012 में विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए। उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव में सुजानपुर निर्वाचन क्षेत्र से अपने राजनीतिक गुरु को शिकस्त दी थी।
मौजूदा सरकार में सीएम सुक्खू द्वारा मंत्री पद नहीं दिए जाने से राणा निराश थे। उन्होंने कहा रविवार को कहा कि वह अब कोई भी कैबिनेट मंत्री पद स्वीकार नहीं करेंगे।
चैतन्य शर्मा
उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव राकेश शर्मा के बेटे और गगरेट विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक चैतन्य शर्मा अपने विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्यों के नहीं होने से परेशान थे।
दविंदर कुमार (भुट्टो)
कुटलेहड़ से कांग्रेस विधायक दविंदर भुट्टो पहली बार विधायक निर्वाचित हुए हैं। वह 2021 से 2022 तक हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव रहे हैं। वह राज्य में भाजपा के पूर्व पदाधिकारी थे। वह 2013 में भाजपा से कांग्रेस में चले गए थे। जानकारी के अनुसार, सुक्खू सरकार द्वारा उनके निर्वाचन क्षेत्र के साथ जिस तरह से भेदभाव से वह नाखुश थे।
सुधीर शर्मा
धर्मशाला से कांग्रेस विधायक सुधीर शर्मा पहले वीरभद्र सिंह की कैबिनेट में शहरी विकास मंत्री थे वह चार बार विधायक रह चुके है। राज्य की राजनीति का केंद्र माने जाने वाले कांगड़ा जिले से मंत्रिमंडल में जगह मिलने की उम्मीद थी। शर्मा को पार्टी आलाकमान ने नजरअंदाज किया। जिससे वार्षिक योजना बैठक में भाग लेने से परहेज किया था।
इंदर दत्त लखनपाल
बड़सर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक इंदर दत्त लखनपाल तीन बार विधायक रह चुके हैं। वह मई 2013 से दिसंबर 2017 तक मुख्य संसदीय सचिव भी रहे। वह 1997 से 2002 तक नगर निगम, शिमला के पार्षद रहे। लखनपाल भी मंत्री पद की उम्मीद कर रहे थे।
रवि ठाकुर
रवि ठाकुर जनवरी 2013 से नवंबर 2016 तक राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष/उपाध्यक्ष भी रहे। लाहौल-स्पीति से दो बार कांग्रेस विधायक रह चुके है। वह 2012 में पहली बार विधानसभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र की अनदेखी का मुद्दा उठाया है। ठाकुर ने पिछले साल कहा था कि राज्य सरकार के खिलाफ जनता में गुस्सा बढ़ रहा है। राज्य सरकार जनजातीय जिले लाहौल और स्पीति में रिक्त पदों को भरने में विफल रही है।