सितंबर में जमकर होगी बारिश, IMD ने दी बाढ़ और भूस्खलन की चेतावनी, जानिए पूरे महीने का पूर्वानुमान
punjabkesari.in Monday, Sep 01, 2025 - 11:34 PM (IST)

नेशनल डेस्कः देश में सितंबर महीने में सामान्य से ज्यादा बारिश होने की संभावना है। इस बार का मानसून सीजन पहले ही कई जगहों पर भारी बारिश के कारण तबाही लेकर आ चुका है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने रविवार को बताया कि सितंबर में औसतन 167.9 मिलीमीटर की तुलना में 109 प्रतिशत से ज्यादा बारिश होने की उम्मीद है। IMD के अनुसार, देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य या उससे अधिक बारिश होगी, लेकिन पूर्वोत्तर, पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों, दक्षिण भारत के कई इलाकों और उत्तर पश्चिमी भारत के कुछ क्षेत्रों में बारिश सामान्य से कम रह सकती है।
IMD के डायरेक्टर जनरल मृत्युंजय मोहापात्रा ने बताया कि सितंबर में भारी बारिश से उत्तराखंड में भूस्खलन और अचानक बाढ़ की आशंका है। इसके अलावा दक्षिण हरियाणा, दिल्ली और उत्तर राजस्थान में भी सामान्य जीवन प्रभावित हो सकता है। उन्होंने कहा, “उत्तराखंड से कई नदियां निकलती हैं, अगर वहां भारी बारिश होगी तो नदियां उफान पर आ जाएंगी, जो नीचे वाले शहरों और कस्बों को प्रभावित करेंगी। इसलिए हमें सतर्क रहना होगा।”
मोहापात्रा ने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ के महानदी के ऊपरी इलाकों में भी बारिश ज्यादा होने की संभावना है। साल 1980 के बाद से सितंबर की बारिश में धीरे-धीरे बढ़ोतरी देखी गई है। राजस्थान में मानसून के पीछे हटने की तारीख पहले 1 सितंबर होती थी, जो अब लगभग 17 सितंबर हो गई है। इससे पता चलता है कि सितंबर में बारिश की गतिविधियां बढ़ गई हैं।
सितंबर महीने को मानसून के खत्म होने और पोस्ट-मॉनसून मौसम के बीच संक्रमण काल माना जाता है। इस समय पश्चिमी विक्षोभ (western disturbances) और मानसून की टकराहट ज्यादा होती है, जिससे बारिश बढ़ती है।
IMD के आंकड़ों के मुताबिक, इस मानसून सीजन में 1 जून से 31 अगस्त तक भारत को कुल 743.1 मिलीमीटर बारिश मिली, जो सामान्य से लगभग 6 प्रतिशत ज्यादा है।
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जून में 180 मिलीमीटर बारिश हुई, जो सामान्य से 9 प्रतिशत ज्यादा थी, खासकर उत्तर पश्चिम और मध्य भारत में।
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जुलाई में 294.1 मिलीमीटर बारिश हुई, 5 प्रतिशत ज्यादा, मध्य भारत में 22 प्रतिशत अधिक बारिश रही।
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अगस्त में 268.1 मिलीमीटर बारिश हुई, सामान्य से 5.2 प्रतिशत ज्यादा।
उत्तर पश्चिमी भारत में अगस्त में 265 मिलीमीटर बारिश दर्ज हुई, जो 2001 के बाद सबसे ज्यादा है। इस क्षेत्र में पूरे मानसून में अब तक 614.2 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है, जो सामान्य से 27 प्रतिशत अधिक है।
दक्षिणी भारत में अगस्त में 250.6 मिलीमीटर बारिश हुई, जो सामान्य से 31 प्रतिशत ज्यादा है। यहां जून से अगस्त तक कुल बारिश 607.7 मिलीमीटर रही, जो सामान्य से 9.3 प्रतिशत अधिक है।
मोहापात्रा ने बताया कि अगस्त में पश्चिमी विक्षोभ और मानसूनी कम दबाव के कारण उत्तर पश्चिमी भारत में भारी बारिश हुई। इन कम दबाव प्रणालियों ने बंगाल की खाड़ी से निकलते हुए असामान्य रास्ता अपनाया, जिससे झारखंड, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना जैसे इलाकों में भी बारिश बढ़ी। इस भारी बारिश के कारण पंजाब में दशकों की सबसे भयंकर बाढ़ आई, हजारों हेक्टेयर खेत पानी में डूब गए और लाखों लोग विस्थापित हुए। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में भी बादल फटने और बाढ़ से जान-माल की भारी नुकसान हुई।
IMD ने कहा कि बादल फटने की घटनाओं में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है, लेकिन भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान की एक स्टडी में “मिनी क्लाउडबर्स्ट” (1 घंटे में 5 सेमी या अधिक बारिश) की बढ़ती घटनाओं की पुष्टि हुई है। मोहापात्रा ने बताया कि जुलाई 28 से अगस्त 14 के बीच सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ ने पश्चिमी हिमालय और आसपास के इलाकों में भारी बारिश कराई, जिससे उत्तरकाशी में भूस्खलन और बाढ़ आई। वहीं उत्तर प्रदेश और बिहार में भी नदी-जनित बाढ़ देखी गई। अगस्त के दूसरे पखवाड़े में चार कम दबाव प्रणालियां सक्रिय रहीं, जिससे बारिश का सिलसिला बना रहा।
अगस्त 21 से 27 के बीच उत्तर पश्चिम भारत और आसपास के हिमालयी राज्यों में “अत्यंत भारी” बारिश हुई। 22 से 24 अगस्त के बीच पूर्व राजस्थान में भारी बारिश हुई। 23 से 26 अगस्त के बीच पंजाब और हरियाणा में भी बारिश ज्यादा रही। 23 से 27 अगस्त तक जम्मू-कश्मीर के कटरा में भूस्खलन और जम्मू, पंजाब तथा राजस्थान के कुछ हिस्सों में बाढ़ आई।
इसके अलावा 20 अगस्त को कोकण और मध्य महाराष्ट्र के घाटों में, 23 अगस्त को पूर्व राजस्थान में, 27 अगस्त को जम्मू क्षेत्र में, और 28 अगस्त को तेलंगाना में भी भारी बारिश दर्ज की गई।