देश के दिग्गज बैंक ने लोन पर इतने प्रतिशत तक घटाई ब्याज दर, घर और कार लेना हुआ आसान
punjabkesari.in Tuesday, Oct 07, 2025 - 08:56 PM (IST)

नेशनल डेस्क : देश के सबसे बड़े निजी क्षेत्र के बैंक एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) ने त्योहारों के मौसम से ठीक पहले अपने करोड़ों ग्राहकों को बड़ी सौगात दी है। दिवाली की खरीदारी और जश्न की तैयारियों के बीच बैंक ने लोन पर ब्याज दरों में कटौती का ऐलान किया है, जिससे लोगों के लिए घर, गाड़ी या अन्य जरूरतों के लिए कर्ज लेना पहले से आसान हो जाएगा। इस कदम से न केवल नए ग्राहकों को फायदा होगा, बल्कि पुराने ग्राहकों की जेब पर पड़ने वाला बोझ भी कम होगा।
कितनी हुई कटौती
एचडीएफसी बैंक ने अपने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) में 0.15 प्रतिशत तक की कटौती की है। यह बदलाव अलग-अलग अवधि के लोन के लिए किया गया है और 7 अक्टूबर 2025 से लागू होगा। वित्तीय शब्दों में MCLR वह न्यूनतम ब्याज दर है, जिससे कम पर कोई भी बैंक लोन नहीं दे सकता। जब बैंक इस दर में कमी करता है, तो फ्लोटिंग रेट वाले लोन अपने आप सस्ते हो जाते हैं, जिससे ग्राहकों की मासिक किस्तों (EMI) में कमी आती है।
बैंक की नई दरों के अनुसार, ओवरनाइट MCLR 8.55% से घटकर 8.45%, एक महीने का MCLR 8.55% से घटकर 8.40%, तीन महीने का MCLR 8.60% से घटकर 8.45%, और छह महीने का MCLR 8.65% से घटकर 8.55% कर दिया गया है। इसी तरह, एक साल का MCLR, जो ज्यादातर होम लोन और पर्सनल लोन से जुड़ा होता है, 8.65% से घटाकर 8.55% कर दिया गया है। लंबी अवधि के लोन के लिए दरों में भी कटौती हुई है। दो साल का MCLR 8.70% से घटकर 8.60% और तीन साल का MCLR 8.75% से घटकर 8.65% हो गया है।
आप पर क्या पड़ेगा असर?
अब सवाल यह है कि इस कटौती का असर आपकी जेब पर क्या होगा। जब भी बैंक MCLR घटाता है, तो फ्लोटिंग ब्याज दर पर चल रहे लोन की EMI कम हो जाती है। जब आपके लोन की रीसेट डेट आएगी, तो नई दरें लागू हो जाएंगी। उदाहरण के तौर पर, अगर आपका होम लोन एक साल के MCLR से जुड़ा है, तो अगली रीसेट डेट पर आपकी ब्याज दर में 0.10% की कमी आएगी। यह मामूली बदलाव लंबे समय में एक बड़ी बचत साबित हो सकता है, क्योंकि होम लोन जैसी लंबी अवधि की देनदारियों में EMI की थोड़ी सी कमी भी सालभर में हजारों रुपये की राहत दे सकती है।
क्या होता है MCLR?
कई ग्राहक यह जानना चाहते हैं कि MCLR आखिर है क्या और यह कैसे तय होता है। MCLR का पूरा नाम ‘मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट’ है। यह एक आंतरिक बेंचमार्क दर है जिसे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2016 में लागू किया था। इसके आधार पर बैंक यह तय करते हैं कि वे लोन पर न्यूनतम ब्याज दर कितनी रख सकते हैं। MCLR की गणना कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे बैंक की जमाओं की लागत (डिपॉजिट पर ब्याज दर), RBI का रेपो रेट, कैश रिजर्व रेशियो (CRR) बनाए रखने की लागत और बैंक के परिचालन खर्चे।
जब RBI अपनी मौद्रिक नीति में रेपो रेट में बदलाव करता है, तो बैंकों पर भी अपने MCLR में संशोधन करने का दबाव बनता है। इसलिए, MCLR में आई यह नई कटौती ग्राहकों के लिए एक राहत भरी खबर है। त्योहारी सीजन के दौरान यह फैसला न सिर्फ खरीदारी और निवेश की रफ्तार को बढ़ावा देगा, बल्कि लोगों के लिए कर्ज लेना और आसान बना देगा। इससे बाजार में मांग बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था को भी नई गति मिलेगी।