रसोई की ये चीजें होंगी सस्ती:  GST में बदलाव से महंगाई पर लगेगा ब्रेक,  घी, मक्खन, चप्पल-साबुन पर घट सकता है टैक्स

punjabkesari.in Thursday, Jul 03, 2025 - 09:03 AM (IST)

नई दिल्ली: महंगाई की मार झेल रही आम जनता के लिए राहत की खबर आ सकती है। केंद्र सरकार जल्द ही जीएसटी (GST) दरों में बड़े बदलाव पर विचार कर रही है, जिससे रोजमर्रा के उपयोग में आने वाले कई उत्पाद सस्ते हो सकते हैं। सूत्रों के अनुसार, सरकार 12% जीएसटी स्लैब को समाप्त करके इसे 5% के निचले स्लैब में समाहित करने का प्रस्ताव तैयार कर रही है। अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो इससे मध्यम और निम्न-मध्यम वर्गीय परिवारों को काफी फायदा मिल सकता है।

कौन-कौन सी चीजें हो सकती हैं सस्ती?
अगर 5% जीएसटी स्लैब का विस्तार किया जाता है, तो कई उपयोगी और रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतों में गिरावट आ सकती है। इनमें शामिल हैं:

₹1000 से कम कीमत वाले जूते और कपड़े
घी, मक्खन, पनीर, डेयरी स्प्रेड
प्रोसेस्ड मांस और मछली, डेयरी ड्रिंक्स, टॉफी-कैंडी
सिरका, नमकीन, भुजिया, सोया बरी
फ्रूट जेली, सूखे मेवे, सब्जियां, मशरूम
20 लीटर की सीलबंद पानी की बोतलें
पेंसिल, चश्मा, कॉटन हैंडबैग, खेल के सामान
पास्ता, मैकरोनी, नूडल्स
इसका मतलब है कि रोजमर्रा की थाली से लेकर स्कूल बैग तक, जीवन से जुड़ी कई चीजें अब सस्ते दाम पर मिलने की संभावना है।

 राज्यों की सहमति होगी अहम कड़ी
हालांकि यह बदलाव ग्राहकों के लिए राहत लेकर आ सकता है, लेकिन राज्यों की सहमति इसके क्रियान्वयन के लिए जरूरी होगी। चूंकि 12% टैक्स स्लैब को हटाने से राज्यों को मिलने वाला टैक्स रेवेन्यू प्रभावित हो सकता है, इसलिए केंद्र को उन्हें विश्वास में लेना पड़ेगा। वित्त मंत्री ने पहले भी यह संकेत दिए हैं कि सरकार मध्यम और निम्न आय वर्ग के हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेगी।

 क्या हो सकता है वैकल्पिक रास्ता?
सरकार के पास एक और विकल्प है — 12% टैक्स स्लैब को खत्म करके वस्तुओं को या तो 5% या फिर 18% स्लैब में शामिल करना।
अगर सरकार जरूरी और जन-उपयोगी वस्तुओं को 5% स्लैब में डालती है, तो इससे आम उपभोक्ताओं पर पड़ने वाला मुद्रास्फीति का असर काफी हद तक कम किया जा सकता है।

 कब होगा फैसला?
यह महत्वपूर्ण प्रस्ताव अगली जीएसटी काउंसिल मीटिंग में चर्चा के लिए लाया जा सकता है। बैठक में इस बात पर मंथन होगा कि किन वस्तुओं को 5% स्लैब में लाया जाए, और राज्यों को किस तरह से टैक्स नुकसान की भरपाई की जाए।


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Content Writer

Anu Malhotra

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