No UPI, Only Cash: GST विभाग का डिजिटल डंडा: छोटे व्यापारियों ने UPI को कहा NO, Cash में ही करेंगे लेन-देन
punjabkesari.in Friday, Aug 01, 2025 - 10:14 AM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत ने बीते कुछ वर्षों में डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में ऐसा इतिहास रच दिया है, जिसकी मिसाल पूरी दुनिया देती है। सरकार द्वारा समर्थित रियल टाइम पेमेंट सिस्टम, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI), आज भारत की वित्तीय रीढ़ बन चुका है। करोड़ों लोग और लाखों व्यापारी इसका इस्तेमाल रोज़ाना करते हैं, जिससे लेन-देन आसान, तेज और पारदर्शी हो गया है। लेकिन जिस प्रणाली को भारत की एक बड़ी कामयाबी के रूप में देखा जा रहा है, वहीं अब इसके कारण देश के छोटे व्यापारियों में घबराहट और असंतोष पनप रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण बना है कि GST विभाग द्वारा भेजे गए भारी टैक्स नोटिस, जो UPI से हुए लेन-देन के आंकड़ों के आधार पर भेजे गए हैं।
UPI की अद्भुत सफलता: दुनिया में भारत का वर्चस्व
वर्ष 2023 में दुनियाभर के रियल टाइम डिजिटल पेमेंट ट्रांजेक्शनों का 49% हिस्सा केवल भारत से आया। दिसंबर 2016 में जहां UPI ट्रांजेक्शन का मूल्य ₹707.93 करोड़ था, वहीं दिसंबर 2024 तक यह बढ़कर ₹23,24,699.91 करोड़ तक पहुंच गया। अब UPI सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रहा, UAE, सिंगापुर, फ्रांस, नेपाल, भूटान, श्रीलंका और मॉरीशस जैसे देशों में भी इसकी शुरुआत हो चुकी है। 491 मिलियन उपयोगकर्ता और 6.5 करोड़ व्यापारी इससे जुड़े हुए हैं -- ये संख्या अमेरिका और ब्रिटेन की संयुक्त जनसंख्या से अधिक है।
UPI से शुरू हुई टैक्स मुसीबत: छोटे व्यापारियों पर गिरी गाज
शंकरगौड़ा हादिम नाम के एक सब्ज़ी विक्रेता को ₹29 लाख का GST नोटिस मिला, सिर्फ इसलिए क्योंकि उनके UPI ट्रांजेक्शन ₹1.63 करोड़ तक पहुंच गए थे। जबकि वे केवल फल-सब्ज़ी बेचते हैं --- जो सरकार के अनुसार GST मुक्त श्रेणी में आते हैं। उनका कहना है: “मैंने कभी GST रजिस्ट्रेशन नहीं कराया, क्योंकि सब्जियां GST में नहीं आतीं। लेकिन अब UPI ट्रांजेक्शन को देख कर मुझे ₹29 लाख टैक्स का नोटिस मिल गया...”
ClearTax और भारत सरकार के नियमों के अनुसार, फल, सब्ज़ियां, दूध, अंडा, मांस, मछली जैसे अप्रोसेस्ड food items पर कोई GST नहीं लगता। लेकिन जब व्यापारी UPI से पेमेंट लेते हैं, तो सारा डेटा सरकार को ट्रैकिंग के लिए मिल जाता है। अब जब यह लेन-देन ₹40 लाख सालाना से ऊपर जाता है, तो वह GST के दायरे में आ जाते हैं, भले ही वस्तुएं टैक्स-फ्री हों।
13,000 व्यापारियों पर नोटिस – घबराहट पूरे कर्नाटक में फैली
कर्नाटक में 13,000 से अधिक छोटे व्यापारी जैसे दूधवाले, चाय स्टॉल, फल विक्रेता आदि को GST नोटिस मिल चुके हैं। अधिकतर व्यापारी 5-10% के बेहद पतले मुनाफे पर कारोबार करते हैं। लेकिन टैक्स और जुर्माना मिलाकर कुल मांग 50% तक जा रही है — जो इनके लिए असंभव है।
कर्नाटक स्ट्रीट वेंडर्स यूनियन के अनुसार, छोटे व्यापारी इतना टैक्स नहीं दे सकते। हम सरकार से इस मामले में छूट देने की मांग करते हैं। कई व्यापारियों ने बताया कि उनके UPI ट्रांजेक्शन में बहुत बार निजी लेन-देन, उधार, या पारिवारिक पैसे शामिल होते हैं — जो कारोबार नहीं होते, लेकिन डेटा में जोड़ दिए जाते हैं। इससे GST अधिकारियों को लगता है कि व्यापारी का टर्नओवर बहुत ज्यादा है। जैसे ही डिजिटल लेन-देन ₹40 लाख (सामान) या ₹20 लाख (सेवा) के पार हो जाता है, नोटिस भेज दिया जाता है। इस वजह से अब व्यापारी कहने लगे हैं, "UPI बंद, केवल नकद लें"
कैश की ओर वापसी: 'डिजिटल इंडिया' को झटका
बेंगलुरु और हुबली में व्यापारियों ने दुकानों पर बोर्ड लगा दिए हैं: "No UPI, Only Cash"
कई व्यापारी अब एक से अधिक UPI IDs बना रहे हैं — जैसे परिवार के सदस्य के नाम पर। एक दुकान तो 9 UPI IDs चला रही थी।
कुछ व्यापारी पर्सनल बैंक अकाउंट से पेमेंट ले रहे हैं ताकि व्यापारी ID से ट्रैक न हो सके।
सरकार ने मानी गलती: राहत का एलान
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि ऐसे छोटे व्यापारी जो GST में पंजीकरण कर लेंगे, उनसे पिछले टैक्स नहीं वसूले जाएंगे।
फल, सब्ज़ी, दूध जैसे GST मुक्त व्यापारियों को दोबारा नोटिस नहीं भेजे जाएंगे।
यह कदम व्यापारियों के आंदोलन के बाद उठाया गया। राजनीतिक दबाव भी बढ़ा, BJP ने इसे "आर्थिक आतंक" करार दिया।
रिवर्स फॉर्मलाइजेशन: क्या डिजिटल इंडिया पीछे जा रहा है?
SBI और अन्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर ऐसा ही चलता रहा, तो डिजिटल सिस्टम से जुड़े छोटे कारोबारी फिर से कैश इकोनॉमी में लौट सकते हैं - और इससे 'रिवर्स फॉर्मलाइजेशन' हो सकता है। मतलब, सरकार जिनको डिजिटल सिस्टम से जोड़ना चाहती है, वो भय के कारण फिर से छिपे हुए लेन-देन की ओर लौट सकते हैं।
CBDT और आयकर विभाग की नजर भी UPI पर
अब सिर्फ GST ही नहीं, बल्कि CBDT (Income Tax Department) भी छोटे व्यापारियों की UPI गतिविधियों को ट्रैक कर रहा है। जिन व्यापारियों ने ITR फाइल किया है, उनके UPI डेटा से उनकी कमाई की तुलना की जा रही है। आयकर विभाग अब छोटे व्यापारियों को भी स्कैन कर रहा है।
सरकार की मंशा बनाम ज़मीनी सच्चाई
सरकार का उद्देश्य है:
-डिजिटल भुगतान से पारदर्शिता
-आसान ऋण सुविधा (डिजिटल लेन-देन से ट्रैक रिकॉर्ड बनता है)
-वित्तीय समावेशन और सामाजिक सुरक्षा योजनाएं लेकिन अगर यह सब व्यापारियों को डर और असमर्थता का एहसास कराए, तो वे इससे दूर भागेंगे।