32 पार्टियों का मिला समर्थन... एक देश-एक चुनाव' पर जानिए किस पार्टी का क्या रहा रुख
punjabkesari.in Thursday, Sep 19, 2024 - 09:10 PM (IST)
नेशनल डेस्क : मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने के बाद 'वन नेशन-वन इलेक्शन' की दिशा में ठोस कदम उठाने का निर्णय लिया है। इस प्रस्ताव के कार्यान्वयन में कई चुनौतियाँ मौजूद हैं, लेकिन सरकार का विश्वास है कि इनका समाधान किया जा सकता है। 'वन नेशन-वन इलेक्शन' का लक्ष्य सभी चुनावों को एक साथ कराना है, जिससे चुनावी प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाया जा सके। इससे चुनावी खर्च में कमी, प्रशासनिक बोझ में कमी और राजनीतिक स्थिरता में वृद्धि होने की संभावना है।
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कोविंद कमेटी का गठन और रिपोर्ट
मोदी सरकार ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' की संभावनाओं की जांच के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने 18,626 पन्नों की रिपोर्ट मार्च में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी। इस रिपोर्ट को लेकर मोदी सरकार का मानना है कि यदि सभी राजनीतिक दल एकजुट होकर कार्य करें, तो 'वन नेशन-वन इलेक्शन' की दिशा में आगे बढ़ना संभव है। यह योजना चुनावी प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने का एक प्रयास है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
Modi 3.0 approves 𝐎𝐍𝐄 𝐍𝐀𝐓𝐈𝐎𝐍, 𝐎𝐍𝐄 𝐄𝐋𝐄𝐂𝐓𝐈𝐎𝐍!
— BJP (@BJP4India) September 18, 2024
Bharat, under PM Modi's visionary leadership, is all set to experience a democratic revolution... 🇮🇳 pic.twitter.com/blAUT4hJCV
- राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाना: सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल अगले लोकसभा चुनाव (2029) तक बढ़ाया जाएगा।
- अविश्वास प्रस्ताव: यदि कोई सरकार बहुमत खो देती है और अविश्वास प्रस्ताव पास होता है, तो नए चुनाव कराए जा सकते हैं।
- चुनावों का चरणबद्ध आयोजन: पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव होंगे, जबकि दूसरे चरण में 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव होंगे।
- कॉमन इलेक्टोरल रोल: सभी चुनावों के लिए एक सामान्य मतदाता सूची तैयार की जाएगी।
- सुरक्षा और संसाधनों की योजना: चुनावों के लिए आवश्यक उपकरण, जनशक्ति और सुरक्षा बलों की अग्रिम योजना बनाई जाएगी।
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विपक्ष की चिंताएँ
विपक्ष, खासकर कांग्रेस, 'वन नेशन-वन इलेक्शन' के विचार का विरोध कर रहा है। उनका तर्क है कि इस प्रस्ताव को लागू करना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। कांग्रेस का कहना है कि विभिन्न राज्यों की राजनीतिक परिस्थितियाँ और चुनावी आवश्यकताएँ एकसाथ चुनाव कराने में बाधा डाल सकती हैं।
राजनीतिक दलों की विभिन्न राय
- कांग्रेस: इस प्रस्ताव का सख्त विरोध करते हुए, वे इसे असंभव मानते हैं और कहते हैं कि इससे लोकतंत्र में विविधता को नुकसान होगा।
- अन्य दल: कुछ दलों ने समर्थन दिया है, जबकि कई अन्य ने इस मुद्दे पर स्पष्ट स्थिति नहीं ली है। उदाहरण के लिए, जेडीयू ने बिल का समर्थन किया है, जबकि कुछ क्षेत्रीय दलों ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया:
- समर्थन: 32 दलों ने इस पहल का समर्थन किया है।
- विरोध: 15 दलों ने इसका विरोध किया है।
- अनुत्तरदायी: 15 दलों ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
'वन नेशन-वन इलेक्शन' की संभावनाएँ एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती हैं, जो चुनावी प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाने का प्रयास कर रही हैं। हालांकि, इसके सफल कार्यान्वयन के लिए सभी राजनीतिक दलों का सहयोग अनिवार्य होगा।
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इन पार्टियों ने किया समर्थन
वन नेशन-वन इलेक्शन' प्रस्ताव का समर्थन करने वाले राजनीतिक दलों में सत्ताधारी बीजेपी के अलावा कई क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दल शामिल हैं। इनमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित दल शामिल हैं:
- अन्नाद्रमुक
- ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन
- अपना दल (सोनेलाल)
- असम गण परिषद
- बीजू जनता दल
- लोक जनशक्ति पार्टी (आर)
- मिजो नेशनल फ्रंट
- नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी
- शिवसेना
- जनता दल (यूनाइटेड)
- सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा
- शिरोमणि अकाली दल
- यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल
प्रमुख विरोधी दल:
I have consistently opposed #OneNationOneElections because it is a solution in search of a problem. It destroys federalism and compromises democracy, which are part of the basic structure of the constitution.
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) September 18, 2024
Multiple elections aren’t a problem for anyone except Modi & Shah.…
- कांग्रेस
- आम आदमी पार्टी (आप)
- मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा)
- AIMIM
- CPM
- DMK
- TMC
- सपा
आवश्यकताएँ और चुनौतियाँ
- राजनीतिक सहमति: विभिन्न दलों के बीच सहमति स्थापित करना एक बड़ी चुनौती है, खासकर जब राजनीतिक परिदृश्य विविधता से भरा हो।
- संविधानिक बदलाव: कई संविधानिक परिवर्तनों की आवश्यकता होगी, जो जटिल हो सकते हैं।
- प्रशासनिक तैयारी: चुनावों के लिए जरूरी संसाधनों और जनशक्ति की उचित व्यवस्था करनी होगी।
भविष्य की दृष्टि
यदि ये चुनौतियाँ हल हो जाती हैं, तो 'वन नेशन-वन इलेक्शन' भारतीय लोकतंत्र के लिए एक नया आयाम स्थापित कर सकता है। समय बताएगा कि क्या यह योजना सफल हो पाती है या नहीं। सभी पक्षों की सक्रिय भागीदारी इस प्रक्रिया में एक निर्णायक भूमिका निभाएगी।