गीता, बबीता और अब विनेश... देश की 6 धाकड़ बहनें, हर बहन ने क‍िया है भारत का नाम रोशन

punjabkesari.in Wednesday, Aug 07, 2024 - 09:11 AM (IST)

नेशनल डेस्क: Phogat परिवार की कुश्ती में शानदार उपलब्धियों ने भारत को गर्वित किया है। इस परिवार की छह बेटियों ने अपनी मेहनत और प्रतिभा से विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। परिवार की सबसे छोटी बहन, Vinesh Phogat ने हाल ही में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। 6 अगस्त को महिला 50 किलोग्राम फ्रीस्टाइल इवेंट के सेमीफाइनल में, Vinesh ने क्यूबा की रेसलर युसनेइलिस गुजमैन को 5-0 से हराया। अब 7 अगस्त को उनका गोल्ड मेडल मुकाबला होगा, जिसमें उन्हें स्वर्ण पदक जीतने का भी शानदार अवसर प्राप्त है। इस जीत ने Vinesh को एक मेडल तो पक्का कर ही दिया है, और भारतीय कुश्ती के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाया है।

Phogat परिवार की कुश्ती की प्रेरणादायक यात्रा
Phogat परिवार की कहानी ने भारतीय कुश्ती को नया आयाम दिया है। Geeta, Babita, प्रियंका, Ritu, Vinesh और Sangeeta—ये सभी Phogat परिवार की बहनें हैं, जिन्होंने कुश्ती की दुनिया में अपने नाम को प्रसिद्ध किया है। इनकी सफलता की कहानी पर आधारित 'दंगल' फिल्म ने इस परिवार की मेहनत और संघर्ष को व्यापक दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया। महावीर Phogat, जो इस परिवार के कुश्ती कोच और पिता हैं, को उनके योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा द्रोणाचार्य सम्मान भी मिल चुका है। 
 

महावीर Phogat ने अपने गांव बलाली, भिवानी में सभी छह बेटियों को कुश्ती के मूलभूत पहलुओं से लेकर उच्च स्तर की तकनीक तक सिखाई। Geeta, Babita, Ritu और Sangeeta, ये चार बहनें महावीर के निर्देशन में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही थीं, जबकि प्रियंका और Vinesh का पालन-पोषण भी महावीर ने ही किया। Vinesh ने अपने पिता राजपाल को 9 साल की उम्र में खो दिया था, और महावीर Phogat उनके ताऊ हैं जिन्होंने उन्हें कुश्ती के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया।
 

प्रमुख उपलब्धियाँ और संघर्ष
-Geeta Phogat: Geeta ने 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में 55 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर भारत को गर्वित किया। यह राष्ट्रमंडल खेलों में किसी महिला भारतीय पहलवान द्वारा जीता गया पहला स्वर्ण पदक था। इसके बाद, 2012 के लंदन ओलंपिक में, Geeta ने 55 किलोग्राम वर्ग में क्वालिफाई करके इतिहास रचा। हालांकि वे राउंड ऑफ 16 में हार गईं, लेकिन उन्होंने कुछ महीनों बाद महिला विश्व चैंपियनशिप में 55 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीता।
-Babita Phogat : Babitaने 2014 के राष्ट्रमंडल खेलों में 55 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक जीता और 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों में 53 किलोग्राम वर्ग में रजत पदक प्राप्त किया। उन्होंने 2019 में भारतीय जनता पार्टी जॉइन की, लेकिन प्रोफेशनल रेसलर के रूप में उनकी गतिविधियाँ जारी रहीं।
-Ritu Phogat : Ritu ने 2016 के राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप में स्वर्ण और 2017 के एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। हालांकि, उन्होंने बाद में मिश्रित मार्शल आर्ट (MMA) की ओर रुख किया।
-Sangeeta Phogat : Sangeeta ने भी विभिन्न अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भारत का प्रतिनिधित्व किया और टोक्यो 2020 के कांस्य पदक विजेता बजरंग पुनिया से विवाह किया।

Vinesh Phogat की चुनौतियाँ और उपलब्धियाँ
Vinesh Phogat , Phogat परिवार की सबसे छोटी बहन हैं, जिन्होंने अपनी कुश्ती की यात्रा में कई चुनौतियों का सामना किया है। ओलंपिक खेलों में उनके प्रदर्शन को लेकर कुछ निराशाएँ रही हैं, लेकिन उनका धैर्य और कड़ी मेहनत अब फल देने लगी है। रियो 2016 में महिलाओं के 48 किलोग्राम फ्रीस्टाइल श्रेणी में ओलंपिक में डेब्यू करते समय Vinesh को घुटने में गंभीर चोट लग गई थी, जिससे उन्हें क्वार्टरफाइनल मुकाबले से बाहर होना पड़ा। इसके बाद, टोक्यो 2020 में भी Vinesh को क्वार्टरफाइनल में हार का सामना करना पड़ा।

हालांकि, Vinesh ने अपनी मेहनत और संघर्ष के बल पर पेरिस ओलंपिक में फाइनल तक पहुंचकर इतिहास रच दिया है। वे विश्व चैंपियनशिप की कांस्य पदक विजेता, राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता हैं, और अब वे ओलंपिक में भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के करीब हैं।

Phogat परिवार की प्रेरणा और संघर्ष
महावीर Phogat , जो एक शौकिया पहलवान थे, ने अपने बच्चों को कुश्ती की दिशा में प्रशिक्षित करने के लिए कई बाधाओं का सामना किया। ग्रामीण समाज की पारंपरिक सोच और विरोध के बावजूद, उन्होंने अपनी बेटियों को कुश्ती में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। महावीर की पत्नी दया कौर ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने अपने पति से चिंता जताई थी कि लड़कियाँ कुश्ती में शामिल होने पर पारंपरिक सामाजिक मानदंडों से भटक सकती हैं। लेकिन महावीर ने अपने दृढ़ संकल्प से यह साबित किया कि महिलाएं भी कुश्ती में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकती हैं।

महावीर Phogat ने कुश्ती के लिए पर्याप्त सुविधाओं की कमी के बावजूद अपने बच्चों को प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया। उन्होंने Geeta और Babita को सोनीपत में भारतीय खेल प्राधिकरण केंद्र (SAI) में दाखिला दिलाया, जिससे उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्टता प्राप्त करने में मदद मिली।

भारतीय कुश्ती का इतिहास

भारतीय पहलवानों की ओलंपिक यात्रा 1896 में शुरू हुई थी, जब कुश्ती को शामिल किया गया। हालांकि, महिला पहलवानों को ओलंपिक में 2004 से एंट्री मिली। इसके बाद, 2016 के रियो ओलंपिक में साक्षी मलिक ने ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारत को गर्वित किया। अब Vinesh Phogat ने पेरिस ओलंपिक में फाइनल में पहुंचकर भारतीय कुश्ती के इतिहास में एक नई उपलब्धि दर्ज कर दी है। Phogat परिवार की कहानी एक प्रेरणा है कि कैसे संघर्ष और समर्पण से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। उनकी उपलब्धियाँ और मेहनत ने भारतीय कुश्ती को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाई है।


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Content Editor

Mahima

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