10 सालों के बाद भी नहीं हुई गंगा की सफाई, नमामि गंगे योजना चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट: कांग्रेस

punjabkesari.in Friday, May 31, 2024 - 12:03 PM (IST)

नेशनल डेस्क : कांग्रेस ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की नमामि गंगे परियोजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है जिसे वाराणसी की जनता बर्दाश्त नहीं करेगी। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि "निवर्तमान प्रधानमंत्री" का "निवर्तमान सांसद" भी बनना तय है। वाराणसी संसदीय क्षेत्र में 1 जून को मतदान होगा। यहां से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार तीसरी बार भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार हैं। उनके खिलाफ कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस' ('इंडिया') की तरफ से अजय राय को उम्मीदवार बनाया गया है।

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मिशन गंगा का नाम बदलकर नमामि गंगे किया
रमेश ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर पोस्ट किया, "1 जून को प्राचीन और पवित्र शहर वाराणसी में वोट डाला जाएगा। नरेन्द्र मोदी 10 साल से यहां के सांसद हैं। गंगा को साफ़ करने के वादे के 10 साल हो चुके हैं।" उन्होंने कहा, "सत्ता में आने के तुरंत बाद उन्होंने, 2009 में शुरू होने के बाद से चल रहे मिशन गंगा का नाम बदलकर नमामि गंगे किया। मिशन गंगा के दो प्रमुख उद्देश्य थे: निर्मल गंगा और अविरल गंगा। प्रधानमंत्री मोदी ने गंगा के प्राकृतिक प्रवाह को बहाल करने के उद्देश्य को पूरी तरह से त्याग दिया है।" उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार ने गंगा पर राज्य और केंद्र सरकार की पहल के समन्वय के लिए 2009 में राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की स्थापना की थी।

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10 वर्षों में केवल 2 बार बैठक हुई
रमेश ने दावा किया, "इस महत्वपूर्ण संस्थान को भी प्रधानमंत्री ने पहले राष्ट्रीय गंगा नदी परिषद का नाम दिया और फ़िर 10 वर्षों के लिए इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। राष्ट्रीय गंगा परिषद की 10 वर्षों में केवल 2 बार बैठक हुई है! 2022 के बाद से कोई बैठक नहीं हुई है।" कांग्रेस नेता के अनुसार, "अंत में ऐतिहासिक रूप से सात आईआईटी का एक संघ साथ आया और गंगा नदी बेसिन की सुरक्षा और कायाकल्प के लिए एक ‘गंगा नदी बेसिन एक्शन प्लान' की सिफ़ारिश की। कई वॉल्यूम की अंतिम रिपोर्ट मोदी सरकार को सौंपी गई लेकिन इस रिपोर्ट पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।"

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प्रदूषित नदी क्षेत्रों की संख्या 51 से बढ़कर 66
उन्होंने दावा किया, " पिछली सरकारों के काम को आगे बढ़ाने और विशेषज्ञों की राय को सुनने के बजाय, प्रधानमंत्री ने अपने प्रयासों को नए सिरे से शुरू करने में करोड़ों रुपए ख़र्च किए। उन्होंने पूरी तरह से जल शुद्धिकरण पर ध्यान केंद्रित करना चुना, विशेष रूप से सीवेज उपचार के लिए जिसपर पिछले दस वर्षों में 20,000 करोड़ रुपए ख़र्च किए गए हैं।" रमेश ने कहा, "पानी साफ़ करने के लिए नए सिरे से शुरू किए गए काम का कोई परिणाम नहीं मिला है। प्रदूषित नदी क्षेत्रों की संख्या 51 से बढ़कर 66 हो गई है। 

पानी नहाने या फसलों की सिंचाई के लिए भी सुरक्षित नहीं
फरवरी 2024 में बिहार सरकार की एक रिपोर्ट में पाया गया कि गंगा का पानी नहाने या फसलों की सिंचाई तक के लिए भी सुरक्षित नहीं है।"रमेश ने आरोप लगाया क्थ् डबल-अन्याय वाली उत्तर प्रदेश सरकार इस मामले में डबल नुक़सान कर रही है। उन्होंने कहा, "नमामि गंगे परियोजना द्वारा अपनाया गया मॉडल प्रत्येक कार्य के लिए निजी ठेकेदारों को ठेका देने का है। ऐसा होने की वजह से खराब प्रदर्शन के बावजूद उन्हें भारी फंड दिया जाता है। सीएजी ऑडिट रिपोर्ट में वित्तीय प्रबंधन, योजना, कार्यान्वयन और निगरानी में गंभीर खामियों की ओर इशारा किया गया है।"

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रमेश ने कहा कि जब इतने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है तब यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि 20,000 करोड़ रुपये गायब हो गए और गंगा पहले से कहीं अधिक प्रदूषित हो गई है। उन्होंने कहा, "वाराणसी के लोग इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। निवर्तमान प्रधानमंत्री का निवर्तमान सांसद भी बनना तय है।'' 

 

 


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Content Editor

Utsav Singh

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