श्रद्धा वालकर हत्याकांड : FSL की टीम पूनावाला की नार्को जांच उपरांत विश्लेषण के लिए तिहाड़ पहुंची

punjabkesari.in Friday, Dec 02, 2022 - 04:14 PM (IST)

नेशनल डेस्क:  फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (FSL) की चार सदस्यीय एक टीम श्रद्धा वालकर हत्याकांड मामले के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला के नार्को जांच उपरांत विश्लेषण के लिए शुक्रवार को जांच अधिकारी के साथ तिहाड़ जेल पहुंची। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एफएसएल की टीम और अधिकारी तिहाड़ की जेल संख्या 4 में पूनावाला के साथ ‘जांच उपरांत पूछताछ’ के लिए पहुंची।

अधिकारियों ने बताया कि पूनावाला से पूछताछ पूर्वाह्न 10 बजे से अपराह्न 3 बजे तक होने की उम्मीद थी, लेकिन इसमें देरी हुई। एफएसएल की टीम पूर्वाह्न करीब 11 बजकर 30 मिनट पर जेल पहुंची। उन्होंने बताया कि पूछताछ सत्र के बाद पूनावाला को बताया जाएगा कि उसने वीरवार को हुए नार्को विश्लेषण के दौरान पूछे गए सवालों के क्या जवाब दिए हैं। अधिकारियों ने बताया कि जेल में ही जांच उपरांत विश्लेषण की व्यवस्था अदालत के आदेश पर की गई क्योंकि पूनावाला को लाने-ले जाने में खतरा था।

उन्होंने बताया कि पूनावाला की नार्को विश्लेषण जांच करीब दो घंटे तक रोहिणी के अस्पताल में हुई थी, जो सफल रही। एफएसएल के सूत्रों ने इससे पहले बताया कि नार्को जांच और पॉलीग्राफी जांच के दौरान आरोपी द्वारा दिए गए जवाब का विश्लेषण किया जाएगा और उसे भी उसके जवाबों की जानकारी दी जाएगी।

गौरतबल है कि 28 वर्षीय पूनावाला पर ‘लिव इन रिलेशन’ में रह रही वालकर की हत्या करने, उसके शव के 35 टुकड़े कर उन्हें तीन सप्ताह तक दक्षिणी दिल्ली के महरौली स्थित आवास में 300 लीटर के फ्रिज में रखने एवं शव के हिस्सों को कई दिनों में शहर के विभिन्न हिस्सों में ठिकाने लगाने का आरोप है।

नार्को जांच में सोडियम पेंटोथल, स्कोपोलामाइन और सोडियम एमिटल जैसी दवा दी जाती है, जो व्यक्ति को एनेस्थीसिया के असर के विभिन्न चरणों तक लेकर जाती है। सम्मोहन (हिप्नोटिक) चरण में व्यक्ति पूरी तरह से होश हवास में नहीं रहता और उसके ऐसी जानकारियां देने की अधिक संभावना रहती है, जो वह आमतौर पर होश में रहते हुए नहीं बताता है। जांच एजेंसियां इस जांच का इस्तेमाल तब करती हैं, जब अन्य सबूतों से मामले की साफ तस्वीर नहीं मिल पाती है।

दिल्ली पुलिस ने पहले कहा था कि उसने पूनावाला की नार्को जांच की मांग की है, क्योंकि पूछताछ के दौरान उसके जवाब  ‘भ्रामक’ रहे। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि नार्को जांच, ब्रेन मैपिंग और पॉलिग्राफी जांच संबंधित व्यक्ति से मंजूरी लिए बिना नहीं की जा सकती हैं। साथ ही इस जांच के दौरान दिए गए बयान अदालत में प्रारंभिक सबूत के तौर पर स्वीकार्य नहीं हैं। केवल कुछ परिस्थितियों में ही ये स्वीकार्य हैं, जब पीठ को मामले के तथ्य और प्रकृति इसके अनुरूप लगे। पूनावाला को 12 नवंबर को गिरफ्तार किया गया और 5 दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेजा गया। इस अवधि को 17 नवंबर को और 5 दिन के लिए बढ़़ाया गया। अदालत ने 26 नवंबर को उसे 13 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया।   


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Content Writer

Anu Malhotra

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