'बीज से बाजार तक' की नीति से कृषि क्षेत्र में आया बड़ा बदलाव, 11 साल में 5 गुना बढ़ा बजट
punjabkesari.in Sunday, Jun 08, 2025 - 05:53 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत की आत्मा कहे जाने वाले कृषि क्षेत्र में बीते 11 वर्षों में बड़ा बदलाव देखा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने 'बीज से बाजार तक' के विज़न के साथ न केवल किसानों की आय को केंद्र में रखा, बल्कि तकनीक, पारंपरिक ज्ञान और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को भी प्राथमिकता दी।
बजट में रिकॉर्ड वृद्धि से मिला आधार
कृषि क्षेत्र में सरकार ने निवेश को अभूतपूर्व तरीके से बढ़ाया है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का बजट 2013–14 के ₹27,663 करोड़ से बढ़कर 2024–25 में ₹1,37,664 करोड़ हो गया है। यह पांच गुना से अधिक वृद्धि है, जिससे ढांचागत विकास, नवाचार और किसान कल्याण को नई रफ्तार मिली है।
अन्न उत्पादन में जबरदस्त उछाल
देश में खाद्यान्न उत्पादन 2014–15 के 265.05 मिलियन टन से बढ़कर 2024–25 में 347.44 मिलियन टन तक पहुंच गया है। गेहूं, चावल, दालें और तिलहन की पैदावार में खास बढ़ोतरी देखी गई है। अब सरकार जलवायु-सहिष्णु और पोषणयुक्त फसलों को बढ़ावा दे रही है।
एमएसपी और खरीद में ऐतिहासिक बढ़ोतरी
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और सरकारी खरीद में बड़ा इजाफा हुआ है। 2014–25 के बीच खरीफ फसलों की खरीद 7871 लाख मीट्रिक टन तक पहुंची, जबकि इससे पहले के दशक में यह 4679 LMT थी। गेहूं का MSP ₹1,400 से बढ़कर ₹2,425 हुआ है, जबकि धान का MSP ₹1,310 से बढ़कर ₹2,369 हो गया है।
सीधी सहायता और क्रेडिट से वित्तीय सशक्तिकरण
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) के तहत अब तक ₹3.7 लाख करोड़ सीधे 11 करोड़ किसानों के खातों में ट्रांसफर किए जा चुके हैं। 7.71 करोड़ किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) जारी किए गए हैं, जिससे ₹10 लाख करोड़ तक का कर्ज सुलभ हुआ है।
बीमा, सिंचाई और टिकाऊ खेती को बढ़ावा
पीएम फसल बीमा योजना से 63 करोड़ किसानों को जोड़ा गया और ₹1.75 लाख करोड़ का मुआवजा दिया गया। पीएम कृषि सिंचाई योजना के तहत ₹93,000 करोड़ की लागत से जल-संरचना को बेहतर किया गया। सॉयल हेल्थ कार्ड योजना के अंतर्गत 1.75 करोड़ कार्ड जारी हुए और 8,272 लैब्स को अपग्रेड किया गया।
नए भारत की कृषि को मिली नई दिशा
कृषि में निवेश, बीमा, आय सहायता और सिंचाई के इन प्रयासों से न केवल उत्पादन बढ़ा है, बल्कि किसान सम्मान और स्थिरता के साथ आगे बढ़ रहा है। ये सुधार किसानों को सिर्फ लाभ नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की ओर ले जा रहे हैं।