भारत का सराहनीय कदम, ढाका के मरीज काे 2200 KM दूर भेजेगा रेयर ब्लड

punjabkesari.in Saturday, Jun 18, 2016 - 05:38 PM (IST)

नई दिल्लीः बांग्लादेश के मरीज मोहम्मद कमरुज्जमान का 21 मई को एक्सीडेंट हो गया था, जिसके बाद उन्हें  ढाका के अपोलो हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था। 25 साल के कमरुज्जमान का रेयर 'बॉम्बे ब्लड ग्रुप' हाेने की वजह से ये बांग्लादेश के ब्लड बैंक्स में मौजूद नहीं था।  इसलिए मुंबई के 4 लोगों ने कमरुज्जमान के लिए अपना ब्लड दिया है। अब भारत इस रेयर 'बॉम्बे ब्लड ग्रुप' की 4 यूनिट को जल्द ही 2200 किमी का सफर तय कर ढाका भेजा जाएगा। 

रंग लाई NGO की मेहनत
जानकारी के मुताबिक, डॉक्टर्स ने जल्द ऑपरेशन करने की बात कही थी और कमरुज्जमान का रेयर ग्रुप होने के चलते ब्लड मिलने में परेशानी आ रही थी। भारत में 400 से कम लोगों का 'बॉम्बे ब्लड ग्रुप' है, जिनमें से कुछ ब्लड डोनेट करते रहे हैं।  'बॉम्बे ब्लड ग्रुप' के इन लोगों को खोजने का काम मुंबई के एक एनजीओ थिंक फाउंडेशन ने उठाया। उनकी मेहनत रंग लाई और लाेगाें ने ब्लड डाेनेट किया। 

क्या कहते हैं आलम?
गुरुवार को कमरुज्जमान के एक दोस्त एसके तुहीनुर आलम मुंबई पहुंचे। आलम के मुताबिक, अब हमें उम्मीद है वह जिंदा बच जाएगा। कमरुज्जमान के बाएं पैर, हाथ और कूल्हे की हड्डी तरह टूट चुकी है। डॉक्टर्स ने सर्जरी को ही अकेला ऑप्शन बताया था। कमरुज्जमान के परिवार में कमाने वाला कमरुज्जमान ही है। उस पर अपनी बीमार मां की भी जिम्मेदारी है। 

बाहर खून भेजना भी चुनौती
एनजीओ के विनय शेट्टी के मुताबिक, किसी बाहर के देश में ब्लड एक्सपोर्ट करने के लिए लाइसेंस की जरूरत होती है। इसके अलावा हमने स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन, डायरेक्टोरेट ऑफ हेल्थ सर्विसेस और सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्युरिटी फोर्स का भी अप्रूवल लिया। शेट्टी के मुताबिक, ब्लड को स्पेशल प्लास्टिक बॉक्स में आइस जेल की पैकिंग के साथ भेजा जाएगा। खून लंबे वक्त (6 हफ्ते) तक बाहर रखा जा सकता है। हालांकि इसके लिए टेम्परेचर कंट्रोल करना जरूरी है।


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