कोलकाता रेप मामले में बड़ा खुलासा, सबूत मिटाने के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष ने रची थी ये साचिश
punjabkesari.in Thursday, Sep 05, 2024 - 06:45 PM (IST)
नेशनल डेस्क : कोलकाता के रेप और मर्डर केस में आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और कोलकाता पुलिस पर गंभीर आरोप लग रहे हैं। मृतका के माता-पिता और जूनियर डॉक्टर्स ने इस मामले को दबाने और सबूतों से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया है। विशेष रूप से, सीबीआई द्वारा इस केस को अपने हाथ में लेने से पहले सेमिनार हॉल के बगल के कमरों को रेनोवेशन के नाम पर तोड़ दिया गया, जिसमें टॉयलेट भी शामिल था।
यह कार्रवाई उस दिन की गई जब सीबीआई ने केस की जांच शुरू की, और इससे इस बात की आशंका उठती है कि सबूतों को मिटाने की कोशिश की गई हो। इस मामले में संदीप घोष की गिरफ्तारी वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में हुई है, और सीबीआई ने उनसे कई बार पूछताछ की है। इस पूरे मामले में सतर्कता और पारदर्शिता की आवश्यकता है ताकि न्याय सुनिश्चित किया जा सके।
जानें क्यों शुरू हुआ टॉयलेट का काम
टॉयलेट के अचानक रेनोवेशन की वजह और इसके लिए आदेश देने वाले की पहचान पर सवाल उठ रहे हैं। TV9 हिंदी को एक दस्तावेज़ मिला है जो इस मामले में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। दस्तावेज़ में आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष द्वारा लिखा गया पत्र शामिल है।
इस पत्र में संदीप घोष ने लोक निर्माण विभाग को टॉयलेट के रेनोवेशन की अनुमति देने के लिए लिखा था। पत्र में बताया गया है कि संदीप घोष ने ऑन-ड्यूटी डॉक्टरों को टॉयलेट रूम को तोड़ने का आदेश दिया था। इस आदेश पर संदीप घोष के हस्ताक्षर भी हैं और ये निर्देश 10 अगस्त के हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि ट्रेनी डॉक्टर की हत्या 8 अगस्त की आधी रात को की गई थी। तो इतनी गंभीर घटना के बाद टॉयलेट को तोड़ने का आदेश देने की वजह क्या हो सकती है, यह सवाल उठ रहा है।
इसके साथ ही, आरजी कर का सेमिनार रूम किसके आदेश पर तोड़ा गया, यह भी कोर्ट में उठाया गया सवाल है। दस्तावेज़ में स्पष्ट है कि संदीप घोष ने लोकनिर्माण विभाग के सिविल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियर को भी निर्देश जारी किए थे। ऐसी स्थिति में, जहां एक महत्वपूर्ण घटना घटी है, घटनास्थल को तोड़ने का आदेश क्यों दिया गया, यह एक बड़ा प्रश्न है।